Monday, March 9, 2015

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में लखनऊ में अशोक अग्रवाल से पिछड़ रहे संदीप सहगल के समर्थकों ने नीरज बोरा, भूपेश बंसल और शिव कुमार गुप्ता को जिम्मेदार ठहराना शुरू किया

लखनऊ । नीरज बोरा, भूपेश बंसल और शिव कुमार गुप्ता से अपेक्षित मदद न मिलने के कारण संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थकों के बीच निराशा पैदा हो रही है, और उनके बीच शिकायतें सुनी जा रही हैं कि इन लोगों को जितनी सक्रियता दिखानी चाहिए ये लोग उतनी सक्रियता दिखा नहीं रहे हैं । संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थकों का कहना है कि इन तीनों के ढीले-ढाले रवैये के कारण लखनऊ में संदीप सहगल की उम्मीदवारी के पक्ष में उतना समर्थन भी नहीं जुटाया जा पा रहा है, जितना कि आसानी से जुटाया जा सकता है ।
संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थकों को यह शिकायत इसलिए भी करनी पड़ रही है क्योंकि वह देख रहे हैं कि उनके प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार अशोक अग्रवाल के समर्थन में गुरनाम सिंह के साथ-साथ संजय चोपड़ा, विशाल सिन्हा और अनुपम बंसल ने भी जी-तोड़ प्रयास जारी रखे हुए हैं, जिसके चलते लखनऊ में अशोक अग्रवाल का पलड़ा काफी भारी होता जा रहा है । उल्लेखनीय है कि संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थक बड़े नेता भी लगातार यह मानते और कहते रहे हैं कि लखनऊ में संदीप सहगल के मुकाबले अशोक अग्रवाल को बढ़त है । यह स्वीकार करने के साथ साथ वह हालाँकि यह दावा भी करते रहे हैं कि अशोक अग्रवाल की जो बढ़त है, उसे वह कम कर लेंगे । अशोक अग्रवाल की बढ़त को कम करने के लिए संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थक नीरज बोरा, भूपेश बंसल और शिव कुमार गुप्ता पर निर्भर थे । उन्हें भरोसा था कि इन लोगों की सक्रियता से वह लखनऊ में संदीप सहगल को अशोक अग्रवाल से ज्यादा पीछे नहीं रहने देंगे । किंतु चुनाव का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा है वैसे वैसे संदीप सहगल के समर्थकों को यह देख कर निराशा हो रही है कि ये तीनों लोग अपेक्षित मदद नहीं कर रहे हैं ।
संदीप सहगल के समर्थकों को पिछले दिनों असल में उस समय बड़ा झटका लगा जब उन्हें पता चला कि लखनऊ के एक क्लब के कार्यक्रम का निमंत्रण प्राप्त करने की कोशिश करने के बाद भी संदीप सहगल को निमंत्रण नहीं मिला । इस जानकारी का लखनऊ से बाहर के, तराई क्षेत्र के लोगों के बीच नकारात्मक संदेश गया; और वहाँ लोगों को यह कहते हुए सुना गया कि संदीप सहगल के लखनऊ के समर्थक नेता यदि उन्हें किसी क्लब के कार्यक्रम का निमंत्रण भी नहीं दिलवा सकते हैं, तो फिर वोट कैसे दिलवायेंगे ? संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थकों ने हालाँकि यह तर्क देकर लोगों को कनविंस करने की कोशिश तो की कि केएस लूथरा के साथ अपने विरोध के चलते उक्त क्लब के पदाधिकारी संदीप सहगल को निमंत्रण देने के लिए तैयार नहीं हुए; लेकिन लोगों के बीच सवाल फिर भी बना रहा कि उक्त क्लब के पदाधिकारियों का विरोध यदि केएस लूथरा के साथ है भी तो नीरज बोरा, भूपेश बंसल और शिव कुमार गुप्ता तो निमंत्रण दिलाने के लिए प्रयास कर सकते थे ? इन्होंने प्रयास क्यों नहीं किया ? शिव कुमार गुप्ता तो फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, तीन-चार महीने बाद वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होंगे - वह यदि सचमुच चाहते और कोशिश करते तो संदीप सहगल को निमंत्रण तो मिल ही जाता और डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच नकारात्मक संदेश नहीं जाता ।
