नई दिल्ली । सुरेश भसीन
की उम्मीदवारी को उन नेताओं के रवैये से तगड़ा झटका लगा है, जिनके भरोसे पर
सुरेश भसीन ने मौजूदा रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए
प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी को वापस ले लिए था और डॉक्टर सुब्रमणियन के लिए
रास्ता खुला छोड़ दिया था । उल्लेखनीय है कि सुरेश भसीन ने ऐसा डॉक्टर
सुब्रमणियन के समर्थक नेताओं के इस आश्वासन पर किया था कि अगले रोटरी वर्ष
में वह उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने में मदद करेंगे । सुरेश
भसीन को यह आश्वासन देने वाले नेता लेकिन अब सरोज जोशी और या रवि दयाल और
या विनय भाटिया की उम्मीदवारी की बातें करते सुने जा रहे हैं । सुरेश
भसीन की उम्मीदवारी को लेकर तो वह कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखा रहे हैं ।
सुरेश भसीन के लिए इससे भी ज्यादा झटके की बात यह हुई है कि वही नेता अब इस
बात से ही इंकार कर रहे हैं कि उन्होंने सुरेश भसीन को किसी भी तरह का कोई
आश्वासन दिया था । नेताओं के इस रवैये से सुरेश भसीन के सामने अगले
रोटरी वर्ष में प्रस्तुत की जाने वाली अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन
जुटाने का अभियान शुरू करना मुश्किल हो गया है ।
सुरेश
भसीन को दोहरी समस्या का सामना करना पड़ रहा है - एक तरफ तो जिन नेताओं से
उन्हें समर्थन मिलने की उम्मीद थी वह नेता उन्हें ठेंगा दिखाते हुए दिख रहे
हैं; तो दूसरी तरफ उनके लिए लोगों को यह समझाना मुसीबत बना हुआ है कि
उन्होंने इस बार अपनी उम्मीदवारी को वापस क्यों ले लिया ? सुरेश भसीन ने
इस वर्ष जिस तरह अचानक से अपनी उम्मीदवारी को वापस ले लिया, उसके कारण
उनके कई समर्थक उनसे नाराज हुए हैं और वह मानने/कहने लगे हैं कि सुरेश भसीन
पर भरोसा करके तो वह अपने को ही मुसीबत में डालेंगे । कई लोगों ने उनसे भी कहा है
कि हमने तो आपका समर्थन करने का फैसला लिया ही था और अपने इस फैसले से आपको
अवगत भी करा दिया था, किंतु आपने हमें विश्वास में लिए बिना ही अपनी
उम्मीदवारी को वापस ले लिया । ऐसे में अब कैसे विश्वास करें कि अगली बार आप ऐसा नहीं करेंगे ? इस शिकायत रूपी सवाल का जबाव देना सुरेश भसीन के लिए सचमुच मुश्किल बना हुआ है ।
सुरेश भसीन ने इस वर्ष अपनी उम्मीदवारी को लेकर अच्छी तैयारी की थी और अपने लिए खासा समर्थन जुटा भी
लिया था । उनके प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार डॉक्टर सुब्रमणियन का हालाँकि
अच्छा ऑरा (आभामंडल) था और ज्यादातर नेताओं का खुला समर्थन भी उनके साथ था,
लेकिन फील्डवर्क के मामले में चूँकि उनकी कमजोरी दिख रही थी - इसलिए सुरेश
भसीन को भी मुकाबले में देखा/पहचाना जा रहा था । डिस्ट्रिक्ट में हर
कोई यूँ तो डॉक्टर सुब्रमणियन का पलड़ा ही भारी मान/समझ रहा था, लेकिन फिर
भी डॉक्टर सुब्रमणियन के समर्थक नेता कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहते थे । इस
सबके चलते भी सुरेश भसीन को अच्छा-खासा समर्थन मिल गया था और लोग एक
