Monday, March 30, 2015

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ई में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं के लिए यह सवाल मुसीबत बना हुआ है कि पिछले वर्षों में वह जब अपने तीन तीन उम्मीदवारों को चुनाव नहीं जितवा सके और लगातार पराजित होते रहे हैं, तो इस बार कुँवर बीएम सिंह को चुनाव वह कैसे जितवा देंगे ?

वाराणसी । प्रभात चतुर्वेदी और कुँवर बीएम सिंह के बीच सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए होने वाले चुनाव से पहले की स्थितियों को लेकर प्रस्तुत की गईं अपनी रिपोर्ट्स पर 'रचनात्मक संकल्प' को दोनों ही पक्षों की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है । मजे की बात है कि दोनों ही पक्षों का आरोप है कि 'रचनात्मक संकल्प' स्थिति की सही तस्वीर प्रस्तुत नहीं कर रहा है । कुँवर बीएम सिंह की तरफ के लोगों का आरोप है कि 'रचनात्मक संकल्प' कुँवर बीएम सिंह की स्थिति को कमजोर करके आँक रहा है, जबकि उनकी स्थिति बहुत ही मजबूत है । प्रभात चतुर्वेदी की तरफ के लोगों का आरोप है कि 'रचनात्मक संकल्प' प्रभात चतुर्वेदी की स्थिति की उस मजबूती को नहीं पहचान और 'दिखा' रहा है, जितनी मजबूत वह वास्तव में है । यूँ तो चूँकि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए होने वाले हर चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार को पूरा पूरा भरोसा होता है कि चुनावी नतीजा उसके ही पक्ष में आयेगा और वही जीतेगा, इसलिए दोनों उम्मीदवारों के समर्थक नेता यदि अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं - तो इसमें कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है । लेकिन चुनाव जीतता तो कोई एक ही है - जाहिर है कि महत्व उम्मीदवारों के समर्थक नेताओं के दावे का उतना नहीं है, जितना दिखने वाली जमीनी सच्चाई का और बुनियादी सवालों के मिलने वाले जबावों का है ।
बहरहाल, पहले दोनों उम्मीदवारों के समर्थक नेताओं के दावों की पड़ताल करते हैं । कुँवर बीएम सिंह की तरफ से डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ लायन राधे मारवाह ने फोन करके 'रचनात्मक संकल्प' में प्रकाशित अभी तक की रिपोर्ट्स को एकतरफा बताते हुए सीधा दावा किया कि कुँवर बीएम सिंह को 150 के करीब वोट मिल रहे हैं । प्रभात चतुर्वेदी की तरफ के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डॉक्टर अशोक सिंह ने ईमेल भेज कर दावा किया कि प्रभात चतुर्वेदी को 130 से 150 के बीच वोट मिलेंगे । अब इनमें से किसके दावे को सही माना जाये ? या किसका दावा सही है, इसे नापने/समझने का आधार क्या हो ? हालाँकि इन दोनों लोगों ने अपने अपने दावे को लेकर अपने अपने आधार प्रस्तुत किए हैं । राधे मारवाह ने इन पँक्तियों के लेखक को बताया कि कुँवर बीएम सिंह को इलाहाबाद में एक नितिन यशार्थ के क्लब को छोड़ कर बाकी सभी क्लब्स का समर्थन प्राप्त है; सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर में पूरा पूरा समर्थन है; गोरखपुर क्षेत्र और वाराणसी में आधे से ज्यादा वोट मिलेंगे; दक्षिण क्षेत्र में रेनुकूट को छोड़ कर बाकी सभी क्लब के वोट मिलेंगे । राधे मारवाह ने यहाँ तक दावा किया कि रेनुकूट के प्रभात चतुर्वेदी के क्लब के भी चार-पाँच वोट कुँवर बीएम सिंह को मिल सकते हैं । इस दावे के संदर्भ में उनका तर्क रहा कि रेनुकूट क्लब में हिंडाल्को वालों व गैर-हिंडाल्को वालों के बीच तनातनी रहती है, जिसका फायदा कुँवर बीएम सिंह को मिलेगा । प्रभात चतुर्वेदी को मिलने वाले वोटों का गणित बताते हुए डॉक्टर अशोक सिंह ने दावा किया कि प्रभात चतुर्वेदी को वाराणसी के 24 तथा इलाहाबाद के 5 क्लब्स के, सुल्तानपुर व प्रतापगढ़ के आधे-आधे तथा गोरखपुर के सभी वोट मिलेंगे । जौनपुर और दक्षिण क्षेत्र के ज्यादातर वोट प्रभात चतुर्वेदी के खाते में जाने का डॉक्टर अशोक सिंह ने दावा किया ।
