Wednesday, October 9, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में अजय नारायण से रोटरी कैंसर फाउंडेशन के मुखिया पद की कुर्सी छिनने के बाद रोटरी ब्लड बैंक में विनोद बंसल का मुखिया पद मुसीबत में फँसा, विनोद बंसल ने इसके लिए इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की रमेश अग्रवाल की राजनीति को जिम्मेदार ठहराया

नई दिल्ली । रोटरी कैंसर फाउंडेशन के मुखिया पद पर वर्षों से कुंडली मारे बैठे अजय नारायण की छुट्टी करने के बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन ने रोटरी ब्लड बैंक के मुखिया विनोद बंसल को निशाने पर लेने की तैयारी शुरू की है । विनोद बंसल वाले मामले में सुरेश भसीन को सहयोगी/साथी डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता का भी समर्थन मिलता नजर आ रहा है । दीपक गुप्ता के रवैये पर हैरानी व्यक्त करते हुए विनोद बंसल ने यह कहते/बताते हुए रमेश अग्रवाल के सिर ठीकरा फोड़ा है कि दीपक गुप्ता को भड़का कर रमेश अग्रवाल उन्हें रोटरी ब्लड बैंक के मुखिया पद से हटवाने का षड्यंत्र कर रहे हैं, ताकि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी राजनीति में उनकी स्थिति को कमजोर किया जा सके । मजे की बात यह हुई है कि अपनी कुर्सी पर आई आफत से बचने के लिए विनोद बंसल ने अजय नारायण की कुर्सी बचाने की कोशिशों से किनारा कर लिया, हालाँकि पहले वह अजय नारायण की कुर्सी बचाने की लड़ाई में जोरशोर से शामिल थे । दरअसल अजय नारायण को पूर्व गवर्नर्स विनय अग्रवाल व रवि चौधरी के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव राय मेहरा का खुला समर्थन रहा; पूर्व गवर्नर विनोद बंसल इस उम्मीद में अजय नारायण की कुर्सी बचाने की मुहिम में शामिल हुए कि इससे वह संजीव राय मेहरा की गुडबुक में आ जायेंगे । लेकिन उन्होंने जब देखा/पाया कि दोनों डिस्ट्रिक्ट्स के छह पदाधिकारियों (दोनों डिस्ट्रिक्ट्स के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी) में से बाकी पाँच अजय नारायण के खिलाफ हैं, और अजय नारायण के खिलाफ छिड़ी लड़ाई की आँच रोटरी ब्लड बैंक की उनकी कुर्सी की तरफ भी बढ़ रही है - तब उन्होंने अजय नारायण के पक्ष में चल रही कोशिशों से अपने आप को अलग कर लिया । अजय नारायण और उनके समर्थकों के बीच बुरा बनने के बावजूद विनोद बंसल अपनी कुर्सी पर मँडराने वाले संकट को लेकिन टाल नहीं सके हैं ।
रोटरी कैंसर फाउंडेशन के मुखिया पद पर वर्षों से कब्जा जमाये बैठे अजय नारायण के खिलाफ नाराजगी तो पिछले कुछेक वर्षों से लगातार बनी हुई थी, लेकिन अजय नारायण तिकड़में लगा कर अपनी कुर्सी को बचाये रखने में कामयाब होते आ रहे थे; अबकी बार लेकिन सुरेश भसीन ने अजय नारायण की ऐसी घेराबंदी की कि उनकी कोई भी तिकड़म काम नहीं आई । रोटरी कैंसर फाउंडेशन के मुखिया के रूप में अजय नारायण ने जैसी मनमानी फैलाई हुई थी, दरअसल उससे सभी खफा थे; सुरेश भसीन ने इसी बात का फायदा उठाया । बची-खुची कसर विनय अग्रवाल व रवि चौधरी जैसे डिस्ट्रिक्ट के बदनाम लोगों के समर्थन ने पूरी कर दी । इन दोनों को अजय नारायण के समर्थन में देख, जिन कुछेक लोगों को अजय नारायण के प्रति हमदर्दी थी भी - उन्होंने भी अजय नारायण की वकालत से हाथ खींच लिए । विनय अग्रवाल व रवि चौधरी के समर्थन ने अजय नारायण को लाभ पहुँचाने