Thursday, October 17, 2019

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3110 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू को कोलकाता में हुए शेखर मेहता के सम्मान समारोह में जो तवज्जो मिली और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी मुकेश सिंघल की जो उपेक्षा हुई, उसे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में तोमर खेमे के लिए बड़े झटके/खतरे का संकेत माना/देखा जा रहा है

बरेली । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के रूप में शेखर मेहता के कोलकाता में हुए सम्मान समारोह में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू को जो और जैसी तवज्जो मिली, उसे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में तोमर खेमे के लिए खतरे/झटके की घंटी के रूप में सुना/देखा जा रहा है । तोमर खेमे के नेताओं को भी समझ में आने लगा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के बहाने जिस लड़ाई को वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर किशोर कातरू व डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रवि प्रकाश अग्रवाल के खिलाफ समझ रहे हैं, उनकी वह लड़ाई वास्तव में इंटरनेशनल डायरेक्टर कमल सांघवी के साथ है । कोलकाता में हुए कार्यक्रम की तैयारी व उसके 'डिजाइन' के पीछे चूँकि कमल सांघवी ही थे; इसलिए किशोर कातरू को वहाँ जो और जैसी तवज्जो मिली, उसके पीछे कमल सांघवी की सोची-समझी रणनीति को ही देखा/पहचाना जा रहा है और माना जा रहा है कि इसके जरिये डिस्ट्रिक्ट के नेताओं को 'संदेश' दिया जा रहा है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी मुकेश सिंघल के लिए इस 'संदेश' को खासा महत्वपूर्ण समझा जा रहा है । दरअसल मुकेश सिंघल ही तोमर खेमे की तरफ से अत्यंत सक्रिय हैं; कई लोगों का कहना है कि मुकेश सिंघल को डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में इस होशियारी के साथ काम करना सीखना चाहिए कि वह अपना काम भी कर लें, और बदनामी से भी बच जाएँ - अभी लेकिन उल्टा हो रहा है, वह कुछ कर भी नहीं पा रहे हैं और बदनाम ज्यादा हो रहे हैं । यह भी एक कारण रहा कि कोलकाता में हुए इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी के सम्मान समारोह में उन्हें कोई तवज्जो नहीं मिली ।
उल्लेखनीय है कि मुकेश सिंघल जिस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होंगे, शेखर मेहता उसी वर्ष इंटरनेशनल प्रेसीडेंट होंगे - तब तक कमल सांघवी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद से तो भूतपूर्व तो हो चुके होंगे, लेकिन शेखर मेहता के सबसे ज्यादा विश्वासपात्र होने के कारण रोटरी में उनका जलवा इंटरनेशनल डायरेक्टर से ज्यादा ही होगा । ऐसे में, माना/समझा जा रहा है कि कोलकाता में मिले 'संदेशों' को पढ़ने/समझने में मुकेश सिंघल ने यदि कोई चूक की, तो अपने गवर्नर-वर्ष में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों का मानना/कहना है कि मुकेश सिंघल को चुप करा कर दरअसल तोमर खेमे की राजनीति को कमजोर करने की चाल चली जा रही है । रोटरी की चुनावी राजनीति में चूँकि सत्ताधारियों की विशेष भूमिका होती है, इसलिए तोमर खेमे के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी के रूप में मुकेश सिंघल की सक्रियता की खासी अहमियत है; उनके बीच डर है कि चुनावी मोर्चेबंदी में मुकेश सिंघल यदि सक्रिय नहीं रहे तो उनकी स्थिति और कमजोर हो जाएगी । मुकेश सिंघल के नजदीकियों का कहना/बताना है कि मुकेश सिंघल खुद यह रोना रोते हैं कि वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के झंझट में ज्यादा नहीं पड़ना चाहते हैं, लेकिन तोमर खेमे के नेता उन्हें जबर्दस्ती खींच लेते हैं - वह फिर बच नहीं पाते हैं और फँस जाते हैं ।
नोमीनेटिंग कमेटी के चुनाव में जो हुआ, उससे यह बात साबित हो गई है कि तोमर खेमे के नेता जिन तरकीबों से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की लड़ाई जीतना चाहते हैं, उनसे तो वह नहीं जीत पायेंगे । नोमीनेटिंग कमेटी में जो हुआ, अपनी आपत्तियों/शिकायतों के अनसुना रहने के उनके जो आरोप रहे; और अब कोलकाता में जो हुआ - उसे देख कर तोमर खेमे के नेताओं को इस बात को साफ तौर पर समझ लेना चाहिए कि अभी तक दिखाए गए उनके तौर-तरीके कामयाबी दिलवाने के मामले में कमजोर ही साबित रहने हैं, और अब उन्हें ज्यादा व्यावहारिक व व्यवस्थित तरीके अपनाने पड़ेंगे । तोमर खेमे के नेताओं के सामने एक और समस्या यह आ पड़ी है कि नोमीनेटिंग कमेटी के चुनाव में जो हुआ, और अब कोलकाता में जो होने की खबरें सामने आ रही हैं, उनके चलते - डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उनके उम्मीदवार सतीश जायसवाल का हौंसला/भरोसा भी टूटता सुना जा रहा है । सतीश जायसवाल के कुछेक समर्थक व शुभचिंतक उन्हें समझाने लगे हैं कि पवन अग्रवाल के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने के बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई का समीकरण अब बदल चुका है और उनके लिए अब ज्यादा मौका नहीं बचा है । ऐसे में तोमर खेमे के नेताओं को डर हो चला है कि इस तरह की बातों से सतीश जायसवाल का हौंसला व भरोसा यदि सचमुच ही टूट गया तो फिर वह तो बिना लड़े ही चुनावी मैदान से बाहर हो जायेंगे । ऐसे में, तोमर खेमे के नेताओं के सामने यह चुनौती भी पैदा हो गई है कि वह सतीश जायसवाल को भी तथा डिस्ट्रिक्ट के लोगों को भी यह भरोसा व हौंसला दें/दिलवाए कि नोमीनेटिंग कमेटी में तो बेईमानी के जरिये उन्हें हरा दिया गया है, लेकिन कोई जरूरी नहीं है कि सत्ता खेमे की बेईमानी आगे भी चल सके और कामयाबी पा सके । आगे क्या होगा, यह तो आगे पता चलेगा; अभी लेकिन नोमीनेटिंग कमेटी के चुनाव के बाद कोलकाता में किशोर कातरू को तवज्जो मिलने तथा मुकेश सिंघल की उपेक्षा होने के चलते बने परिदृश्य में डिस्ट्रिक्ट के चुनावी माहौल में तोमर खेमा दबाव में तो आ गया है ।