Wednesday, March 18, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में जेके गौड़ की तरह एक कठपुतली डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में 'दिखने' से बचने की कोशिश करने के बावजूद शरत जैन के लिए रमेश अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाने से बचना संभव होगा क्या ?

नई दिल्ली । रमेश अग्रवाल ने जिस तरह शरत जैन के गवर्नर-काल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में 'काम करना' शुरू कर दिया है, उसे 'देख' कर मुकेश अरनेजा को खासा तगड़ा झटका लगा है । डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के इस पद पर दरअसल मुकेश अरनेजा ने भी अपनी गिद्ध दृष्टि लगाई हुई है । उन्हें अभी भी लगता है कि रमेश अग्रवाल चूँकि नए बने डिस्ट्रिक्ट के पहले डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर हैं ही, इसलिए दूसरे डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने का मौका वह उनके लिए छोड़ देंगे । रमेश अग्रवाल लेकिन छोड़ने में नहीं, बल्कि कब्जाने में यकीन रखते हैं । मजे की बात यह है कि शरत जैन इस बात से इंकार कर रहे हैं कि उन्होंने रमेश अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बना दिया है । उनके इस इंकार पर दो तरह की प्रतिक्रियाएँ हैं : जिन लोगों को उनके इस इंकार पर विश्वास है, उनका कहना है कि रमेश अग्रवाल की जैसी फितरत है उसके चलते वह इस बात का इंतजार नहीं करेंगे कि शरत जैन उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनायें - वह खुद ही बन जायेंगे; क्योंकि वह जानते हैं कि जब वह खुद ही बन जायेंगे तब शरत जैन की इतनी हिम्मत नहीं होगी कि वह उन्हें मना कर सकें या हटा सकें । शरत जैन के इंकार पर जिन लोगों को विश्वास नहीं है, उनका मानना और कहना है कि शरत जैन होशियारी दिखा रहे हैं : दूसरों के सामने तो वह यह पोज़ करते हैं जैसे कि वह रमेश अग्रवाल को उनकी हरकतों के कारण पसंद नहीं करते हैं, लेकिन अंदरखाने वह रमेश अग्रवाल से मिले हुए हैं और पूरी तरह उन पर निर्भर हैं ।
शरत जैन के सामने दरअसल एक बड़ी चुनौती यह है कि डिस्ट्रिक्ट में लोगों के सामने उनको यह दिखाना और साबित करना है कि वह जेके गौड़ की तरह रमेश अग्रवाल के पिट्ठू बन कर नहीं रहेंगे । शरत जैन के बारे में दूसरे लोगों को भी लगता है कि शरत जैन चूँकि जेके गौड़ की तुलना में ज्यादा काबिलियत रखते हैं, इसलिए रमेश अग्रवाल उन्हें वैसे नाच नहीं नचवा सकेंगे जैसे उन्होंने जेके गौड़ को नचाया हुआ है । लेकिन स्थितियों को बुनियादी रूप से जानने/समझने वालों को लगता है कि जेके गौड़ और शरत जैन में कोई खास अंतर नहीं है । ऐसे लोगों का कहना है कि हो सकता है कि जेके गौड़ के मुकाबले शरत जैन ज्यादा पढ़े-लिखे हों, उनकी अंग्रेजी जेके गौड़ से अच्छी हो, उनका कॉन्फिडेंस लेबल जेके गौड़ से बेहतर हो - लेकिन रोटरी के व्यावहारिक कामकाजी मामले में शरत जैन भी जेके गौड़ की तरह निल बटा निल ही हैं । जेके गौड़ के पास अशोक अग्रवाल और पूनम बाला जैसे प्रतिबद्ध व आज्ञाकारी व कर्मठ किस्म के सहयोगी तो हैं, शरत जैन को तो ऐसे सहयोगी शायद ही मिल पाएँ । इसलिए उनके लिए रमेश अग्रवाल के सामने समर्पण करने के अलावा कोई चारा नहीं होगा । चारा भले ही न हो, लेकिन अपने आप को जेके गौड़ से बेहतर दिखाने की चुनौती तो उनके सामने है ही - इसके लिए शरत जैन ने फार्मूला यह निकाला है कि दूसरे लोगों, खासकर रमेश अग्रवाल की हरकतों की खिलाफत करने वाले लोगों के सामने तो वह रमेश अग्रवाल की बुराई करते रहते हैं और उनसे दूर रहने की बात करते हैं, लेकिन हैं उन्हीं के भरोसे !
