Thursday, April 23, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हरी गुप्ता ने सदाशयता और बड़प्पन दिखाते हुए योगेश मोहन गुप्ता की उम्मीदवारी को खारिज न करके उनकी 'योजना' पर मिट्टी डाली और उन्हें हार की दलदल में धकेलने का काम किया 

मेरठ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हरि गुप्ता की पक्षपात न करते हुए सभी को मौका देने की सोच योगेश मोहन गुप्ता पर खासी भारी पड़ गई है, और सीओएल के चुनाव में उन्हें फजीहत का शिकार बनाने वाली साबित हुई है । दरअसल सीओएल के लिए योगेश मोहन गुप्ता द्वारा प्रस्तुत किए गए नामांकन में कई तरह की गड़बड़ियाँ हैं, और उम्मीदवार के रूप में वह कई जरूरी शर्तों का पालन नहीं करते हैं । गड़बड़ियों/खामियों को जानते/पहचानते हुए भी योगेश मोहन गुप्ता ने नामांकन प्रस्तुत किया, तो इसलिए ताकि उनका नामांकन रद्द हो जाए । योगेश मोहन गुप्ता के नजदीकियों का कहना है कि योगेश मोहन गुप्ता की योजना थी कि नामांकन रद्द होने पर वह जोरशोर से इस बात को प्रचारित करेंगे कि संजीव रस्तोगी उनकी उम्मीदवारी से डर गए और हार से बचने के लिए संजीव रस्तोगी ने दबाव डाल कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के जरिये उनका नामांकन रद्द करवा दिया - और इस तरह डिस्ट्रिक्ट तथा रोटरी में जोरदार तरीके से पुनर्वापसी करेंगे । योगेश मोहन गुप्ता भी अच्छी तरह जानते हैं कि चुनाव जीतना तो उनके बस की बात नहीं है, इसलिए उन्होंने यह नाटक रचा । योगेश मोहन गुप्ता को विश्वास था कि इस नाटक के जरिये - 'न हींग लगेगी और न फिटकरी, रंग चोखा जम जायेगा ।' लेकिन हरि गुप्ता ने नामांकन रद्द न करके, योगेश मोहन गुप्ता की सारी योजना पर मिट्टी डाल दी है । हरि गुप्ता का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में सभी लोग एक बराबर हैं, और कोई यदि चुनाव लड़ना चाहता है तो तकनीकी गड़बड़ियों/खामियों के आधार पर उससे चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं छीना जाना चाहिए और उसे चुनाव लड़ने देना चाहिए । हरि गुप्ता की यह सदाशयता और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनका यह बड़प्पन योगेश मोहन गुप्ता के लिए मुसीबत बन कर उन्हें हार के अपमान व फजीहत की दलदल में धकेलने वाला बन गया है ।
हरि गुप्ता ने योगेश मोहन गुप्ता के नामांकन को स्वीकार करके योगेश मोहन गुप्ता को चुनाव लड़ने के लिए मजबूर कर दिया है - और योगेश मोहन गुप्ता का रचा गया नाटक खुद उन पर भारी पड़ गया है । योगेश मोहन गुप्ता ने चुनाव लड़ने तथा डिस्ट्रिक्ट व रोटरी में पुनर्वापसी के लिए रोटरी क्लब सरधना महान में शरण लेकर अपने लिए मुसीबत को और बढ़ा लिया है । दूसरे शहरों के क्लब के पदाधिकारी योगेश मोहन गुप्ता से पूछ रहे हैं कि वह जब रहते मेरठ में हैं, और उन्होंने रोटरी मेरठ में की है - तब फिर वह मेरठ के किसी क्लब के सदस्य न होकर सरधना महान के सदस्य क्यों बने ? अब बेचारे योगेश मोहन गुप्ता उन्हें क्या और कैसे बतायें कि उन्होंने तो मेरठ के ही किसी भी क्लब की सदस्यता के लिए बहुत कोशिश की थी, लेकिन उनके लिए मेरठ के किसी भी क्लब का दरवाजा नहीं खुला । मेरठ में यह चर्चा आम है कि योगेश मोहन गुप्ता ने सदस्यता