Sunday, July 21, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में रोटरी फाउंडेशन के पैसों पर सीधे सीधे 'डकैती' डालने वाला प्रोजेक्ट अंततः रद्द हुआ; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन से कुछेक लोगों की माँग कि उन्हें तुरंत काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग बुलाना चाहिए और उस मीटिंग में उक्त प्रोजेक्ट को हरी झंडी देने से लेकर उसे बनाये रखने की कोशिशें करने वाले और उन्हें समर्थन देने वाले गवर्नर्स की भूमिका की निंदा का प्रस्ताव पास कराना चाहिए

नई दिल्ली । रोटरी फाउंडेशन के पैसों की लूट के मामले में महीनों से तरह तरह से आँखों में धूल झोंकने की कुछेक गवर्नर्स की कोशिशें मामले के 'रचनात्मक संकल्प' में प्रकाशित होने के बाद तीन दिन भी आगे नहीं बढ़ सकीं और धराशाही हो गईं । 'रचनात्मक संकल्प' ने 17 जुलाई को उक्त मामले की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन ने 20 जुलाई को एक संदेश के जरिए जानकारी दी कि गरीब बच्चों को फ्री एजुकेशन देने के नाम पर करीब 50/60 लाख रूपए अपनी जेबों में भरने के लिए कुछेक गवर्नर्स ने जो प्रोजेक्ट बनाया था, उसे बंद कर दिया गया है और रोटरी फाउंडेशन से मिला पैसा जल्दी ही वापस कर दिया जायेगा । इस मामले में मजेदार बात यह हुई कि निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया की तरफ से सफाई सुनी गई कि इस मामले में उन्हें नाहक ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जबकि इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी ने दिखाई थी । रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन के उक्त प्रोजेक्ट को लेकर शुरु से ही विवाद था, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रवि चौधरी ने किसी की नहीं सुनी थी और आनन-फानन में उन्होंने उक्त प्रोजेक्ट को क्लियर कर दिया था । प्रोजेक्ट को आनन-फानन में क्लियर करवाने में उस वर्ष डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेटर रहे अशोक कंतूर तथा रवि चौधरी के समर्थन के भरोसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव लड़ रहे संजीव राय मेहरा की भी अहम् भूमिका थी । विनय भाटिया रोटरी फाउंडेशन के 50/60 लाख रुपयों की लूट के मामले में सारा दोष भले ही रवि चौधरी, संजीव राय मेहरा व अशोक कंतूर पर डालने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन लोगों का कहना है कि उस समय डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में विनय भाटिया उन्हीं के बड़े खास हुआ करते थे और बाद में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनय भाटिया को जब 'बहती गंगा' में हाथ धोने का मौका मिला तो उन्होंने भी पूरी बेशर्मी के साथ बेईमानीभरे उक्त प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का काम किया । 
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन ने अपने संदेश में उक्त प्रोजेक्ट के रद्द होने की सूचना देते हुए दावा किया है कि प्रोजेक्ट को रद्द करने की कार्रवाई डिस्ट्रिक्ट 3011 के कामकाज में पारदर्शिता बने रहने की प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है । सुरेश भसीन के इस दावे को झूठ के पुलिंदे के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है और कहा जा रहा है कि डिस्ट्रिक्ट के कामकाज में यदि सचमुच पारदर्शिता होती तो उक्त प्रोजेक्ट क्लियर ही नहीं होता और यदि हो भी गया था तो रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल को ट्रांसफर न हो पाता । लोगों का कहना है कि रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन के प्रेसीडेंट सुरेश गुप्ता यदि मामले को