नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट 3011 से बहुत समय बाद एक अच्छी खबर सुनने को मिली, जिसकी वाहक बनीं वरिष्ठ रोटेरियन आभा झा चौधरी । आभा झा चौधरी के अपने अकेले के प्रयत्नों से रोटरी फाउंडेशन के पोलियो फंड में एक ही दिन में करीब 45 हजार अमेरिकी डॉलर की रकम जुटी । आभा झा चौधरी ने खुद तैयार की हैंड क्राफ्टेड ज्वैलरी का ऑक्शन करके उक्त रकम इकट्ठा की - वास्तव में रकम उन्होंने अपने पास इकट्ठा भी नहीं की; उन्होंने तो अपने द्वारा तैयार की हैंड क्राफ्टेड ज्वैलरी को दिखाया और उसे खरीदने वाले को उसकी कीमत सीधे रोटरी फाउंडेशन को भेजने को कहा । रोटरी फाउंडेशन के पोलियो फंड के लिए पैसा इकट्ठा करने के प्रयासों में सक्रिय रहने वाली संस्था डब्ल्यूजीमील (वर्ल्ड ग्रेटेस्ट मील) की कंट्री कोऑर्डीनेटर के रूप में आभा झा चौधरी ने इस तरह अपने काम को एक नई ऊँचाई दी है । ऐसे समय में, जबकि डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर और बड़े पदाधिकारी रोटरी फाउंडेशन को टर्म गिफ्ट के रूप में 'दान' देने की वकालत करने में लगे हुए हैं, एक पूर्व प्रेसीडेंट आभा झा चौधरी ने पोलियो फंड के लिए रकम जुटाने के लिए अपनी सोच, अपनी प्रतिभा, अपने समय और अपनी मेहनत को न सिर्फ इस्तेमाल किया - बल्कि कामयाबी भी हासिल की, और कामयाबी के जरिये फंड इकट्ठा करने के प्रयासों को एक नई दिशा भी दी । आभा झा चौधरी ने जो किया, वह इस बात का भी सुबूत है कि रोटरी में एक व्यक्ति के प्रयासों को भी फलने-फूलने का मौका मिल सकता है; और यहाँ कोई भी अपनी प्रतिभा तथा अपनी कोशिशों से बड़ा काम कर सकता है । आभा झा चौधरी ने जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, उसमें दो इंग्रेडिऐंट की खासी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही - एक उनका हुनर और दूसरा रोटरी के लिए कुछ करने का जज़्बा ।
आभा झा चौधरी ने जो किया, उसका आधार बस इन्हीं दो इंग्रेडिऐंट से ही बन गया । लॉकडाउन के चलते अन्य लोगों की तरह आभा झा चौधरी को भी जब घर की चारदीवारी में कैद हो जाना पड़ा, तो समय का सदुपयोग करने के लिए उन्होंने हैंड क्राफ्ट ज्वैलरी बनाने के बारे में सोचा । खास बात यह रही कि इससे पहले उन्होंने कभी ऐसी ज्वैलरी नहीं बनाई थी और उन्हें इसका कोई अनुभव भी नहीं था । इसके बावजूद, उन्हें यह आईडिया इसलिए आया क्योंकि अलग अलग जरूरतों के चलते घर में आया कुछ ऐसा सामान बचा पड़ा था, जिसे देख कर उनकी क्रिएटिव प्रतिभा ने उनसे ज्वैलरी तैयार करने के बारे में सोचा । अब सोचा, तो काम शुरू हुआ । काम शुरू हुआ, तो ज्वैलरी के डिजाईन तैयार करने से लेकर उन्हें क्रियान्वित करने तक के काम में आभा झा चौधरी को अपनी दोनों बेटियों का भी सहयोग मिला । समय का सदुपयोग करने के उद्देश्य से शुरू हुआ ज्वैलरी तैयार करने का काम चल रहा था, तो साथ-साथ रोटरी के लिए कुछ करने का कीड़ा भी कुलबुला रहा था - और ऐसे ही किसी क्षण आभा झा चौधरी को सूझा कि वह हैंड क्राफ्ट ज्वैलरी का ऑक्शन करके क्यों न डब्ल्यूजीमील के तहत रोटरी फाउंडेशन के पोलियो फंड के लिए रकम जुटाने का प्रयास करें - और इस तरह समय का सदुपयोग करने के उद्देश्य से किए गए काम को और सार्थक रूप दें ।
आभा झा चौधरी ने अपने इस विचार को विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में डब्ल्यूजीमील के अपने सहयोगियों के साथ साझा किया, तो उन्हें उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया मिली । डब्ल्यूजीमील की अन्तर्राष्ट्रीय प्रमुख सुजेन रेआ ने भी उन्हें उनके विचार को अमल में लाने के लिए प्रोत्साहित किया । चारों तरफ से मिले उत्साहवर्धन से आभा झा चौधरी का विश्वास बढ़ा, तो उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों - इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता, इंटरनेशनल डायरेक्टर्स भरत पांड्या और कमल सांघवी, रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टी गुलाम वाहनवती आदि के साथ-साथ अन्य कई प्रमुख रोटेरियंस से अपनी योजना के बारे में बात की; उनकी खुशकिस्मती रही कि सभी ने उनकी योजना की तारीफ तो की ही - ऑक्शन में शामिल होने के लिए भी अपनी स्वीकृति दी, और इस तरह हैंड क्राफ्ट ज्वैलरी के ऑक्शन के लिए एक बड़ा मजबूत आधार तैयार हुआ । लॉकडाउन के समय का सदुपयोग करने के इरादे से शुरू हुआ उपक्रम आभा झा चौधरी की प्रतिभा तथा रोटरी के लिए कुछ करने के जज़्बे के साथ जुड़ कर एक बड़ा आयोजन बन गया, जो 26 अप्रैल को रोटरी के बड़े पदाधिकारियों तथा अन्य प्रमुख रोटेरियंस की उपस्थिति में आयोजित हुआ । इस आयोजन की कामयाबी के जरिये आभा झा चौधरी ने रोटरी में तो एक नई इबारत लिखी ही है, डिस्ट्रिक्ट 3011 को भी एक विशिष्ट पहचान दी है ।