Wednesday, July 24, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए नामांकन आमंत्रित करके जल्दी चुनाव कराने के संकेत दिए हैं; लोगों को लगता है कि जल्दी चुनाव करवाने की कोशिश दीपक गुप्ता का हाल सतीश सिंघल जैसा कर सकती है

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता द्वारा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के लिए नामांकन आमंत्रित करने की कार्रवाई को डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच जल्दी चुनाव करवाने की 'तैयारी' के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । लोगों को लग रहा है कि दीपक गुप्ता जल्दी चुनाव करवा कर ललित खन्ना की जीत को सुनिश्चित कर देना चाहते हैं । दिलचस्प संयोग यह है कि करीब दो वर्ष पहले यही फार्मूला अपना कर तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल ने ललित खन्ना की चुनावी संभावनाओं को खत्म कर/करवा दिया था, और आलोक गुप्ता की जीत को सुनिश्चित किया था - लेकिन उसी फार्मूले के जरिए इस बार ललित खन्ना की उम्मीदवारी की नाव को किनारे पहुँचाने की तैयारी की जा रही है । दीपक गुप्ता के नजदीकी पदाधिकारियों का हालाँकि कहना है कि उन्हें नहीं लगता है कि दीपक गुप्ता जल्दी चुनाव करवाने की तैयारी में हैं; और नामांकन आमंत्रित करने के पीछे ऐसा कोई उद्देश्य नहीं देखा जाना चाहिए । अन्य लोगों को भी लगता है कि जल्दी चुनाव करवा कर सतीश सिंघल की गवर्नरी का प्रभाव जिस तरह खराब हो गया था, उसे दीपक गुप्ता ने देखा/पहचाना है और उससे सबक लेकर वह वैसी 'गलती' नहीं करेंगे - जैसी सतीश सिंघल ने की थी । दरअसल अक्टूबर में चुनाव का नतीजा आ जाने से क्लब्स के पदाधिकारी आलोक गुप्ता के स्वागत/सम्मान में लग गए थे और यह भूल ही गए थे कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सतीश सिंघल की उपेक्षा होने की स्थितियाँ आलोक गुप्ता की जीत की घोषणा होने के साथ ही बन गईं थीं । इसी आधार पर लोगों को लगता है कि दीपक गुप्ता ने यदि जल्दी चुनाव करवाया तो उनका हाल भी सतीश सिंघल जैसा ही होगा ।
उल्लेखनीय है कि सतीश सिंघल का हाल देख कर ही पिछले वर्ष सुभाष जैन ने नामांकन आमंत्रित करने का काम ही नबंवर में किया था और चुनावी प्रक्रिया को जनवरी में संपन्न हुई डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस तक खींच ले गए थे । इसी बिना पर उम्मीद की जा रही थी कि दीपक गुप्ता भी अपने गवर्नर-वर्ष में होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनाव को करवाने में जल्दी नहीं दिखायेंगे । लेकिन दीपक गुप्ता ने नामांकन आमंत्रित करके लोगों को यह कयास लगाने के लिए प्रेरित किया है कि वह जल्दी चुनाव कराने की तैयारी कर रहे हैं । लोगों को लगता है कि जल्दी चुनाव करवा कर दीपक गुप्ता दरअसल ललित खन्ना की जीत को व्यावहारिक रूप दे देना चाहते हैं । दीपक गुप्ता के नजदीकियों का मानना और कहना है कि दीपक गुप्ता को लगता है कि इस समय ललित खन्ना की चुनावी स्थिति बहुत अच्छी है, और यदि अभी चुनाव हो जाएँ, तो उनकी जीत पक्की है - चार/पाँच महीने बाद हालात बदल भी सकते हैं । दूसरे लोगों को भी लगता है कि डिस्ट्रिक्ट में अभी क्लब्स के नए पदाधिकारियों के अधिष्ठापन समारोह हो रहे हैं, और अभी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता की पूछ/परख हो रही है - इस कारण दीपक गुप्ता अभी ललित खन्ना की जीत का श्रेय भी ले सकेंगे; बाद में फिर नए समीकरण बनने लगेंगे और तब राजनीतिक स्थिति जरूरी नहीं है कि वैसी ही बनी रहे, जैसी कि वह अभी नजर आ रही है । 
दीपक गुप्ता को यह डर अभी दिख रहे संकेतों से भी मिल रहा है । दीपक गुप्ता को यह देख/जान कर दरअसल तगड़ा झटका लगा है कि अधिष्ठापन समारोह के लिए उन्होंने क्लब्स को जो 'प्रोटोकॉल' दिया था, अधिकतर क्लब्स के पदाधिकारियों ने उसे मानने/अपनाने से इंकार कर दिया है । उल्लेखनीय है कि दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के पदाधिकारियों को निर्देश दिए थे कि अधिष्ठापन समारोह में वह सिर्फ उन्हें ही आमंत्रित करें, अन्य किसी गवर्नर को नहीं; उनके क्लब - रोटरी क्लब गाजियाबाद के अलावा दो/तीन अन्य क्लब्स के पदाधिकारियों ने ही उनके इस निर्देश को स्वीकार किया, बाकी क्लब्स उनके साथ पिछले/अगले गवर्नर्स को भी अपने अधिष्ठापन समारोह में आमंत्रित कर रहे हैं, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के बावजूद दीपक गुप्ता असहाय बने क्लब्स पदाधिकारियों द्वारा की जा रही अपने निर्देश की इस अवहेलना को बर्दाश्त करने के लिए मजबूर हुए पड़े हैं । इसके अलावा, उनकी इस तथा अन्य कुछेक हरकतों के चलते डिस्ट्रिक्ट के पूर्व व भावी गवर्नर्स उनसे नाराज होते जा रहे हैं; डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर मुकेश अरनेजा कई मामलों को लेकर उनसे खफा सुने/बताए जा रहे हैं । दीपक गुप्ता के प्रति गवर्नर्स के बीच पैदा होने वाली यह नाराजगी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में ललित खन्ना की उम्मीदवारी के लिए मुसीबत बन सकती है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता की पहले ही महीने में डिस्ट्रिक्ट में जो भद्द पिटने लगी है, उसे देख/पहचान कर खुद दीपक गुप्ता को ही लगने लगा है कि उन्हें यदि ललित खन्ना की जीत का श्रेय लेना है, तो उन्हें जल्दी चुनाव करवा लेना चाहिए । चुनावी राजनीति की जरूरत दीपक गुप्ता को भले ही जल्दी चुनाव करवाने के लिए प्रेरित कर रही हो, लेकिन जल्दी चुनाव करवाने के जरिए सतीश सिंघल के हुए हाल को याद करके उनके लिए जल्दी चुनाव करवाने का फैसला करना आसान भी नहीं होगा । लोगों को लगता है कि दीपक गुप्ता नामांकन आमंत्रित करके फिलहाल 'गोटी' अपने हाथ में कर लेना चाहते हैं और फिर हालात के अनुरूप उन्हें जैसा करने में 'फायदा' दिखेगा, वैसा कर लेंगे । दीपक गुप्ता क्या करेंगे, यह तो बाद में पता चलेगा - अभी लेकिन उनके नामांकन आमंत्रित करने से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी राजनीति की हलचल जरूर बढ़ गई है ।