न उठाते और 'रचनात्मक संकल्प' में उक्त मामले की रिपोर्ट यदि प्रकाशित न होती तो पारदर्शिता की ऐसीतैसी करते हुए कुछेक गवर्नर्स ने रोटरी फाउंडेशन के 50/60 लाख रुपए हजम करने की पूरी 'व्यवस्था' कर ली थी । कुछेक लोगों का कहना है कि सुरेश भसीन डिस्ट्रिक्ट के कामकाज में पारदर्शिता यदि सचमुच बनाना चाहते हैं तो उन्हें तुरंत काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग बुलाना चाहिए और उस मीटिंग में उक्त प्रोजेक्ट को हरी झंडी देने से लेकर उसे बनाये रखने की कोशिशें करने वाले और उन्हें समर्थन देने वाले गवर्नर्स की भूमिका की निंदा का प्रस्ताव पास कराना चाहिए तथा और कुछ नहीं तो कम-से-कम उन्हें चेतावनी तो देना ही चाहिए । ऐसा करना इसलिए जरूरी है ताकि आगे इस तरह की जालसाजी न हो सके। ऐसा करना इसलिए और भी जरूरी है, क्योंकि उक्त प्रोजेक्ट के जरिये रोटरी फाउंडेशन के पैसों को हड़पने की योजना में शामिल लोग किसी न किसी रूप में सत्ता में आने वाले हैं या आने के प्रयासों में लगे हैं । रवि चौधरी व संजीव राय मेहरा की जो जोड़ी उक्त प्रोजेक्ट को हरी झंडी देने के लिए जिम्मेदार ठहराई जा रही है, वही जोड़ी अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में फिर से इसी तरह के मौके बना सकती है; अशोक कंतूर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर (नॉमिनी) बनने के लिए तैयार घूम रहे हैं, और विनय भाटिया इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चुनाव/चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की तैयारी करते हुए सुने/बताए जा रहे हैं । 
बेईमानीपूर्ण इरादों से सुसज्जित उक्त प्रोजेक्ट के रद्द हो जाने से यह बात भी साबित हुई है और सबक मिला है कि आम रोटेरियंस यदि चाहें और कोशिश करें, तो गवर्नर्स की बेईमानियों को रोका जा सकता है । रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन के पिछले वर्ष के पदाधिकारियों तथा मौजूदा प्रेसीडेंट सुरेश गुप्ता ने इस मामले में जिस तरह की दिलचस्पी दिखाई, और मामले को लगातार उठाते रहे - उसके कारण बेईमान गवर्नर्स तथा पीछे से उन्हें समर्थन व हौंसला देने वाले गवर्नर्स की हिम्मत भी जबाव दे गई और उन्होंने प्रोजेक्ट को बनाये रखने की कोशिशों से हाथ खींच लिए । कुछेक लोगों का हालाँकि मानना/कहना है कि इस मामले में बेईमानों को मिली हार से ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है; क्योंकि यह मामला इस बात का भी सुबूत है कि बेईमान गवर्नर्स के हौंसले इस हद तक बुलंद हैं कि वह रोटरी फाउंडेशन के पैसों पर सीधे सीधे 'डकैती' डालने से भी नहीं हिचकिचाए - इसलिए उन्हें तात्कालिक झटका भले ही लगा हो, लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज तो नहीं ही आयेंगे । यह मामला कितना बड़ा था, और इसके चलते डिस्ट्रिक्ट की साख व पहचान किस हद तक दाँव पर लग गई थी - इसका अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि प्रोजेक्ट के रद्द होने की जानकारी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को देने की जरूरत पड़ी । इससे पहले शायद ही कभी किसी डिस्ट्रिक्ट में ऐसा हुआ हो कि किसी प्रोजेक्ट के मिलने और या रद्द होने की जानकारी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने लोगों को दी हो । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन इस प्रोजेक्ट के रद्द होने को भले ही डिस्ट्रिक्ट के कामकाज में पारदर्शिता बने रहने के उदाहरण के रूप में देख/बता रहे हों, लेकिन डिस्ट्रिक्ट के ही कई लोगों को लगता है कि कुछेक गवर्नर्स की हरकतों पर यदि निगाह नहीं रखी गई, तो फिर वह रोटरी के पैसों को लूटने की अपनी हरकतों से बाज नहीं आयेंगे ।