लखनऊ । एके सिंह के
नेतृत्व वाले विचार मंच ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए किसी
भी उम्मीदवार का समर्थन करने से इंकार करके संदीप सहगल और उनकी उम्मीदवारी
के समर्थकों को तगड़ा झटका दिया है । उल्लेखनीय है कि एके सिंह को संदीप
सहगल की उम्मीदवारी के सबसे बड़े समर्थक शिव कुमार गुप्ता के नजदीक
माना/पहचाना जाता है और डिस्ट्रिक्ट में हर किसी की जुबान पर चर्चा है कि
शिव कुमार गुप्ता ने अगले लायन वर्ष के अपने गवर्नर-काल में एके सिंह को
वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने की जिम्मेदारी ली हुई है । इतनी नजदीकियत के बावजूद, शिव कुमार गुप्ता के लिए यह संभव नहीं हो सका है
कि वह एके सिंह के नेतृत्व वाले विचार मंच का समर्थन संदीप सहगल के लिए
घोषित करवा सकें । संदीप सहगल और उनके समर्थकों को यह जान कर तो और भी बुरा
लगा है कि उक्त विचार मंच की मीटिंग में अशोक अग्रवाल जब पहुँचे थे, तब तक
मीटिंग पूरी हो चुकी थी और लोग उठ खड़े हुए थे; किंतु अशोक अग्रवाल को
पहुँचा देख कर मीटिंग को जारी रखने का फैसला किया गया । शिव कुमार गुप्ता के नजदीकी के नेतृत्व वाले संगठन की मीटिंग में अशोक अग्रवाल को मिली इस तवज्जो ने संदीप सहगल और उनके समर्थकों को निराश किया है ।
संदीप सहगल और उनके समर्थकों की इस निराशा को कम करने के लिए केएस लूथरा ने हालाँकि दावा किया है कि एके सिंह के नेतृत्व वाले विचार मंच के फैसला न करने से और उनके आयोजन में अशोक अग्रवाल को अतिरिक्त तवज्जो मिलने से कुछ नहीं होता है; क्योंकि उक्त विचार मंच से जुड़े दूसरे लोग संदीप सहगल की उम्मीदवारी के साथ ही हैं । केएस लूथरा ने कहा है कि विचार मंच के नेताओं ने फैसला इसलिए ही नहीं किया क्योंकि वह जानते थे कि उनका फैसला लोग मानेंगे ही नहीं; इसलिए फैसला न करने में ही भलाई है । केएस लूथरा की यह बातें परस्पर एक दूसरे का ही विरोध करती हैं । उनका यह कहना यदि सच है कि विचार मंच से जुड़े ज्यादातर लोग संदीप सहगल की उम्मीदवारी के पक्ष में हैं, तो फिर विचार मंच के नेताओं ने संदीप सहगल की उम्मीदवारी का समर्थन करने का फैसला किया क्यों नहीं ? वह यह फैसला करते तो लोग उनके फैसले को मानते क्यों नहीं ? इस तरह, केएस लूथरा के सफाई रूपी दावे ने संदीप सहगल और उनके समर्थकों की निराशा को कम करने की बजाये बढ़ा और दिया है ।
एके सिंह के नेतृत्व वाले विचार मंच से समर्थन की घोषणा न होने से संदीप सहगल और उनके समर्थक निराश भले ही हों, लेकिन इस स्थिति के लिए वह खुद भी जिम्मेदार हैं । दरअसल एके सिंह ने मीटिंग में ही बता दिया था कि चूँकि दोनों में से किसी भी उम्मीदवार ने उनसे समर्थन माँगा ही नहीं है, इसलिए उन्होंने किसी भी उम्मीदवार के समर्थन की घोषणा न करने का फैसला लिया है और सदस्यों को अपने अपने विवेक के अनुसार फैसला लेने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया है । एके सिंह की बात यदि सच है, तो क्या यह हैरानी की बात नहीं है कि संदीप सहगल ने अपनी उम्मीदवारी के लिए विचार मंच का समर्थन उनसे माँगा क्यों नहीं ? संदीप सहगल के