Thursday, March 12, 2015

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए संदीप सहगल की उम्मीदवारी के नामांकन के मौके पर समर्थकों की बजाये 'विरोधियों' की ज्यादा उपस्थिति चुनाव में दोनों उम्मीदवारों के समर्थकों के पाला बदलने के किसी बड़े उलट-फेर का तो संकेत नहीं है

लखनऊ । संदीप सहगल की उम्मीदवारी का नामांकन यूँ तो खासे जोरशोर और कई एक बड़े नेताओं की उपस्थिति तथा विभिन्न क्लब्स से आये/जुटे लोगों की बड़ी भीड़ के साथ जमा किया गया, लेकिन उस बड़ी भीड़ में समर्थकों की बजाये 'विरोधियों' की मौजूदगी ने सभी का ध्यान खींचा और फिर यही बात लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए शिव कुमार गुप्ता की उम्मीदवारी के साथ साथ सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए संदीप सहगल की उम्मीदवारी के नामांकन के समय भूपेश बंसल, केएस लूथरा, जीएन मेहरोत्रा, वीएस दीक्षित, एचएस सच्चर जैसे पूर्व गवर्नर्स मौजूद थे; तो लायंस क्लब लखनऊ, लखनऊ अभिलाषा, लखनऊ अंबर ब्ल्यू, लखनऊ आशीर्वाद, लखनऊ आस्था, लखनऊ आशीष, लखनऊ कैण्ट, लखनऊ ईस्ट गोमती, लखनऊ गोमती, लखनऊ ग्रेटर, लखनऊ इंदिरा, लखनऊ महानगर, लखनऊ इंटेलीजेंसिया, लखनऊ मैत्री, लखनऊ मेट्रोपोलिटन, लखनऊ अवध, लखनऊ अवध प्रेरणा, लखनऊ प्रतिष्ठा, लखनऊ राजधानी, लखनऊ राजधानी अनिंद, लखनऊ राजश्री, लखनऊ संस्कृति,लखनऊ सेवा, लखनऊ शान-ए-अवध डायमंड, लखनऊ शान-ए-अवध गोल्ड, लखनऊ शिवालिक, लखनऊ तहजीब, लखनऊ सुरभि, बाराबंकी, गोंडा, काशीपुर ग्रेटर, काशीपुर सेंट्रल, काशीपुर डायमंड, काशीपुर सिटी, जसपुर आदि क्लब्स के पदाधिकारी तथा अन्य लोग भी साथ में थे ।
उम्मीदवारी के नामांकन के समय बड़े नेताओं तथा विभिन्न क्लब्स के लोगों की मौजूदगी ने संदीप सहगल के समर्थकों को पहली नजर में तो खासा उत्साहित किया, लेकिन बाद में जैसे जैसे वहाँ मौजूद लोगों को 'पहचानना' शुरू किया गया - तो पहली नजर में पैदा हुआ और बना उत्साह हल्का पड़ता गया । नामांकन के समय मौजूद क्लब्स के लोगों को बाद में जब 'पहचानना' शुरू किया गया, तब यह 'जान' कर संदीप सहगल के समर्थकों को खासी हैरानी हुई कि लखनऊ के जिन क्लब्स व लोगों को संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थन में देखा/समझा जा रहा है, वह तो उक्त मौके पर नदारत थे; और जो वहाँ उपस्थित थे उनमें से कइयों को प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार अशोक अग्रवाल के समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जाता है । कुछेक क्लब्स और लोगों को तो अशोक अग्रवाल के ऐसे कट्टर समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जाता है जिनके बारे में संदीप सहगल के समर्थक नेताओं को पूरा पूरा विश्वास है कि वह संदीप सहगल की उम्मीदवारी के नामांकन के समय मौजूद भले ही थे, लेकिन उनका वोट पक्के तौर पर अशोक अग्रवाल के साथ ही है । इसी बिना पर संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थक बड़े नेताओं ने इन पँक्तियों के लेखक से बात करते हुए स्वीकार किया कि जो लोग संदीप सहगल की उम्मीदवारी के नामांकन के मौके पर उपस्थित थे, उनमें से कई अशोक अग्रवाल की उम्मीदवारी के नामांकन के समय भी उपस्थित हो सकते हैं ।
संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थकों को हालाँकि इस बात से ज्यादा हैरानी नहीं है कि अशोक अग्रवाल के समर्थक समझे जाने वाले क्लब्स व लोग संदीप सहगल की उम्मीदवारी के नामांकन के मौके पर उपस्थित हुए; उनको हैरानी और चिंता इस बात से हुई है कि लखनऊ में जिन लोगों को संदीप सहगल के साथ समझा जाता है, वह इस मौके पर गायब क्यों रहे ? तो क्या दोनों उम्मीदवारों के समर्थकों में कोई बड़ा उलट-फेर हो रहा है - और क्या इनके समर्थकों के उनके साथ और उनके समर्थकों के इनके साथ आने की संभावना बन रही है ? यह तो हालाँकि दूर की कौड़ी है, लेकिन संदीप सहगल के समर्थकों के बीच इस बात को लेकर चिंता तो प्रकट हुई ही है कि संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थन में समझे जाने वाले लखनऊ के क्लब्स और लोग इस महत्वपूर्ण मौके से दूर दूर क्यों रहे ? इसी चिंता में संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने अब यह हिसाब-किताब लगाना शुरू किया है कि संदीप सहगल की उम्मीदवारी के समर्थक समझे जाने वाले जो लोग इस मौके पर उपस्थित नहीं हुए, वोटिंग के मौके पर वह कहीं धोखा तो नहीं देंगे ?