Tuesday, July 23, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में विनय भाटिया के गवर्नर-वर्ष में रोटरी फाउंडेशन के लिए जुटी रकम को रोटरी फाउंडेशन के पैसों की लूट की 'तैयारी' के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है; रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी के प्रोजेक्ट ग्रांट के लिए बढ़चढ़ कर आवेदन करने से भी इस तैयारी का शक बढ़ा है

नई दिल्ली । विनय भाटिया के गवर्नर-वर्ष में रोटरी फाउंडेशन के लिए जुटे 1.53 मिलियन अमेरिकी डॉलर की जिस रकम को उपलब्धि के रूप में देखा/दिखाया जा रहा है, उसे डिस्ट्रिक्ट के कई प्रमुख लोग ही रोटरी फाउंडेशन के पैसों की लूट की 'तैयारी' के रूप में पहचान/समझ रहे हैं । यह पहचान और समझ दरअसल जुटी रकम को वर्गीकरण के लिहाज से देखने के कारण बनी है । रोटरी फाउंडेशन के लिए जो यह रकम जुटी है, उसका करीब 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा वास्तव में ग्लोबल ग्रांट के तहत रोटरी फाउंडेशन से मोटी रकम लेने के लिए 'दिया' गया है - जो रोटरी व रोटरी फाउंडेशन के आदर्शों व लक्ष्यों को उलट-पलट देने का काम करता है । उल्लेखनीय है कि रोटरी और रोटरी फाउंडेशन की बुनियाद इस विचार पर टिकी है कि समाज में मोटे तौर पर दो तरह के लोग होते हैं - एक वह समर्थ लोग जो दान दे सकते हैं, और दूसरे वह असमर्थ लोग जिन्हें दान की जरूरत होती है । रोटरी और रोटेरियंस इस बात पर गर्व करते रहे हैं कि वह पहले वाली श्रेणी के लोग हैं - लेकिन विनय भाटिया और उनके सलाहकारों ने डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस को दूसरी श्रेणी में खड़ा कर दिया है । विनय भाटिया के गवर्नर-वर्ष में रोटरी फाउंडेशन के लिए 1.53 मिलियन, यानि करीब 15 लाख अमेरिकी डॉलर की जो रकम इकट्ठा हुई है - उसका करीब 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा देने वाले लोगों/क्लब्स ने दी गई रकम के बदले में कई गुना रकम 'लेने' की योजना के साथ दिया है; यानि यह लोग/क्लब्स वास्तव में पहली श्रेणी के देने वाले नहीं, बल्कि दूसरी श्रेणी के दान 'लेने' वाले लोग हैं । 
उल्लेखनीय है कि रोटरी फाउंडेशन में मुख्यतः चार उद्देश्यों के लिए पैसा दिया/लिया जाता है - एनुअल फंड, पोलियो फंड, एंडोवमेंट फंड तथा प्रोजेक्ट ग्रांट के लिए अपना हिस्सा । विनय भाटिया के गवर्नर-वर्ष में 15 लाख अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की जो रकम इकट्ठा हुई है, उसमें एनुअल फंड के लिए दो लाख अमेरिकी डॉलर से कम रकम जमा हुई है; पोलियो तथा एंडोवमेंट फंड के लिए कुल मिला कर एक लाख से कम अमेरिकी डॉलर जुटे हैं; बाकी बचे 12 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक रकम प्रोजेक्ट के लिए ग्रांट लेने के लिए मिली है - विनय भाटिया और उनके सलाहकार इसे गर्व की बात मानते हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट के कई प्रमुख लोगों की निगाह में यह शर्म की बात है । शर्म की बात इसलिए क्योंकि यह तथ्य दिखाता है कि डिस्ट्रिक्ट 3011 में रोटेरियंस के लिए रोटरी सेवा करने की बजाये 'धंधा' करने/जमाने का जरिया बन गया है । रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन की प्रोजेक्ट ग्रांट को लेकर अभी जो बबाल हो चुका है, और उसमें जिस तरह से विनय भाटिया की मिलीभगत सामने आई है, उसके चलते उनके गवर्नर-वर्ष में प्रोजेक्ट ग्रांट के लिए लगी होड़ ने संदेह पैदा कर दिया है । यह संदेह रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी के बढ़चढ़ कर प्रोजेक्ट ग्रांट के लिए आवेदन करने से भी पैदा हुआ है । विनय भाटिया के गवर्नर-वर्ष में प्रोजेक्ट ग्रांट के नाम पर जो 12 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक रकम मिली है, उसमें करीब सवा दो लाख अमेरिकी डॉलर रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी से मिले हैं । रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी पूर्व प्रेसीडेंट राजेश गुप्ता के