नजदीकियों का कहना है कि वह शायद इस उम्मीद में होंगे कि शिव कुमार गुप्ता विचार मंच का समर्थन घोषित करवाने के लिए एके सिंह से बात कर लेंगे; अब शिव कुमार गुप्ता ने यदि एके सिंह से बात नहीं की तो इसमें संदीप सहगल की भला क्या गलती है ? संदीप सहगल की गलती भले ही न हो, लेकिन इन तरह की बातों से नुकसान तो संदीप सहगल का ही हुआ है न । लोगों को लगता है कि संदीप सहगल और उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेता जिस तरह विचार मंच को अहमियत देने से बचे, उसकी प्रतिक्रिया में ही विचार मंच के लोगों ने अशोक अग्रवाल को तवज्जो दी ।
इस सारी घपलेबाजी के पीछे केएस लूथरा और एके सिंह के बीच की खुन्नस को भी देखा/पहचाना और जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । डिस्ट्रिक्ट में लोग इस बात को अभी भी भूले नहीं हैं कि पिछले लायन वर्ष में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए एके सिंह को अपनी उम्मीदवारी से केएस लूथरा के रवैये के चलते ही पीछे हटना पड़ा था । केएस लूथरा यूँ तो एके सिंह को गुरनाम सिंह का 'आदमी' बताते रहे हैं, लेकिन पिछले लायन वर्ष में अपने नजदीकियों और समर्थकों को हैरान करते हुए एके सिंह की उम्मीदवारी से दूरी बनाते हुए वह खुद ही गुरनाम सिंह के पास/साथ जा पहुँचे थे । अगले लायन वर्ष के लिए भी एके सिंह की उम्मीदवारी को लेकर केएस लूथरा ने अभी तक भी कोई सकारात्मक संदेश नहीं दिया है । समझा जा रहा है कि इस वर्ष यदि संदीप सहगल की जीत होती है, तो इसे गुरनाम सिंह के खिलाफ अपनी जीत बताते हुए केएस लूथरा अगले लायन वर्ष में एके सिंह की बजाये किसी और को उम्मीदवार के रूप में लायेंगे । केएस लूथरा के इस रवैये के चलते ही शिव कुमार गुप्ता को कई बार स्पष्ट करना पड़ा है कि अगले लायन वर्ष में केएस लूथरा का सहयोग व समर्थन यदि नहीं भी मिलता है, तब भी वह एके सिंह की उम्मीदवारी का ही समर्थन करेंगे । अगले लायन वर्ष में एके सिंह की उम्मीदवारी को किस किस का समर्थन मिलेगा या नहीं मिलेगा, यह तो बाद में पता चलेगा; किंतु इस झमेले की उठापटक के चलते अभी संदीप सहगल की उम्मीदवारी के अभियान में मुसीबतें जरूर पैदा हो रही हैं ।
संदीप सहगल और उनके समर्थकों की इस निराशा को कम करने के लिए केएस लूथरा ने हालाँकि दावा किया है कि एके सिंह के नेतृत्व वाले विचार मंच के फैसला न करने से और उनके आयोजन में अशोक अग्रवाल को अतिरिक्त तवज्जो मिलने से कुछ नहीं होता है; क्योंकि उक्त विचार मंच से जुड़े दूसरे लोग संदीप सहगल की उम्मीदवारी के साथ ही हैं । केएस लूथरा ने कहा है कि विचार मंच के नेताओं ने फैसला इसलिए ही नहीं किया क्योंकि वह जानते थे कि उनका फैसला लोग मानेंगे ही नहीं; इसलिए फैसला न करने में ही भलाई है । केएस लूथरा की यह बातें परस्पर एक दूसरे का ही विरोध करती हैं । उनका यह कहना यदि सच है कि विचार मंच से जुड़े ज्यादातर लोग संदीप सहगल की उम्मीदवारी के पक्ष में हैं, तो फिर विचार मंच के नेताओं ने संदीप सहगल की उम्मीदवारी का समर्थन करने का फैसला किया क्यों नहीं ? वह यह फैसला करते तो लोग उनके फैसले को मानते क्यों नहीं ? इस तरह, केएस लूथरा के सफाई रूपी दावे ने संदीप सहगल और उनके समर्थकों की निराशा को कम करने की बजाये बढ़ा और दिया है ।
