Wednesday, July 17, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में प्रोजेक्ट के नाम पर रोटरी फाउंडेशन के पैसों की लूट के मामले को तथा इस मामले में डिस्ट्रिक्ट के कुछेक गवर्नर्स की मिलीभगत को रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन के प्रेसीडेंट सुरेश गुप्ता ने बेनकाब किया

नई दिल्ली । रोटरी फाउंडेशन के पैसों की 'लूट' के मामले में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स रमन भाटिया, नरसिम्हन सुब्रमणियन व सुशील खुराना तथा निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया व मौजूदा गवर्नर सुरेश भसीन तथा इन दोनों के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर विनोद बंसल के बीच जो एकता 'दिखी' है, वह रोटरी में लूट-खसोट के तंत्र की जड़ों के व्यापक होने का आभास देती है । मामला एक ग्लोबल ग्रांट (जीजी 1755679) का है, जिसके तहत रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन को दिल्ली के पटेल नगर के नजदीक स्थित कठपुतली कॉलोनी में 'कठपुतली कॉलोनी फ्री एजुकेशन सेंटर' के लिए करीब 88 लाख रुपए मिले । यह ग्रांट क्लब के वरिष्ठ सदस्य व पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमन भाटिया के प्रयासों से मिली बताई गई । लेकिन क्लब में ही इस ग्रांट और इससे जुड़े प्रोजेक्ट को लेकर संदेह पैदा हो गया और आरोप लगने लगे कि यह ग्रांट बच्चों को फ्री एजुकेशन देने के लिए नहीं, बल्कि कुछेक वरिष्ठ रोटेरियंस की जेबें भरने के लिए ली गई है । पिछले रोटरी वर्ष में क्लब के पदाधिकारियों को शिकायत मिली, तो जाँच-पड़ताल के लिए क्लब के वरिष्ठ सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई - जिसके मुखिया तत्कालीन प्रेसीडेंट इलेक्ट सुरेश गुप्ता बने । कमेटी ने कुछेक प्रोफेशनल एक्सपर्ट्स की मदद लेकर की गई अपनी जाँच-पड़ताल में प्रोजेक्ट को पूरा करने की तैयारी को फर्जी व झूठा पाया और प्रोजेक्ट के खर्चे के आकलन को तीन से चार गुना तक बढ़ा-चढ़ा देखा । कमेटी ने पाया/समझा कि जो काम किया जाना है, उसमें मुश्किल से 25 से 30 लाख रुपए के बीच रकम खर्च होनी है, लेकिन रोटरी फाउंडेशन से उसके लिए करीब 88 लाख रुपए ले लिए गए हैं । प्रोजेक्ट की आड़ में की जाने वाली पैसों की इस भारी लूट का पता चलने पर रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन के पदाधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिए और रोटरी फाउंडेशन से मिले पैसे ब्याज सहित वापस कर दिए ।
मामला यहाँ खत्म हो जाना चाहिए था - लेकिन यदि सचमुच खत्म हो जाता तो रोटरी में बने लूट-तंत्र की जड़ों के फैले होने की बात कैसे सामने आती ? रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन ने उक्त ग्रांट छोड़ी, तो पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरसिम्हन सुब्रमणियन की 'गिद्ध' दृष्टि इस पर पड़ी और उन्होंने अपने क्लब के लिए उसी प्रोजेक्ट व ग्रांट को ले लिया । इस तरह प्रोजेक्ट तो वही रहा, लेकिन उसके 'माई-बाप' बदल गए और ग्रांट का नाम/नंबर भी बदल कर जीजी 1987611 हो गया और उसका खर्च भी पहले जितना ही रहा । इस मामले में तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया और डीआरएफसी सुशील खुराना की भूमिका भी संदिग्ध रही । