Sunday, October 20, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता के रवैये से लोगों ने डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में अपने आप को 'ठगा' हुआ पाया, और टिकट के साथ मिले कूपंस की होली जलाई; 'धोखा' देने के मामले में दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट आलोक गुप्ता को भी नहीं बख़्शा

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव पहले हो जाने के कारण डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के हालात बिगड़ने का अंदेशा तो सभी को था, लेकिन हालात इतने बिगड़ेंगे कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेला घटियापने का रिकॉर्ड बनायेगा और मेले में पहुँचे लोग नाराजगी व विरोध प्रदर्शित करने के लिए कूपंस की होली जलायेंगे - यह किसी ने नहीं सोचा था । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव संपन्न होते ही एक तरफ तो दीवाली मेले में डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस को 'ठगा' और 'धोखा' दिया, तथा दूसरी तरफ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट आलोक गुप्ता के क्लब से निकले सदस्यों के नए क्लब को हरी झंडी दे कर उनके क्लब में पड़ी फूट को और चौड़ा करके आलोक गुप्ता के साथ विश्वासघात किया । डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के बदहाल रूप को देखते हुए लोगों ने पिछले रोटरी वर्ष में सुभाष जैन के गवर्नर-वर्ष में हुए दीवाली मेले की भव्यता तथा कुशल प्रबंधन को याद किया; कुछेक ने मजाक की टोन में 'शिकायत' की कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुभाष जैन ने पिछले वर्ष यदि बढ़िया, आकर्षक व प्रभावी आयोजन न किए होते तो हमें पता ही नहीं चलता कि कार्यक्रमों को अच्छे से भी आयोजित किया जा सकता है - और तब हमें दीपक गुप्ता के दीवाली मेले की बदहाली बुरी न लगती । डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की बदहाली और उस पर लोगों की नाराजगी को देख कर ललित खन्ना ने राहत की साँस ली और शुक्र मनाया कि अच्छा हुआ, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव पहले ही हो गया - अन्यथा दीपक गुप्ता की इस कारस्तानी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की तैयारी को लेकर दीपक गुप्ता लगातार आलोचना के शिकार हो रहे थे । जगह के चुनाव तथा टिकट की कीमत 1200 रुपए रखने के कारण डिस्ट्रिक्ट के लोग नाराज थे । दीपक गुप्ता तथा उनके नजदीकी लेकिन लगातार लोगों को आश्वस्त कर रहे थे कि दीवाली मेले की व्यवस्था तथा फैलोशिप देखेंगे तो लोग शिकायत व नाराजगी को भूल जायेंगे । उनके आश्वासन पर कुछेक लोग ही भरोसा कर रहे थे, और ज्यादातर लोग भरोसा नहीं कर रहे थे । इसका असर टिकटों की बिक्री पर पड़ा और दीपक गुप्ता को टिकट बेचने के लिए तरह तरह की तिकड़में करना पड़ीं । इनमें बड़ी तिकड़म यह रही कि दस दिन पहले उन्होंने प्रत्येक टिकट पर ड्रिंक्स के दो कूपन देने का ऑफर दिया । इसके बावजूद डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में मुश्किल से सात/आठ सौ लोग पहुँचे । पिछले वर्ष तीन हजार से ज्यादा लोग मेले में थे । मेले में जो लोग पहुँचे, उन्हें मेले का रंगरूप देख कर अफसोस हुआ । कई लोगों का कहना रहा कि इतनी घटिया व्यवस्था का उन्हें अनुमान नहीं था । उनका कहना है कि दीपक गुप्ता चूँकि बड़ी बड़ी बातें करते रहते हैं, इसलिए उन्हें उम्मीद रही कि इंतजाम पिछले वर्ष जैसा नहीं तो कम से कम 'ठीक ठाक' किस्म का तो रहेगा ही - लेकिन थर्ड क्लास व्यवस्था देख कर लोग उखड़ गए । लोगों का कहना रहा कि दीपक गुप्ता ने 1200 रुपए लेकर 200 रुपए प्लेट वाला इंतजाम करवाया । लोगों ने अपने आप को उस समय ठगा हुआ पाया जब उन्हें ड्रिंक्स का काउंटर ही बंद मिला; उनके लिए यह समझना मुश्किल हुआ कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के टिकट के साथ उन्हें ड्रिंक्स के जो दो कूपन मिले हैं, उनका वह क्या करें ?
