Friday, March 27, 2015

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ई में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनावी अभियान में प्रभात चतुर्वेदी से बुरी तरह पिछड़ते दिख रहे कुँवर बीएम सिंह की, कॉन्फ्रेंस चेयरमैन का पद बचाने की मजबूरी में सक्रिय हुए मंगल सोनी वाराणसी में कोई मदद वास्तव में कर सकेंगे क्या ?

वाराणसी । कॉन्फ्रेंस चेयरमैन पद से हटाने की धमकी का इस्तेमाल करने के जरिये मंगल सोनी को सक्रिय करने में जगदीश गुलाटी खेमे को जो कामयाबी मिली है, उसके कारण उनके खेमे में छाई हुई मुर्दनी कुछ कम हुई है और वह पुनः लोगों को उत्साहित करने में जुट गए हैं । उल्लेखनीय है कि मंगल सोनी की निष्क्रियता ने कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी का झंडा उठाये जगदीश गुलाटी खेमे को बुरी तरह निराश किया हुआ था । दरअसल वाराणसी में कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने वास्ते जगदीश गुलाटी खेमे के नेता मंगल सोनी पर निर्भर कर रहे थे । यूँ तो वाराणसी में कुँवर बीएम सिंह की उपस्थिति को पिछले दिनों सघन बनाने तथा उनको सम्मानित करने की कार्रवाईयाँ हुई हैं; और दीपक वधावन व मुकुंदलाल टंडन जैसे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वाराणसी में कुँवर बीएम सिंह के लिए वोट इकट्ठे करने के अभियान में भी लगे हुए थे, लेकिन जगदीश गुलाटी को इन दोनों पर भरोसा नहीं हो रहा था । भरोसे के लिए ही वह मंगल सोनी को सक्रिय होते हुए देखना चाह रहे थे । मंगल सोनी सक्रिय हों, इसके लिए जगदीश गुलाटी ने उन्हें कॉन्फ्रेंस चेयरमैन बनवा दिया था । जगदीश गुलाटी को विश्वास था कि कॉन्फ्रेंस चेयरमैन का पद पाकर मंगल सोनी उनके कहे अनुसार काम करने को तैयार हो जायेंगे । मंगल सोनी लेकिन कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी के पक्ष में कुछ करते हुए दिखे नहीं । मंगल सोनी ने पहले तो एक पारिवारिक फंक्शन में व्यस्त होने का बहाना बनाया । पारिवारिक फंक्शन के हो जाने के बाद भी मंगल सोनी जब कुछ करते हुए नहीं दिखे, तब जगदीश गुलाटी का माथा ठनका ।
जगदीश गुलाटी को तब मंगल सोनी की 'बाँह मरोड़ने' की जरूरत महसूस हुई । इसी जरूरत को पूरा करते हुए मंगल सोनी को संदेश पहुँचा दिया गया कि वह यदि कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के काम में नहीं लगे तो कॉन्फ्रेंस चेयरमैन का पद उनसे वापस ले लिया जायेगा । यह धमकी काम कर गई और पद बचाने के लिए मंगल सोनी मैदान में कूद पड़ने के लिए मजबूर हुए । मंगल सोनी की देखरेख में वाराणसी में कुँवर बीएम सिंह की तरफ से पार्टी करने की तैयारी शुरू हो गई है । इसके लिए बढ़िया होटल और बढ़िया कैटरर तय कर लिया गया है तथा प्रयास किए जा रहे हैं कि इस पार्टी में प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार प्रभात चतुर्वेदी के आयोजन में शामिल हुए लोगों से ज्यादा लोग इकठ्ठा हों । जगदीश गुलाटी खेमे का प्रयास है कि वाराणसी की मीटिंग में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भीड़ को जुटाया जाये, ताकि डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच यह संदेश दिया जा सके कि वाराणसी में कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी के लिए भी अच्छा-खासा समर्थन है । 