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनय भाटिया और डीआरएफसी के रूप में सुशील खुराना के जरिये ही रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन ने उक्त ग्रांट वापस की थी और इन दोनों को ही इस तथ्य से अवगत कराया था कि प्रोजेक्ट के नाम पर तीन से चार गुना ज्यादा रकम रोटरी फाउंडेशन से बसूलने की तैयारी की गई थी । इस तरह, रोटरी फाउंडेशन के पैसों की 'लूट' की बात जानते हुए भी विनय भाटिया और सुशील खुराना ने उक्त प्रोजेक्ट पहले वाले खर्चे पर ही रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल के नाम करवा दिया । विनय भाटिया और सुशील खुराना की इस हरकत को देखते हुए आरोप लगा कि उक्त ग्रांट के बढ़े पैसों के बँटवारे में इन दोनों का भी हिस्सा तय हो गया होगा, और इसीलिए इन्होंने रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन की 'शिकायत' को अनदेखा कर दिया । विनय भाटिया के गवर्नर-वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर विनोद बंसल की भूमिका भी संदेह के घेरे में आई । आरोप लगा कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने के नाते विनोद बंसल को यह तो पता होगा ही कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनय भाटिया जानते-बूझते हुए रोटरी फाउंडेशन के पैसों की लूट के मामले में क्या गुल खिला रहे हैं, लेकिन तब भी उन्होंने मामले में चुप बने रहने का फैसला किया और लूट की कार्रवाई को होने दिया ।        
प्रोजेक्ट के नाम पर रोटरी फाउंडेशन से तीन से चार गुना पैसा लेने का आरोप लगा कर वापस की गई ग्रांट रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल को मिल जाने की बात रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन के पदाधिकारियों को पता चली, तो वह भड़क गए और हैरान रह गए - उनकी हैरानी का कारण यही रहा कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और डीआरएफसी जैसे प्रमुख पदों पर बैठे लोग कैसे जानते-बूझते हुए भी रोटरी फाउंडेशन के पैसों की लूट में शामिल रहते हैं । इस बीच डिस्ट्रिक्ट में सत्ता बदल गई । रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन के पदाधिकारियों ने लेकिन चुप रहने की बजाये मामले को उठाने तथा अपनी आपत्ति दर्ज करने/करवाने का फैसला किया । क्लब के प्रेसीडेंट सुरेश गुप्ता ने मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन को एक लंबा पत्र लिख कर पूरे मामले की जानकारी दी और उनसे अनुरोध किया कि उक्त प्रोजेक्ट के खर्चे का प्रोफेशनल एक्सपर्ट्स की मदद से आकलन कराया जाए और जरूरत से ज्यादा पैसे को रोटरी फाउंडेशन को वापस किया जाए । सुरेश गुप्ता ने अपने पत्र में मुद्दे की बात यह भी उठाई है कि प्रोजेक्ट के नाम पर खर्चों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने तथा इस तरह रोटरी फाउंडेशन के पैसों को लूटने की प्रवृत्ति पर यदि रोक नहीं लगाई गई, तो इससे एक तरफ तो रोटरी फाउंडेशन में दान देने वाले लोगों की सोच पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और दूसरी तरफ रोटरी फाउंडेशन के बड़े पदाधिकारियों के बीच देश के रोटेरियंस का नाम खराब होगा । सुरेश गुप्ता ने अपने पत्र में इस बात की जरूरत को भी रेखांकित किया है कि डिस्ट्रिक्ट में ग्लोबल ग्रांट के आवेदनों की गहराई से पड़ताल होना चाहिए ताकि बूढ़ों, गरीबों, बीमारों, अनपढ़ों के नाम पर प्रोजेक्ट्स बना कर रोटरी फाउंडेशन के पैसों को हड़पने/लूटने की कोशिशों पर रोक लग सके । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन को लिखे पत्र की प्रतिलिपि सुरेश गुप्ता ने काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों को भी भेजी है - और इसे लिखे/भेजे हुए करीब दस दिन हो गए हैं; लेकिन अभी तक तो किसी के कानों पर जूँ रेंगती हुई नहीं दिखी है । देखना दिलचस्प होगा कि रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन के पदाधिकारियों द्वारा शुरू की गई मुहिम तथा उसके प्रेसीडेंट सुरेश गुप्ता द्वारा लिखे पत्र से रोटरी फाउंडेशन के पैसों की होने वाली लूट रुकती है, या गवर्नर्स मिलजुल कर मामले में लीपापोती कर लेते हैं ।