नई दिल्ली । रोटरी फाउंडेशन को दिया गया दान वापस माँगने की रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन के प्रेसीडेंट सुरेश गुप्ता की कार्रवाई ने रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों के बीच खासी खलबली तो मचा ही दी है, साथ ही डिस्ट्रिक्ट 3011 में रोटरी फाउंडेशन के पैसों की होने वाली लूट की 'तैयारी' पर भी उनका ध्यान खींचा है । रोटरी में इससे पहले शायद ही कभी हुआ हो कि रोटरी फाउंडेशन में दिए गए दान को किसी ने वापस माँगा हो; और इससे पहले शायद ही किसी डिस्ट्रिक्ट में रोटरी फाउंडेशन की बड़ी लूट का मामला सामने आया हो - मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट 3011 में रोटरी फाउंडेशन की लूट का बड़ा मामला तो सामने आया ही है, तथा उसके पकड़े जाने के साथ-साथ ही और लूट की 'तैयारी' की बात सामने आई है, लेकिन उसके लिए किसी को भी आधिकारिक रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा रहा है, सजा मिलना तो दूर की बात है । डिस्ट्रिक्ट 3011 में निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया ने पहले तो घपलेबाजी के आरोप के चलते रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन द्वारा वापस की गई ग्लोबल ग्रांट को रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल को दिलवाने की 'बेईमानी' की और फिर रोटरी फाउंडेशन से और ज्यादा ग्रांट बटोरने के नाम पर रोटरी फाउंडेशन के लिए मोटी रकम इकट्ठी करने का 'करतब' किया । विनय भाटिया के इसी करतब को देखते हुए सुरेश गुप्ता का रोटरी फाउंडेशन से विश्वास उठ गया है और उन्हें लग रहा है कि अच्छी और सच्ची भावना से रोटरी फाउंडेशन को दिए गए दान को कुछेक बड़े खिलाड़ी तरह तरह की योजनाओं से हड़प लेते हैं । सुरेश गुप्ता क्लब का प्रेसीडेंट बनने से पहले ही मेजर डोनर बन चुके हैं, और अपने प्रेसीडेंट-वर्ष में उन्होंने एकेएस (ऑर्च क्लम्प सोसायटी) का सदस्य बनने की घोषणा की थी - लेकिन रोटरी फाउंडेशन के पैसों की खुली लूट के किस्सों को देखते हुए उन्होंने अपना इरादा बदल लिया है । रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस में रोटरी फाउंडेशन के मुखिया संजय परमार को लिखे पत्र में सारा हवाला देते हुए सुरेश गुप्ता ने रोटरी फाउंडेशन में दिए गए अपने पैसे वापस करने का अनुरोध किया है ।
सुरेश गुप्ता के इस अनुरोध ने रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों के बीच खासी हलचल मचा दी है । उन्हें डर हुआ है कि रोटरी फाउंडेशन ने इसी तरह से यदि और रोटेरियंस का विश्वास खो दिया, तो बड़ी समस्या हो जाएगी । इस समस्या की आशंका के चलते डिस्ट्रिक्ट 3011 में रोटरी फाउंडेशन के नाम पर जो घपलेबाजियाँ हो रही हैं, उन पर रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों का ध्यान गया है । इससे डिस्ट्रिक्ट 3011 में रोटरी फाउंडेशन के लिए 15 लाख डॉलर से अधिक की रकम का जमा होना संशय में आ गया है और रोटरी फाउंडेशन के बड़े पदाधिकारियों को भी आशंका हो चली है कि इस जमा हुई रकम के पीछे किसी बड़े घपले की तैयारी तो नहीं है । यह आशंका दरअसल इसलिए भी है क्योंकि निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया ने अपने गवर्नर-वर्ष के पहले ग्यारह महीनों में, यानि मई महीने तक रोटरी फाउंडेशन के लिए करीब साढ़े चार लाख डॉलर ही इकट्ठा किए थे, लेकिन आखिरी महीने में इकट्ठा हुई रकम का आँकड़ा ऊँची छलाँग लगा कर पंद्रह लाख डॉलर से भी ऊपर तक पहुँच गया । और इस रकम का बड़ा हिस्सा परोपकार के लिए नहीं, बल्कि परोपकार के नाम पर रोटरी फाउंडेशन से तीन से चार गुना रकम लेने के लिए 'दिया' गया है । लोगों के बीच होने वाली चर्चाओं में कहा/सुना जा रहा है कि कुछेक अस्पतालों/संस्थाओं से बात करके उनकी जरूरत की मशीनें व उनकी जरूरत के काम कुल लागत के आधे में या दो-तिहाई में करने/करवाने का ऑफर देकर उनसे सौदेबाजी की गई है । उदाहरण के लिए