इसीलिए लोगों को लगता है कि रमेश अग्रवाल ने शरत जैन के गवर्नर-काल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में काम करने की जो तैयारी 'दिखाई' है, उसमें शरत जैन की सहमति है । शरत जैन की सहमति की इस बात ने ही मुकेश अरनेजा के तोते उड़ाए हुए हैं । यह बात यदि सच है तो मुकेश अरनेजा की डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने की इच्छा तो बेमौत ही मारी गई हो जायेगी । शरत जैन की समस्या यह भी है कि उन्हें एक काम करने वाला व्यक्ति चाहिए । रमेश अग्रवाल की हरकतें चाहें जैसी हों, लेकिन वह काम करने के तो धुनी हैं ही । मुकेश अरनेजा को काम करने की बजाये राजनीति करने में ज्यादा मजा आता है । इस मजे के चक्कर में ही वह अमित जैन द्धारा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाये जाने के कुछ ही दिन बाद पद से हटा दिए गए थे । अमित जैन वाला किस्सा शरत जैन को याद होगा ही, और स्वाभाविक रूप से वह नहीं चाहेंगे कि वह पहले तो मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाएँ और फिर उनकी कारस्तानियों के कारण उन्हें हटाने के लिए मजबूर हों ।
बात सिर्फ शरत जैन के चाहने और/या न चाहने की भी नहीं है । डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद हथियाना रमेश अग्रवाल की भी जरूरत है । जरूरत का एक कारण आशीष घोष की बराबरी करने का भी है । रमेश अग्रवाल के कुछेक नजदीकियों का ही कहना है कि आशीष घोष ने लगातार दो वर्ष डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने का जो रिकॉर्ड बनाया है, रमेश अग्रवाल उसकी बराबरी तो कर ही लेना चाहते हैं । दरअसल रमेश अग्रवाल को सीओएल के चुनाव में आशीष घोष से पराजय का जो डंक मिला है, उसने घाव कुछ ज्यादा गहरा किया हुआ है । उस घाव पर मरहम लगाने के लिए रमेश अग्रवाल को, लगातार दो वर्ष डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने के आशीष घोष के रिकॉर्ड की बराबरी करना जरूरी लग रहा है । आशीष घोष का रिकॉर्ड हालाँकि कुछ अलग है - उन्होंने एक डिस्ट्रिक्ट (3010) के अंतिम तथा एक दूसरे डिस्ट्रिक्ट (3011) के पहले डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने का रिकॉर्ड बनाया है; रमेश अग्रवाल इस रिकॉर्ड की बराबरी तो नहीं कर सकेंगे; लेकिन लगातार दो बार डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनकर उनके घाव की हीलिंग में कुछ तो मदद मिलेगी ही । समझा जाता है कि रमेश अग्रवाल ने इसीलिए अपने आप को शरत जैन के गवर्नर-काल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया है ।
शरत जैन अभी तो इंकार कर रहे हैं कि उन्होंने अभी किसी को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर नहीं बनाया है; लेकिन जल्दी ही उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के नाम की घोषणा तो करनी ही पड़ेगी । वह कई लोगों से यह कहते रहे हैं कि जेके गौड़ की तरह वह रमेश अग्रवाल के पिट्ठू बनकर नहीं रहेंगे । जाहिर है कि उनके सामने यह दिखाने/जताने की एक बड़ी चुनौती है कि वह जेके गौड़ की तरह एक कठपुतली गवर्नर बनकर नहीं रहेंगे । यह दिखाने/जताने की शुरुआत डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर पद के लिए शरत जैन द्धारा किए गए फैसले से ही होगी - इसीलिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर पद के लिए उनकी तरफ से औपचारिक घोषणा का सभी को इंतजार है । सभी को यह जानने/देखने की उत्सुकता है कि खुद को शरत जैन के गवर्नर-काल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में प्रोजेक्ट करने वाले रमेश अग्रवाल का वास्तव में होता क्या है ?