इसके बाद फिर वह हुआ, जो इससे पहले किसी डिस्ट्रिक्ट के कार्यक्रम में शायद ही हुआ हो । लोगों ने अपनी नाराजगी जताते हुए टिकट के साथ मिले कूपंस की होली जलाई । लोगों का कहना रहा कि कूपंस के बदले जब ड्रिंक्स उपलब्ध नहीं करवाना थी, तब कूपंस दिए ही  क्यों गए ? इसे लोगों ने दीपक गुप्ता की 'धोखाधड़ी' बताया और अपने आप को 'ठगा' हुआ पाया । दीपक गुप्ता ने बदइंतजामी के जरिए लोगों को ही नहीं ठगा, बल्कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट आलोक गुप्ता के साथ भी 'धोखाधड़ी' की । उल्लेखनीय है कि आलोक गुप्ता के क्लब के कुछेक सदस्यों ने पिछले रोटरी वर्ष में क्लब से इस्तीफा देकर एक नए क्लब के लिए आवेदन दिया हुआ था । माना/समझा जा रहा है कि नया क्लब बनेगा, तो उसमें क्लब के कुछ और सदस्य ट्रांसफर ले लेंगे और इस तरह आलोक गुप्ता के क्लब में एक बड़ी फूट पड़ेगी । आलोक गुप्ता के अनुरोध पर पिछले रोटरी वर्ष में सुभाष जैन ने नए क्लब के लिए हरी झंडी नहीं दी थी । इस वर्ष, ललित खन्ना की उम्मीदवारी के लिए आलोक गुप्ता का समर्थन लेने के लिए दीपक गुप्ता ने उन्हें भरोसा दिया हुआ था कि वह भी उक्त नए क्लब को हरी झंडी नहीं देंगे । आलोक गुप्ता इसी भरोसे के चलते ललित खन्ना की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए तैयार हुए थे, अन्यथा वह ललित खन्ना को समर्थन देने के लिए हरगिज तैयार नहीं थे । दरअसल दो वर्ष पहले आलोक गुप्ता से हारने के बाद से ललित खन्ना ने आलोक गुप्ता के प्रति बैर सा रखा हुआ था, और आलोक गुप्ता को बधाई देने का सामान्य-सा शिष्टाचार भी नहीं निभाया था - और इस बात से आलोक गुप्ता बुरी तरह भड़के हुए थे । आलोक गुप्ता के भड़के रवैये को दीपक गुप्ता ने 'सौदेबाजी' करके ठंडा कर दिया था; लेकिन चुनाव पूरा होते ही डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में आलोक गुप्ता यह देख/जान कर ठगे से रह गए कि दीपक गुप्ता ने काम निकलते ही उनका भरोसा तोड़ दिया है और नए क्लब को हरी झंडी देकर उनके क्लब में बड़ी फूट के लिए मौका बना दिया है ।
डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की बदहाली और उस पर लोगों द्वारा जताई/दिखाई गई नाराजगी को देख/जान पर ललित खन्ना ने खासी राहत महसूस की कि अच्छा हुआ कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव जल्दी हो गया, अन्यथा दीपक गुप्ता की हरकतें इस वर्ष भी उनकी लुटिया डुबा देतीं । इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की बदहाल व्यवस्था देख/सुन कर लोगों ने पिछले रोटरी वर्ष में सुभाष जैन के गवर्नर-वर्ष में हुए डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की भव्यता, रौनक तथा खानपान की जोरदार व्यवस्था को याद किया और अफसोस किया कि दीपक गुप्ता - सुभाष जैन से कुछ तो सीख लेते ।