के लिए मेरठ के कई क्लब्स के पदाधिकारियों और प्रमुख सदस्यों के दरवाजे खटखटाये थे, लेकिन उनकी हरकतों और कारस्तानियों से परिचित होने के कारण कोई भी उन्हें अपने क्लब में लेने के लिए तैयार नहीं हुआ, और तब योगेश मोहन गुप्ता को रोटरी क्लब सरधना महान में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा । ऐसे में, मेरठ में ही बातें कही/सुनी जा रही हैं कि मेरठ का कोई क्लब जब उन्हें अपने यहाँ सदस्य बनाने के लिए तैयार नहीं हुआ, तो यहाँ उन्हें वोट कौन देगा ? इस स्थिति के चलते, योगेश मोहन गुप्ता के लिए दूसरे शहरों में वोट प्राप्त करने की कोशिश करना तक मुश्किल हो गया है । लगता है कि मेरठ में योगेश मोहन गुप्ता के अलग-थलग पड़ जाने को लेकर, दूसरे शहरों के लोग उन्हें चिढ़ाने और मजे लेने के लिए जानबूझ कर उनसे पूछते हैं कि मेरठ के किसी क्लब में उन्हें सदस्यता क्यों नहीं मिली ?
डिस्ट्रिक्ट में अभी हाल ही में, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद चुनाव हुआ है, जिसमें डीके शर्मा और अशोक गुप्ता उम्मीदवार थे - यानि क्लब्स के वोट इन्हीं दोनों को मिले थे; सीओएल के चुनाव में यह दोनों संजीव रस्तोगी का समर्थन करते हुए उन्हें वोट दिलवाने के प्रयासों में जुटे हैं । इस एक तथ्य से सीओएल के चुनाव में संजीव रस्तोगी की उम्मीदवारी की मजबूती को समझा जा सकता है । वास्तव में, इसीलिए योगेश मोहन गुप्ता को अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थकों तक का टोटा पड़ गया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट मनीष शारदा ने शुरू में योगेश मोहन गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में कुछ सक्रियता दिखाई थी, लेकिन लोगों का मूड भाँप कर जल्दी ही उन्हें समझ में आ गया कि उनके समर्थन के बावजूद योगेश मोहन गुप्ता का तो कोई लाभ नहीं होगा, उलटे उनके लिए मुसीबतें खड़ी हो जायेंगी - लिहाजा मनीष शारदा ने योगेश मोहन गुप्ता के समर्थन से हाथ खींच लिए । योगेश मोहन गुप्ता के नजदीकियों का ही मानना और कहना है कि योगेश मोहन गुप्ता की करतूतें और कारस्तानियाँ ही वास्तव में उनकी दुश्मन हो बैठी हैं । योगेश मोहन गुप्ता ने अपनी हरकतों, अपने व्यवहार और अपनी बातों से बहुतों के साथ दुर्व्यवहार किया है और उन्हें तरह तरह से नीचा दिखाने की कोशिश करते हुए उन्हें अपमानित किया है । सीओएल के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी ने डिस्ट्रिक्ट के बहुत से आम और खास सदस्यों के घावों को फिर से हरा कर दिया है, और वह योगेश मोहन गुप्ता से बदला लेने के लिए सक्रिय हो उठे हैं । वास्तव में इसीलिए योगेश मोहन गुप्ता को मेरठ के किसी क्लब में सदस्यता नहीं मिली और उनकी उम्मीदवारी को समर्थक नहीं मिल रहे हैं । योगेश मोहन गुप्ता को इस स्थिति का अंदाजा तो था, लेकिन उन्होंने इस स्थिति की चिंता नहीं की थी - क्योंकि उन्हें विश्वास था कि नामांकन पत्र की गड़बड़ियों और खामियों के चलते उनका नामांकन रद्द हो जायेगा और वह आरोपों का शोर मचा कर डिस्ट्रिक्ट व रोटरी में जोरशोर के साथ अपनी पुनर्वापसी कर लेंगे; लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हरि गुप्ता ने उन्हें इसका मौका नहीं दिया ।