कार्यकाल में मिली एक ग्लोबल ग्रांट को लेकर आरोपों के घेरे में तथा विवाद में रहा है । आरोपों के चलते उक्त ग्रांट का तीन बार तो ऑडिट हुआ था; आरोपों के ही कारण क्लब के एक प्रेसीडेंट ने उक्त प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया, जिस कारण उक्त प्रोजेक्ट क्लब से छिन कर दूसरे क्लब के नाम करवाना पड़ा और बाद में उक्त प्रोजेक्ट के कर्ताधर्ता के रूप में राजेश गुप्ता का नाम भी हटाया गया । उसके बाद रवि चौधरी के गवर्नर वर्ष में क्लब ने एक और बड़ी ग्लोबल ग्रांट के लिए आवेदन किया, जिसे रवि चौधरी ने स्वीकार नहीं किया और दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में क्लब के कई पदाधिकारियों के सामने रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टी गुलाम वाहनवती से इस बात की शिकायत की कि रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी के पदाधिकारियों ने रोटरी फाउंडेशन से ग्रांट लेने को धंधा बना लिया है, और उन्होंने इसीलिए उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया ।
रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल भी सदस्य हैं, इसलिए क्लब के पदाधिकारियों पर लगने वाला आरोप उनकी भूमिका को भी संदेहास्पद बना देता है । क्लब के पदाधिकारियों की ग्रांट लेने में दिखने वाली दिलचस्पी इसलिए भी संदेहास्पद है क्योंकि प्रोजेक्ट ग्रांट के नाम पर करीब सवा दो लाख अमेरिकी डॉलर देने वाला क्लब एनुअल फंड में एक हजार डॉलर की मामूली रकम ही देता है, तथा पोलियो फंड व एंडोवमेंट फंड में तो इकन्नी भी नहीं देता है । जाहिर है कि रोटरी क्लब दिल्ली राजधानी की रोटरी के बुनियादी कामों में कोई रुचि नहीं है, उसका सारा ध्यान तो बस रोटरी फाउंडेशन से ग्रांट लेने में है । डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख लोगों का ही कहना है कि विनोद बंसल इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, इसलिए उन्हें अपने क्लब की 'गतिविधियों' पर ध्यान देना चाहिए और क्लब में ऐसी गतिविधियों को नहीं होने देना चाहिए, जिससे कि उनकी भूमिका भी संदेह और विवाद के घेरे में आए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी पेश करने वाले अजीत जालान के क्लब ने भी विनय भाटिया के गवर्नर-वर्ष में ग्रांट जुगाड़ने के लिए प्रोजेक्ट बना कर उसके लिए अपना हिस्सा रोटरी फाउंडेशन में जमा कराया है । अजीत जालान का क्लब भी एकाउंट न देने के मामले में आरोपों का शिकार बन चुका है, और वह मामला काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग तक में आ गया था । अजीत जालान के क्लब ने एक ट्रस्ट भी बनाया था, जिसपर आरोप लगे थे कि रोटरी के पैसों की घपलेबाजी को अंजाम देने के लिए वह ट्रस्ट बनाया गया है । अजीत जालान और उनके नजदीकियों द्वारा बनाये गए उक्त ट्रस्ट को लेकर क्लब के भीतर व बाहर ऐसी घेरेबंदी की गई कि उस ट्रस्ट को बंद कर देने के लिए अजीत जालान और उनके साथी मजबूर हुए थे । उन्हीं बातों को याद/ध्यान करते हुए कई लोगों को शक है कि अजीत जालान द्वारा अपने क्लब से ग्लोबल ग्रांट के लिए आवेदन करवाने के पीछे कहीं यह उद्देश्य तो नहीं है कि रोटरी फाउंडेशन से मिली ग्रांट में 'डंडी' मार कर वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी में खर्च होने वाले पैसों को जुटा लें । रोटरी क्लब दिल्ली मिडटाऊन को मिली और फिर वापस हुई रोटरी फाउंडेशन की ग्रांट में विनय भाटिया की मदद से होने वाली घपलेबाजी की कोशिश जिस तरह से बेनकाब हुई है, उसके कारण उनके गवर्नर-वर्ष में रोटरी फाउंडेशन के लिए इकट्ठा हुई रकम के ऐवज में मंजूर हुईं ग्रांट्स संदेह के घेरे में आ गई हैं - खासकर उन क्लब्स की ग्रांट्स, जो पहले से ही वित्तीय घपलेबाजी के आरोपों में घिरे रहे हैं । ऐसे में, विनय भाटिया के गवर्नर-वर्ष में रोटरी फाउंडेशन के लिए इकट्ठा हुई 15 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक की रकम गर्व करने की बजाये शर्म का कारण बन गई लग रही है ।