एके सिंह के नेतृत्व वाले विचार मंच से समर्थन की घोषणा न होने से संदीप सहगल और उनके समर्थक निराश भले ही हों, लेकिन इस स्थिति के लिए वह खुद भी जिम्मेदार हैं । दरअसल एके सिंह ने मीटिंग में ही बता दिया था कि चूँकि दोनों में से किसी भी उम्मीदवार ने उनसे समर्थन माँगा ही नहीं है, इसलिए उन्होंने किसी भी उम्मीदवार के समर्थन की घोषणा न करने का फैसला लिया है और सदस्यों को अपने अपने विवेक के अनुसार फैसला लेने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया है । एके सिंह की बात यदि सच है, तो क्या यह हैरानी की बात नहीं है कि संदीप सहगल ने अपनी उम्मीदवारी के लिए विचार मंच का समर्थन उनसे माँगा क्यों नहीं ? संदीप सहगल के नजदीकियों का कहना है कि वह शायद इस उम्मीद में होंगे कि शिव कुमार गुप्ता विचार मंच का समर्थन घोषित करवाने के लिए एके सिंह से बात कर लेंगे; अब शिव कुमार गुप्ता ने यदि एके सिंह से बात नहीं की तो इसमें संदीप सहगल की भला क्या गलती है ? संदीप सहगल की गलती भले ही न हो, लेकिन इन तरह की बातों से नुकसान तो संदीप सहगल का ही हुआ है न । लोगों को लगता है कि संदीप सहगल और उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेता जिस तरह विचार मंच को अहमियत देने से बचे, उसकी प्रतिक्रिया में ही विचार मंच के लोगों ने अशोक अग्रवाल को तवज्जो दी ।
इस सारी घपलेबाजी के पीछे केएस लूथरा और एके सिंह के बीच की खुन्नस को भी देखा/पहचाना और जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । डिस्ट्रिक्ट में लोग इस बात को अभी भी भूले नहीं हैं कि पिछले लायन वर्ष में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए एके सिंह को अपनी उम्मीदवारी से केएस लूथरा के रवैये के चलते ही पीछे हटना पड़ा था । केएस लूथरा यूँ तो एके सिंह को गुरनाम सिंह का 'आदमी' बताते रहे हैं, लेकिन पिछले लायन वर्ष में अपने नजदीकियों और समर्थकों को हैरान करते हुए एके सिंह की उम्मीदवारी से दूरी बनाते हुए वह खुद ही गुरनाम सिंह के पास/साथ जा पहुँचे थे । अगले लायन वर्ष के लिए भी एके सिंह की उम्मीदवारी को लेकर केएस लूथरा ने अभी तक भी कोई सकारात्मक संदेश नहीं दिया है । समझा जा रहा है कि इस वर्ष यदि संदीप सहगल की जीत होती है, तो इसे गुरनाम सिंह के खिलाफ अपनी जीत बताते हुए केएस लूथरा अगले लायन वर्ष में एके सिंह की बजाये किसी और को उम्मीदवार के रूप में लायेंगे । केएस लूथरा के इस रवैये के चलते ही शिव कुमार गुप्ता को कई बार स्पष्ट करना पड़ा है कि अगले लायन वर्ष में केएस लूथरा का सहयोग व समर्थन यदि नहीं भी मिलता है, तब भी वह एके सिंह की उम्मीदवारी का ही समर्थन करेंगे । अगले लायन वर्ष में एके सिंह की उम्मीदवारी को किस किस का समर्थन मिलेगा या नहीं मिलेगा, यह तो बाद में पता चलेगा; किंतु इस झमेले की उठापटक के चलते अभी संदीप सहगल की उम्मीदवारी के अभियान में मुसीबतें जरूर पैदा हो रही हैं ।