कुँवर बीएम सिंह के संदर्भ में राधे मारवाह के दावे को और प्रभात चतुर्वेदी के संदर्भ में डॉक्टर अशोक सिंह के गणित पर यदि विश्वास किया जाये, तो वोटों की गिनती तीन सौ तक पहुँचती है । समस्या की बात लेकिन यह है कि वोट तो कुल 210 के आसपास ही हैं । राधे मारवाह भी और डॉक्टर अशोक सिंह भी वरिष्ठ व अनुभवी व्यक्ति हैं - हम विश्वास करते हैं कि दोनों में से कोई भी हवा में बात नहीं कर रहा है; और दोनों लोग जो दावा कर रहे हैं वह क्लब्स के पदाधिकारियों व अन्य प्रमुख सदस्यों से मिले फीडबैक के आधार पर ही उन्होंने बनाया होगा । यानि, बहुत से क्लब्स के पदाधिकारी दोनों उम्मीदवारों और उनके समर्थक नेताओं को समर्थन देने की बात कर रहे हैं । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में डिस्ट्रिक्ट के जो लोग दोनों को वोट देने की बात कह रहे हैं, उनका वोट वास्तव में जायेगा तो किसी एक को ही । उनका वोट सचमुच में किसे जायेगा, यह पहचानना/समझना उम्मीदवारों व उनके समर्थकों के साथ-साथ दूसरों के लिए भी बहुत मुश्किल है - मुश्किल क्या, असंभव ही है । यह पहचानना/समझना क्लब्स के स्तर पर ही मुश्किल और/या असंभव नहीं है, बल्कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के स्तर पर भी यही सीन है । डॉक्टर अशोक सिंह का दावा है कि 16 पूर्व गवर्नर्स प्रभात चतुर्वेदी के समर्थन में हैं; तो राधे मारवाह ने बताया कि 15 पूर्व गवर्नर्स कुँवर बीएम सिंह को वोट देंगे । यानि करीब 8/9 पूर्व गवर्नर्स ऐसे हैं, जो दोनों पक्षों को गोली दिए हुए हैं - और दोनों तरफ के लोग उन्हें अपने अपने साथ मान रहे हैं ।
जाहिर है कि चुनावी नतीजा हमेशा 'दिखने' वाले तथ्यों पर ही निर्भर नहीं होता है - वास्तव में वह कई 'छिपे' किस्म के तथ्यों पर आधारित होता है । हर चुनाव की एक अलग केमिस्ट्री होती है, हर वोट की भी एक अलग केमिस्ट्री होती है । वोट की और चुनाव की रहस्यमयी केमिस्ट्री का ताजा उदाहरण देखने के लिए दिल्ली के विधानसभा चुनाव को याद किया जा सकता है । लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें जीतने वाली और 70 विधानसभा सीटों में से 60 में सबसे आगे रहने वाली भारतीय जनता पार्टी - किसने कल्पना भी की होगी कि - मात्र सात महीने बाद हो रहे विधानसभा के चुनाव में कुल तीन सीट ही पा सकेगी । लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ई के पिछले वर्षों के चुनावी परिदृश्य को याद करें, तो क्या यह बहुत रहस्यपूर्ण नहीं लगता कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में जिस जगदीश गुलाटी/वीरेंद्र गोयल खेमे को खासा मजबूत माना/समझा जाता रहा है, उस खेमे के उम्मीदवार पिछले तीन चुनावों से लगातार हार रहे हैं ?
कुँवर बीएम सिंह और प्रभात चतुर्वेदी के बीच हो रहे चुनाव का नतीजा तो 12 अप्रैल को पता चलेगा, लेकिन वह नतीजा क्या हो सकता है - इसका कोई भी अनुमान परसेप्शन (अवधारणा) और सेंटीमेंट्स के आधार पर ही लगाया जा सकता है । कुँवर बीएम सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं की तरफ से अभी तक भी इस सवाल का कोई तर्कपूर्ण और संतोषजनक जवाब नहीं मिला है कि जगदीश गुलाटी/वीरेंद्र गोयल के नेतृत्व वाला जो खेमा पिछले वर्षों में अमित मोटवानी, प्रदीप जायसवाल, मुकेश पाठक को चुनाव नहीं जितवा सका है और लगातार पराजित होता रहा है, वह इस बार कुँवर बीएम सिंह को कैसे और क्यों चुनाव जितवा देगा ? एक और सेंटीमेंट कुँवर बीएम सिंह के समर्थकों के लिए बड़ी चुनौती है - कुँवर बीएम सिंह को इस बात से तो फायदा मिलता दिख रहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आनंद श्रीवास्तव का समर्थन उनके साथ है; लेकिन फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रकाश अग्रवाल और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल तुलस्यान को प्रभात चतुर्वेदी के साथ देखा/पहचाना जा रहा है । कुँवर बीएम सिंह के समर्थकों के लिए चुनौती इसलिए है क्योंकि डिस्ट्रिक्ट के लोग मौजूदा गवर्नर की बजाये आने वाले गवर्नर के साथ ज्यादा रहना/दिखना पसंद करते हैं । यह बातें मुकाबले में कुँवर बीएम सिंह को पीछे धकेलती हैं । इन बातों के प्रभाव को निष्प्रभावी बनाने के लिए उनके समर्थक नेता हालाँकि प्रयास तो बहुत कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए मुसीबत की बात यह भी है कि प्रभात चतुर्वेदी के समर्थक नेता भी आश्वस्त होकर नहीं बैठे हुए हैं ।
दोनों उम्मीदवारों और उनके समर्थक नेताओं की सक्रियता को देखते हुए अधिकतर लोग - और वह लोग भी जिन्हें प्रभात चतुर्वेदी जीतते हुए दिख रहे हैं - मान रहे हैं कि चुनाव काँटे का है । जाहिर है कि अगले दस-बारह दिन खासी गहमा-गहमी वाले होंगे । अपने स्रोतों से मिलने वाले फीडबैक के जरिए इस गहमा-गहमी पर हमारी तो नजर होगी ही, आप भी फीडबैक देते रहेंगे तो स्थितियों को पहचानने/समझने में और मदद मिलेगी ।