वाराणसी में अशोक सिंह के नेतृत्व में प्रभात चतुर्वेदी के लिए समर्थन जुटाने की जो मुहिम चली/बनी है, और इस मुहिम को जिस तरह से जो सफलता मिलती दिखी है - उसके चलते जगदीश गुलाटी को कुँवर बीएम सिंह के लिए वाराणसी में मंगल सोनी और उनकी देखरेख में होने वाली पार्टी पर ही भरोसा रह गया है । जगदीश गुलाटी को लगता है कि बढ़िया होटल में बढ़िया खिला-पिला कर वह कुँवर बीएम सिंह को वाराणसी में वोट दिलवा देंगे । वाराणसी में कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी की जिम्मेदारी मंगल सोनी द्धारा ले लेने के बाद से कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी के समर्थकों में कुछ जोश तो भरा है, लेकिन इन समर्थकों में जो लोग राजनीति की हकीकत को समझते हैं उन्हें ज्यादा कुछ बदला या बदलता हुआ नहीं दिख रहा है । इनका कहना है कि मुकुंदलाल टंडन और दीपक वधावन आदि ने पहले से ही वाराणसी में कुँवर बीएम सिंह के समर्थन में मोर्चा सँभाला हुआ था और यहाँ जितना जो समर्थन जुटाया जा सकता था, वह जुटा लिया था । मंगल सोनी के लिए इसमें कोई बढ़ोत्तरी कर पाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव ही होगा । दरअसल मंगल सोनी का लोगों के साथ जो उपेक्षापूर्ण रवैया रहता है, वह जिस तरह लोगों से दूर दूर रहते हैं - उसके कारण लायन राजनीति में उनका जो प्रभाव पहले कभी था भी, वह धीरे-धीरे कम होता गया है ।
मंगल सोनी से ज्यादा जुगाड़ तो दीपक वधावन के पास है, जिसे उन्होंने अपनी सक्रियता से बनाया है । दीपक वधावन चूँकि सक्रिय रहते हैं, इसलिए लोगों के साथ उनके मेलजोल वाले संबंध हैं । वाराणसी में कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी के लिए अभी तक जो समर्थन बना/मिला है, उसमें काफी हद तक दीपक वधावन का ही काम और सहयोग है । यह जरूर है कि मंगल सोनी के सक्रिय होने से दीपक वधावन द्धारा जुटाए गए समर्थन को मजबूती मिल गई है और वह विश्वसनीय बन गया है । यह बात सभी मानते और कहते हैं कि वाराणसी की चुनावी राजनीति में सक्रियता भले ही दीपक वधावन की ज्यादा हो - लेकिन साख, विश्वास और भरोसा उनकी तुलना में मंगल सोनी का ज्यादा है । इसलिए मंगल सोनी भले ही कुँवर बीएम सिंह के लिए वोटों का और जुगाड़ न कर सकें, लेकिन दीपक वधावन ने जो वोट जुटाए हुए हैं उन्हें पक्का करने का काम अवश्य ही कर लेंगे । समस्या किंतु यह है कि इतने भर से तो कुँवर बीएम सिंह का काम बनता हुआ नहीं दिख रहा है । वाराणसी में अशोक सिंह के नेतृत्व में प्रभात चतुर्वेदी की उम्मीदवारी के पक्ष में जो फील्डिंग सजाई गई है, तथा वाराणसी के अधिकतर पुराने और नए 'गवर्नरों' ने जिस तरह प्रभात चतुर्वेदी की उम्मीदवारी के समर्थन में मोर्चा सँभाला हुआ है, उससे निपट पाना और मुकाबला कर पाना कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं के लिए खासा चुनौतीपूर्ण ही है ।
कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी के समर्थकों के लिए डिस्ट्रिक्ट का दक्षिण क्षेत्र सबसे बड़ी मुसीबत बना हुआ है । यूँ तो यहाँ के सबसे बड़े नेता वीरेंद्र गोयल उनके समर्थन में हैं, लेकिन फिर भी इस क्षेत्र के करीब 40 वोटों में से 35 से ज्यादा वोट प्रभात चतुर्वेदी के पक्ष में जाते दिख रहे हैं । इलाहाबाद में जगदीश गुलाटी के जो विरोधी हैं उन्होंने कुँवर बीएम सिंह के खिलाफ मोर्चा सँभाल लिया है । डिस्ट्रिक्ट के दक्षिण क्षेत्र में तथा इलाहाबाद में कुँवर बीएम सिंह की स्थिति के पतली होने की जानकारी चूँकि वाराणसी के लोगों को भी मिल रही है, इसलिए उनमें यह फीलिंग आ रही है कि प्रभात चतुर्वेदी के समर्थन में रहने में ही फायदा है । वाराणसी के लायन सदस्यों के बीच फैला यह अंडरकरेंट कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी के समर्थकों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है । ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कॉन्फ्रेंस चेयरमैन का पद बचाने के मजबूरी में सक्रिय हुए मंगल सोनी के नेतृत्व में एक बड़े होटल और एक बड़े कैटरर की जो सेवाएँ ली जा रही हैं, उसका कैसा/क्या असर पड़ेगा - और पड़ेगा भी कि नहीं ?