Wednesday, April 8, 2020

रोटरी ब्लड बैंक के हिसाब-किताब में मनमानी और गड़बड़ी करने के मामलों के चलते मुसीबत में फँसने के बावजूद विनोद बंसल ने कोरोना वायरस के कारण पैदा हुए हालात का फायदा उठा कर, इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से ब्लड बैंक के पैसे का मनमाना इस्तेमाल करने का 'मौका' बनाया 

नई दिल्ली । रोटरी ब्लड बैंक के प्रेसीडेंट पद से हटाये जाने की कोशिशों से नाराज विनोद बंसल ने जाते-जाते ब्लड बैंक के अकाउंट को 'लुटाने' की अच्छी व्यवस्था कर ली है, और इस बार उनके लिए खुशकिस्मती की बात यह है कि उनकी 'व्यवस्था' में कोई टाँग अड़ाने की कोशिश भी नहीं कर रहा है । विनोद बंसल ने ब्लड बैंक की जमा पूँजी का मोटा हिस्सा प्रधानमंत्री कोविड19 रिलीफ फंड में देने का फैसला करके ब्लड बैंक के अकाउंट को खाली करके जाने का दाँव चला है । ब्लड बैंक के सेक्रेटरी रमेश अग्रवाल और एक्स-ऑफिसो सदस्य के रूप में डिस्ट्रिक्ट 3012 के गवर्नर दीपक गुप्ता ने शुरू में यह तर्क देते हुए विनोद बंसल के फैसले का विरोध किया था कि विनोद बंसल और अन्य पदाधिकारी इस समय कार्यकारी पदाधिकारी हैं, और कानूनन उन्हें ब्लड बैंक की जमा पूँजी को लेकर कोई फैसला करने का अधिकार नहीं है; लेकिन विनोद बंसल ने इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता का नाम लेकर उनकी ऐसी हवा टाइट की है कि उन्होंने अब पूरी तरह समर्पण कर दिया है । विनोद बंसल ने मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए 9 अप्रैल की शाम चार बजे ब्लड बैंक की गवर्निंग बॉडी की जूम मीटिंग बुलाई है । विचार-विमर्श की बात सिर्फ धोखा है; विनोद बंसल ने वास्तव में पक्की व्यवस्था कर ली है कि वह प्रस्ताव रखेंगे और बाकी सदस्य बिना कोई चूँ-चपड़ किए उनके प्रस्ताव पर ताली बजायेंगे । मजे की बात यह है कि जो लोग 9 अप्रैल की शाम 4 बजे की मीटिंग में ब्लड बैंक का अकाउंट खाली करने का फैसला करेंगे, वही लोग कुछ दिन पहले ही यह फैसला कर चुके हैं कि अगली गवर्निंग बॉडी बनने तक ब्लड बैंक के अकाउंट से सिर्फ रोजमर्रा के जरूरी खर्चों के लिए ही पैसे निकाले जायेंगे, और कोई भी बड़ा खर्चा अगली गवर्निंग बॉडी ही करेगी । यानि, मीटिंग में शामिल होने वालों को फैसला करने का अधिकार ही नहीं है । 
रमेश अग्रवाल और दीपक गुप्ता का उक्त फैसले का हवाला देते हुए दरअसल यही कहना रहा कि प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में पैसा देने में जल्दबाजी करने की बजाये विनोद बंसल को ब्लड बैंक की अगली गवर्निंग बॉडी चुनवाने/बनवाने में जल्दबाजी करना चाहिए और ब्लड बैंक के पैसे का कैसे/क्या करना है - इसका फैसला उन्हें करने देना चाहिए । विनोद बंसल लेकिन पैसे देने का श्रेय खुद लेना चाहते हैं; आरोप है कि यह श्रेय लेकर वह इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अपनी उम्मीदवारी के लिए फायदा उठाने की तिकड़म लगा रहे हैं - और इसलिए वह बड़ा खर्चा न करने के उस फैसले की अनदेखी करने के लिए तैयार हैं, जिस फैसले में वह खुद भी शामिल थे । लोगों के बीच चर्चा रही है कि विनोद बंसल की रोटरी के पैसे पर राजनीति करने के मामले में 'मास्टरी' है; रोटरी फाउंडेशन को 'एक का चार करने' की 'मशीन' बना कर वह पहले ही (कु)ख्याति पा चुके हैं । ब्लड बैंक में भी हिसाब-किताब में मनमानी और गड़बड़ी करने के मामले सामने आने के बाद विनोद बंसल को प्रेसीडेंट पद से हटाने की बात व प्रक्रिया शुरू हुई । इसे विनोद बंसल की 'मास्टरी' ही कहेंगे कि रोटरी ब्लड बैंक का प्रेसीडेंट पद छिनने की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद उन्होंने ब्लड बैंक के पैसे का मनमाना इस्तेमाल करने का मौका बना लिया है - और ब्लड बैंक के दूसरे पदाधिकारियों को अपना फैसला स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया है । इसके लिए, विनोद बंसल ने बड़ी सफाई से इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता के नाम का इस्तेमाल कर लिया है । 
9 अप्रैल की शाम चार बजे की जूम मीटिंग का जो संदेश विनोद बंसल ने ब्लड बैंक की गवर्निंग बॉडी के सदस्यों को भेजा है, उसमें शेखर मेहता का नाम जोड़ कर विनोद बंसल ने सदस्यों पर दबाव बनाने की जो चाल चली है, वह कामयाब रही है । दबी जुबान में तो चर्चा है कि शेखर मेहता ने जो 'टारगेट' दिया है, वह आराम से पूरा और पार हो तो रहा है - आखिर तब फिर विनोद बंसल उनका नाम लेकर ब्लड बैंक का खजाना खाली करने पर क्यों तुले हुए हैं । उल्लेखनीय है कि शेखर मेहता ने देश के रोटेरियंस की तरफ से प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में 25 करोड़ रुपए देने का टारगेट तय किया है । पाँच डिस्ट्रिक्ट्स के रोटेरियंस की तरफ से तथा रोटरी न्यूज ट्रस्ट की तरफ से प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में दिए जाने वाले पैसे की अभी तक जो घोषणाएँ हुई हैं, उनमें करीब 21 करोड़ रुपए का जोड़ बैठ रहा है । इससे जाहिर है कि प्रधानमंत्री रिलीफ फंड के लिए रोटेरियंस की तरफ से शेखर मेहता ने जो टारगेट रखा है, वास्तव में उससे कहीं ज्यादा रकम रोटेरियंस की तरफ से जा रही है - ऐसे में, रोटरी ब्लड बैंक का अकाउंट खाली करने की कोई जरूरत नहीं है; लेकिन फिर भी विनोद बंसल ब्लड बैंक का अकाउंट खाली करने पर आमादा हैं - तो इसका कारण सिर्फ यही है कि ऐसा करके विनोद बंसल अपना निजी हित साध सकेंगे । इसे बिडंवना ही कहेंगे कि नोएडा ब्लड बैंक के कर्ताधर्ता सतीश सिंघल पर ब्लड बैंक में इकट्ठा हुए खून की कमाई से निजी हित साधने का आरोप लगा, तो उनसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद ही छिन गया और उन्हें पूर्व गवर्नर की मान्यता भी नहीं मिली; जबकि दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक में इकट्ठा हुए खून से हुई कमाई को मनमाने तरीके से 'निजी हित' में इस्तेमाल करने के आरोपों के बीच विनोद बंसल लेकिन इंटरनेशनल डायरेक्टर पद पर पहुँचने की तैयारी कर रहे हैं ।