दिलचस्प मुकाबले का अनुमान लगा रहे थे । सुरेश भसीन ने लेकिन गुपचुप
तरीके से अपनी उम्मीदवारी वापस लेकर उस अनुमान में पलीता लगा दिया । इससे
उन लोगों को गहरा धक्का लगा, जो सुरेश भसीन के साथ जुड़ गए थे । वही लोग
अब सुरेश भसीन के साथ दोबारा जुड़ने को तैयार होते हुए नहीं दिख रहे हैं और
साफ साफ पूछ भी रहे हैं कि फिर से आप पर विश्वास क्यों करें ? इनमें से
कुछेक का मानना और कहना है कि इस वर्ष जब चुनाव का परिदृश्य सुरेश भसीन के
लिए खासा अनुकूल था तब वह चुनाव नहीं लड़ सके, तब फिर अगले रोटरी वर्ष में
होने वाले चुनाव में वह कैसे टिके रह पायेंगे - क्योंकि अगले रोटरी वर्ष
में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए होने वाले चुनाव के तो इस वर्ष के 'चुनाव' से ज्यादा ट्रिकी होने की संभावना बन रही है ।
अगले
रोटरी वर्ष में होने वाले चुनाव को लेकर सबसे ज्यादा उत्साह में विनय
भाटिया और उनके समर्थक हैं । इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद पर रवि चौधरी को जो जीत मिली है उससे वह बम बम हैं । रवि चौधरी की उम्मीदवारी के पीछे जो नेता लोग थे, विनय भाटिया को उन नेताओं के
समर्थन का भरोसा है । विनय भाटिया के समर्थकों का मानना और कहना है कि
नेताओं ने जब रवि चौधरी को चुनाव जितवा दिया है, तो फिर विनय भाटिया को
जितवाने में तो इन्हें कोई मुश्किल होगी ही नहीं । रवि चौधरी की जीत से विनय भाटिया के समर्थक व शुभचिंतक अभी से ही
अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हो गए हैं । डिस्ट्रिक्ट के दूसरे कई
नेता रवि दयाल और सरोज जोशी की उम्मीदवारी में अपनी राजनीति के मौके देख
रहे हैं । रवि दयाल की उम्मीदवारी को लेकर इन नेताओं में हालाँकि अभी
भी बहुत आश्वस्ति का भाव नहीं है - रवि दयाल कभी तो अपनी उम्मीदवारी को
लेकर सक्रिय होते से लगते/दिखते हैं, लेकिन कभी अपनी उम्मीदवारी से पीछे
हटते हुए नजर आते हैं, इसलिए अभी तक भी वह अपने नजदीकी लोगों को भी अपनी उम्मीदवारी के प्रति आश्वस्त नहीं कर सके हैं । सरोज जोशी जरूर अपनी उम्मीदवारी को लेकर भरोसा बनाने का प्रयास करती हुई दिखी हैं, और उनके इन्हीं प्रयासों के भरोसे उनके समर्थकों को उम्मीद है कि उन्हें डिस्ट्रिक्ट के नेताओं का समर्थन भी मिल जायेगा ।
डिस्ट्रिक्ट
के नेताओं के विनय भाटिया, रवि दयाल और सरोज जोशी के समर्थन में बँट जाने
से सुरेश भसीन के लिए मामला जहाँ का तहाँ ही रह गया दिख रहा है । सुरेश भसीन के नजदीकियों का हालाँकि कहना है कि अभी भले ही सुरेश भसीन के साथ कोई न
दिख रहा हो, लेकिन जल्दी ही जब बाकी तीनों उम्मीदवारों की कमजोरियाँ सामने
आने लगेंगी, तब नेताओं के बीच भी एक अलग समीकरण बनेगा और तब सुरेश भसीन के
लिए हालात उतने विरोधी नहीं रह जायेंगे, जितने अभी दिख रहे हैं । नेताओं के मामले में भले ही ऐसा हो जाये, लेकिन इस वर्ष अपनी उम्मीदवारी को गुपचुप तरीके से वापस लेकर अपने जिन
समर्थकों व शुभचिंतकों को सुरेश भसीन ने धक्का पहुँचाया है और नाराज किया
है, उन्हें मनाना और अपने साथ लाना उनके लिए बड़ी चुनौती है ।