संदीप सहगल की उम्मीदवारी के अभियान में दरअसल झंझट इस कारण भी बना दिख रहा है कि सारा बोझ एक अकेले केएस लूथरा के सिर आ पड़ा है, और दूसरे समर्थक नेताओं का उन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है । ले दे कर एक एचएस सच्चर और संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थन में सक्रिय हैं, लेकिन वह चुनावी राजनीति की वास्तविकताओं और जुगाड़ों की व्यवस्था से इस कदर अनजान हैं कि उनका काम भी केएस लूथरा को ही करना पड़ रहा है । संदीप सहगल की उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए पहले यह व्यवस्था बनाई गई थी कि तराई क्षेत्र का काम एचएस सच्चर देखेंगे और लखनऊ का जिम्मा केएस लूथरा सँभालेंगे । लेकिन जब 'सचमुच का काम' करने का समय आया तो पता चला कि एचएस सच्चर को न तो ज्यादा कुछ पता है और न ही उनके लिए लोगों का साधना संभव होगा । तब केएस लूथरा को आगे आकर उनकी जिम्मेदारी सँभालनी पड़ी । तराई क्षेत्र के क्लब्स में केएस लूथरा का अच्छा परिचय और प्रभाव भी है; वहाँ वही स्थितियों को नियंत्रित भी कर सकते हैं । केएस लूथरा ने तराई क्षेत्र में जिम्मेदारी सँभाली तो लखनऊ का काम पिछड़ गया । कहने को तो लखनऊ में नीरज बोरा, भूपेश बंसल और शिव कुमार गुप्ता को संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थन में देखा/पहचाना जाता है । लेकिन नीरज बोरा और भूपेश बंसल चूँकि चुनावी राजनीति की जरूरत के हिसाब से सक्रिय होने का मिजाज नहीं रखते हैं, इसलिए उनके केएस लूथरा के पूरक बनने की किसी ने उम्मीद भी नहीं की; शिव कुमार गुप्ता फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते खुल कर ज्यादा कुछ करने से बचते हुए दिखे हैं ।
संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थकों की शिकायत यही है कि अशोक अग्रवाल को तो अपने समर्थक नेताओं - गुरनाम सिंह, अनुपम बंसल, संजय चोपड़ा, विशाल सिन्हा आदि का खुला और सक्रिय समर्थन मिल रहा है; जबकि संदीप सहगल एक अकेले केएस लूथरा के भरोसे छोड़ दिए गए हैं तथा उनके बाकी समर्थक नेता 'इस' कारण से या 'उस' कारण से या तो चुप बैठे हैं और या उतने सक्रिय नहीं हैं जितना सक्रिय उनको होना चाहिए । शिव कुमार गुप्ता को तो संदीप सहगल की उम्मीदवारी के बड़े घनघोर समर्थक के रूप में देखा/पहचाना जाता है; इसलिए उनको भी ज्यादा सक्रिय न होता देख संदीप सहगल के समर्थकों के बीच असमंजस बना है । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अशोक अग्रवाल और संदीप सहगल के बीच होने वाले चुनाव में लखनऊ का खास रोल है, जहाँ कि अशोक अग्रवाल का पलड़ा पहले से ही भारी देखा/पहचाना जा रहा है । ऐसे में, संदीप सहगल को जिन लोगों से मदद की उम्मीद है उन लोगों से अपेक्षित मदद न मिलती देख कर संदीप सहगल के समर्थकों का निराश होना स्वाभाविक ही है । संदीप सहगल के कुछेक समर्थकों ने इसके लिए नीरज बोरा, भूपेश बंसल और शिव कुमार गुप्ता को जिस तरह से निशाने पर लेना शुरू कर दिया है, उससे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव खासा दिलचस्प हो गया है ।