किसी अस्पताल/संस्था का कोई प्रोजेक्ट एक करोड़ रुपए का है; उसे ऑफर दिया गया कि उसका वह प्रोजेक्ट 70 लाख में लगवा देंगे; उससे 70 लाख लिए, उसमें से 40/50 लाख रोटरी फाउंडेशन में जमा करवाए और बाकी अपनी जेब में रख लिए । रोटरी फाउंडेशन को एक करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट दे दिया - उससे मिले एक करोड़ रुपए से अस्पताल/संस्था का प्रोजेक्ट लग गया/जायेगा । इस तरह से रोटरी में नाम भी हो गया, जिसके चलते रोटरी में कोई अवॉर्ड या असाइनमेंट मिल जायेगा; किसी प्रोजेक्ट में अपनी स्वर्गीय माता का नाम चिपकाने का मौका भी मिल गया और बैठे/बिठाए कमाई भी हो गई । ऐसे ही 'मौकों' के लिए कहावत बनी होगी - 'हींग लगे न फिटकरी, रंग और स्वाद चोखा ।'
संजय परमार को लिखे सुरेश गुप्ता के पत्र ने लेकिन रंग और स्वाद बिगाड़ने का काम किया है । हालाँकि कई लोगों का कहना है कि यह कुछेक दिनों का बबाल है जो जल्दी ही शांत हो जायेगा और होगा कुछ नहीं । दरअसल रोटरी में सिस्टम ही कुछ ऐसा है कि बेईमानी करने वाले लोग होशियारी करके बड़ी आसानी से बच निकलते हैं । कुछेक 'मूर्ख' लोग हालाँकि फँसे भी हैं और सजा पाए हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में मामला रफा/दफा ही होता देखा गया है । विनय भाटिया जिस तरह से रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन द्वारा वापस की गई ग्रांट को रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल को 'दिलवाने' के मामले में फँसे, और साफ बच निकले - उससे ही उन्हें अपने गवर्नर वर्ष के अंतिम महीने में रोटरी फाउंडेशन के लिए पैसा इकट्ठा करने के लिए सौदेबाजी करने का हौंसला मिला होगा । इस सौदेबाजी में उन्हें पूर्व गवर्नर विनोद बंसल की मदद मिली सुनी/बताई जा रही है । विनय भाटिया इसीलिए आश्वस्त होंगे कि कहीं कुछ मामला फँसेगा, तो विनोद बंसल उन्हें बचा लेंगे । असल में रोटरी फाउंडेशन को दान देकर उससे तीन/चार गुना पैसे लेने के 'काम' को ऑर्गेनाइज्ड रूप देने का फंडा स्थापित करने का विनोद बंसल को ही श्रेय दिया जाता है । इस खेल का 'महारथी' होने के कारण विनोद बंसल हर वर्ष रोटरी फाउंडेशन के लिए अच्छी/मोटी रकम इकट्ठा करवाते हैं । उनकी मदद से उनके क्लब को भी रोटरी फाउंडेशन से खूब पैसे मिले हैं । इस बार भी उनके क्लब ने सबसे ज्यादा - करीब सवा दो लाख डॉलर रोटरी फाउंडेशन में दिए हैं; और इस तरह इसका करीब तीन गुना तो रोटरी फाउंडेशन से लेने की तैयारी की है । रवि चौधरी के गवर्नर-वर्ष में भी विनोद बंसल के क्लब ने रोटरी फाउंडेशन से मोटी रकम लेने की योजना बनाई थी, लेकिन हिस्सा न मिलने के कारण रवि चौधरी ने उसमें पंक्चर कर दिया था, और रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टी गुलाम वाहनवती के सामने विनोद बंसल तथा उनके क्लब के अन्य पदाधकारियों की बड़ी हील-हुज्जत की थी । विनोद बंसल का 'दो, और उसका तिगुना लो' का जो फार्मूला है, वह सुनने/देखने में तो उपयोगी लगता है और आकर्षित करता है, लेकिन अपनी शुरुआत से ही यह लालच, स्वार्थ व बेईमानी के रास्ते पर चल पड़ता है; दरअसल इस फार्मूले के तहत रोटरी फाउंडेशन में कोई भी 'देता' इसीलिए है, क्योंकि उसे तीन गुना 'लेना' होता है; और जब लेने की भावना प्रबल होती है तो फिर वह किसी भी तरह की बेईमानी करने से नहीं हिचकती है । इस बेईमानी और लूट की कोशिश उन लोगों की भावनाओं को ठगती है, जो सचमुच की जरूरत के लिए रोटरी फाउंडेशन में पैसे देते हैं । उन्हें लगता है कि रोटरी फाउंडेशन को दिया गया उनका पैसा जरूरतमंदों तक पहुँचने की बजाए रोटेरियंस के भेष में बैठे ठगों व लुटेरों की जेबों में चला जाता है । विनोद बंसल के ही डिस्ट्रिक्ट में, रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन के प्रेसीडेंट सुरेश गुप्ता ने अपने आप को ठगे जाने वाले लोगों में पाया, तो वह रोटरी फाउंडेशन को दिए गए अपने पैसों को वापस माँगने के लिए मजबूर हुए ।