Monday, October 28, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के पूर्व प्रेसीडेंट भूषण चौहान के नाकारापन व बेईमानीपूर्ण नीयत के कारण रद्द हुए प्रोजेक्ट के पुनर्जीवित होने तथा पूरा होने का श्रेय लेने की भूषण चौहान की कोशिश में लोगों को बेशर्मी व निर्लज्जता की पराकाष्ठा दिख रही है

गाजियाबाद । रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के पूर्व प्रेसीडेंट भूषण चौहान सुनने और बोलने में लाचार बच्चों के ईलाज से जुड़े प्रोजेक्ट के पूरा होने का जिस तरह से श्रेय ले रहे हैं, उसे कई लोगों ने बेशर्मी और निर्लज्जता की पराकाष्ठा के रूप में देखा/पहचाना है । लोगों का कहना है कि भूषण चौहान के नाकारापन और बेईमानीपूर्ण नीयत के चलते उक्त प्रोजेक्ट न सिर्फ लेटलतीफी का शिकार हुआ, बल्कि रद्द भी हो गया था - किसी तरह उसे पुनर्जीवित किया/करवाया गया और पूरा किया गया; भूषण चौहान लेकिन उसके पूरा होने का श्रेय ऐसे ले रहे हैं - जैसे कि उसे पूरा करने में उनका बड़ा भारी योगदान है । हकीकत यह है कि जब तक उक्त प्रोजेक्ट की कमान भूषण चौहान के हाथ में थी, प्रोजेक्ट में रत्ती भर का काम नहीं हुआ, जिसके चलते रोटरी फाउंडेशन ने उक्त प्रोजेक्ट को रद्द ही कर दिया था । दरअसल करीब 23 लाख रुपए के उक्त प्रोजेक्ट के लिए ग्लोबल ग्रांट ली गई थी; लेकिन प्रोजेक्ट के मुखिया के रूप में भूषण चौहान रोटरी फाउंडेशन को प्रोजेक्ट से जुड़े विवरण ही नहीं दे रहे थे - जिसके चलते रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों को सुनने व बोलने में लाचार बच्चों के ईलाज से जुड़े प्रोजेक्ट के पैसों में बेईमानी होने के संदेह हुए और उन्होंने प्रोजेक्ट को रद्द करने का फैसला सुना दिया ।
उल्लेखनीय है कि तीन वर्ष पहले, क्लब के प्रेसीडेंट के रूप में भूषण चौहान ने चार कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरीज के लिए 33,200 अमेरिकी डॉलर (करीब 23 लाख रुपए) की ग्लोबल ग्रांट स्वीकृत करवाई । 'जी 1233' नाम की इस ग्रांट के स्वीकृत होते ही भूषण चौहान प्रोजेक्ट का काम करने की बजाये ग्रांट के पैसों पर कुंडली मार कर बैठ गए । रोटरी फाउंडेशन ने ग्रांट स्वीकृत होते ही 6 अक्टूबर 2016 को प्रोजेक्ट का लेखाजोखा रखने का काम शुरू कर दिया, लेकिन उसे भूषण चौहान की तरफ से प्रोजेक्ट को लेकर जानकारी ही नहीं मिली । प्रोजेक्ट के तहत दस महीने में बच्चों का ईलाज हो जाना चाहिए था - लेकिन भूषण चौहान रोटरी फाउंडेशन को प्रोजेक्ट के काम को लेकर कोई जानकारी ही नहीं दे रहे थे । सिर्फ यही नहीं, रोटरी फाउंडेशन से आने वाली ईमेल्स का भी जबाव देना भूषण चौहान ने जरूरी नहीं समझा । दस महीनों तक रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकारियों को जब भूषण चौहान की तरफ से न तो कोई जानकारी मिली, और न अपनी ईमेल्स का जबाव मिला - तो उन्होंने प्रोजेक्ट को रद्द करके 2 सितंबर 2017 को इस सूचना को रिकॉर्ड पर भी लगा दिया । प्रोजेक्ट से जुड़े तथ्यों तथा उसके रद्द होने के फैसले को रोटरी फाउंडेशन के इस पृष्ठ पर देखा जा सकता है :


प्रोजेक्ट रद्द होने का कारण भी रोटरी फाउंडेशन ने बताया है, जिसे यहाँ देखा जा सकता है :


भूषण चौहान के नाकारापन व बेईमानीपूर्ण नीयत के चलते सुनने और बोलने में लाचार बच्चों के ईलाज से जुड़े प्रोजेक्ट के रद्द होने से रोटरी जगत में रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल की तो बदनामी हुई ही, साथ ही साथ रोटरी व डिस्ट्रिक्ट की पहचान व विश्वसनीयता को भी चोट पहुँची - और ईलाज का इंतजार करते मासूम बच्चे ईलाज से भी वंचित रह गए । भूषण चौहान की कारस्तानी के चलते होने वाले चौतरफा नुकसान से बचने के लिए क्लब के बाद के वर्षों के पदाधिकारियों ने डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों के साथ मिल कर रोटरी फाउंडेशन के पदाधिकरियों से उक्त प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित करने का अनुरोध किया और उन्हें आश्वस्त किया कि पूर्व में प्रदर्शित किए गए नाकारापन को नहीं दोहराया जायेगा और उचित तरीके से प्रोजेक्ट को पूरा किया जायेगा । जिस प्रोजेक्ट को वर्ष 2016-17 में पूरा होना चाहिए था; लेकिन भूषण चौहान के नाकारापन व बेईमानीपूर्ण नीयत के चलते जो रद्द हो गया था - उसे पुनर्जीवित करवा कर, तीन वर्ष बाद अभी हाल ही में पूरा किया गया है । लोग लेकिन यह देख कर हैरान हो रहे हैं कि प्रोजेक्ट के पूरा होने का श्रेय भूषण चौहान जोरशोर से ले रहे हैं और ऐसे जता/दिखा रहे हैं जैसे कि उन्होंने कोई बड़ा महान काम किया है । लोग उनके इस रवैये को बेशर्मी व निर्लज्जता की पराकाष्ठा के रूप में देख रहे हैं । लोगों का कहना है कि भूषण चौहान में यदि जरा सी भी नैतिकता और शर्म है तो उन्हें इस बात के लिए सार्वजनिक रूप से माफी माँगनी चाहिए कि उनके नाकारापन के चलते प्रोजेक्ट रद्द हुआ तथा क्लब और रोटरी व डिस्ट्रिक्ट की साख तथा विश्वसनीयता को चोट पहुँची - और खुद श्रेय लेने की बजाये क्लब व डिस्ट्रिक्ट के उन पदाधिकारियों का आभार व्यक्त करना चाहिए, जिन्होंने प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित करवाने में तथा उसे पूरा करवाने में भूमिका निभाई ।