की जगह नुकसान पहुँचाने का ही काम किया । जिस आधार पर अजय नारायण की आलोचना की जा रही थी, उसी आधार पर रोटरी ब्लड बैंक का कामकाज भी निशाने पर आया, तो विनोद बंसल ने यह समझने में देर नहीं लगाई कि अजय नारायण के खिलाफ भड़की आग उन्हें भी अपने लपेटे में ले सकती है । अजय नारायण को बचाने की लड़ाई में विनोद बंसल कूदे तो इसलिए थे, ताकि वह विनय अग्रवाल व रवि चौधरी के साथ अजय नारायण के वकील बने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव राय मेहरा का भरोसा जीत सकें; लेकिन जल्दी ही उन्हें समझ में आ गया कि संजीव राय मेहरा का भरोसा जीतने के चक्कर में वह कहीं मुसीबत में न घिर जाएँ - सो वह चुपचाप तरीके से पीछे हट गए । 
विनोद बंसल लेकिन पीछे हटने के बावजूद मुसीबत से बचते नहीं लग रहे हैं । असल में, रोटरी कैंसर फाउंडेशन के कामकाज पर विचार करते समय रोटरी ब्लड बैंक के कामकाज पर भी पदाधिकारियों का ध्यान गया । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल के नियमों के अनुसार, डिस्ट्रिक्ट में जो भी ट्रस्ट हैं - उसके पदाधिकारियों को कामकाज व हिसाब-किताब का ब्यौरा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को देना जरूरी होता है । इसी नियम के हवाले से रोटरी ब्लड बैंक के कामकाज का जिक्र आया तो यह उल्लेख भी हुआ कि ट्रस्ट के संविधान के अनुसार, प्रत्येक दो वर्ष में पदाधिकारियों का चुनाव होना चाहिए, जो नहीं हुआ है । इस पर दीपक गुप्ता ने रेखांकित किया कि इस आधार पर विनोद बंसल रोटरी ब्लड बैंक के प्रमुख पदाधिकारी नहीं हो सकते हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता से यह सुनकर विनोद बंसल के तनबदन में जैसे आग लग गई । वह बिफर उठे और बताने लगे कि उन्होंने रोटरी ब्लड बैंक में क्या क्या किया है, और उसे कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया है । लोगों के पास इसका जबाव जैसे तैयार था; उनका कहना रहा कि उन्हें पदाधिकारी बनाया ही इसलिए गया था कि उन्हें काम करना है, और काम करने का मतलब यह थोड़े ही है कि नियमों का पालन नहीं होगा । इस तर्क से तो कभी कोई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दावा कर सकता है कि उसने बहुत काम किया है, इसलिए कार्यकाल खत्म होने के बाद भी उसे गवर्नर बने रहने दिया जाना चाहिए । यह सुनकर विनोद बंसल को चुप हो जाने के लिए मजबूर हो जाना पड़ा । उनकी खुशकिस्मती रही कि दूसरे लोगों ने भी रोटरी ब्लड बैंक के मामले को लेकर ज्यादा बात नहीं की, क्योंकि उन्हें रोटरी कैंसर फाउंडेशन के मामले को निपटाना था । विनोद बंसल समझ रहे हैं कि अभी तो वह बच गए हैं, लेकिन जिस तरह की बातें हुई हैं उसके चलते वह ज्यादा दिन तक बचे नहीं रह सकेंगे । इसीलिए उन्होंने मामले को राजनीतिक ट्विस्ट देकर राजनीतिक लाभ उठाने की चाल चली है । दीपक गुप्ता के रवैये के पीछे विनोद बंसल ने डिस्ट्रिक्ट 3012 के पूर्व गवर्नर रमेश अग्रवाल को 'देखा'/बताया है और दावा किया है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में उन्हें नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से रमेश अग्रवाल ने दीपक गुप्ता को भड़का कर रोटरी ब्लड बैंक के मुखिया पद से उन्हें हटवाने का षड्यंत्र रचा है । विनोद बंसल के इस आरोप ने मामले को रोचक व रोमांचक बना दिया है ।