Wednesday, March 4, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 के रोटरी ब्लड बैंक के पदाधिकारियों की कल हुई बैठक में चुनाव की प्रक्रिया को शुरू करने से जुड़े फैसलों को रोक पाने के प्रयासों में विनोद बंसल के असफल रहने से चुनावी प्रक्रिया शुरू होने का रास्ता खुल गया है, और उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने तक दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक को पदाधिकारियों की नई टीम मिल जायेगी 

नई दिल्ली । एक सप्ताह के अंदर दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक के मामलों को लेकर कल हुई दूसरी मीटिंग के साथ ही ब्लड बैंक में सत्ता परिवर्तित होने का दिन नजदीक आता नजर आ रहा है, और ब्लड बैंक की प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़े आम व खास लोगों को लगने लगा है कि प्रेसीडेंट के रूप में विनोद बंसल के दिन बस अब गिने-चुने ही बचे हैं । विनोद बंसल हालाँकि अपना प्रेसीडेंट पद बचाने के लिए जी-तोड़ प्रयास कर रहे हैं, और इसके लिए नाराज सदस्यों को सिफारिशें लगा कर 'शांत' करने से लेकर वरिष्ठ सदस्यों को भावनात्मक रूप से फुसलाने का प्रयास वह कर रहे हैं । विनोद बंसल का कहना है कि उन्होंने ब्लड बैंक की काया पलट दी है और घाटे में चल रहे ब्लड बैंक को फायदे में ला दिया है; उन्होंने ब्लड बैंक के विस्तार की योजना तैयार की है, और उसे क्रियान्वित करना शुरू किया है; विनोद बंसल का कहना है कि ब्लड बैंक में जिन विस्तार योजनाओं पर काम शुरू हुआ है, उनके पूरा होने तक उनका प्रेसीडेंट बने रहना जरूरी है - ताकि उक्त योजनाएँ समय से पूरी हो सकें । लेकिन विनोद बंसल को प्रेसीडेंट पद से हटाने पर आमादा सदस्यों का मानना और कहना है कि दरअसल विस्तार योजनाएँ ही तो झगड़े की जड़ हैं, और यदि उन्हें विनोद बंसल की योजनानुसार ही पूरा होने दिया गया तो उससे ब्लड बैंक का मूल स्वरूप ही नष्ट हो जायेगा तथा विस्तार योजनाओं की आड़ में होने वाली लूट-खसोट पर पर्दा पड़ जायेगा । विनोद बंसल के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि जिन कुछेक लोगों को उन्होंने 'दुश्मन का दुश्मन दोस्त' वाले फार्मूले से अपना समर्थक बनाया हुआ भी है, उनका भी मानना/कहना है कि विनोद बंसल ने यदि किसी भी तरह ली तीन-तिकड़म और या जुगाड़बाजी से प्रेसीडेंट का पद बचा भी लिया तो विवाद और बढ़ेगा, इसलिए ब्लड बैंक को विवाद के दलदल से बचाने का अच्छा तरीका यही है कि विनोद बंसल की प्रेसीडेंट पद से विदाई हो जाए ।
इसीलिए रोटरी ब्लड बैंक के पदाधिकारियों की कल हुई बैठक में चुनाव की प्रक्रिया को शुरू करने से जुड़े फैसलों को रोक पाने के प्रयासों में विनोद बंसल पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए और असफल रहे । कल हुई मीटिंग में लिए गए फैसलों से चुनावी प्रक्रिया शुरू होने का रास्ता खुल गया है, और उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने तक दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक को पदाधिकारियों की नई टीम मिल जायेगी । कल हुई मीटिंग में शामिल हुए कुछेक सदस्यों ने अपने अपने नजदीकियों के बीच दावा किया है कि मीटिंग में मौजूद सदस्यों के व्यवहार से यह सुनिश्चित लग रहा है कि विनोद बंसल के लिए प्रेसीडेंट पद की कुर्सी बचा पाना अब मुश्किल होगा, हालाँकि उनकी जगह प्रेसीडेंट कौन होगा - यह भी अभी तय नहीं है । दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक में चल रहे घमासान का एक मजेदार पहलू यह भी है कि अलग अलग कारणों से विनोद बंसल के खिलाफ तो कई सदस्य हैं, लेकिन अगले प्रेसीडेंट को लेकर उनके बीच कोई बातचीत या सहमति नहीं है । अगले प्रेसीडेंट को लेकर बनी हुई इस अनिश्चितता में विनोद बंसल अपनी कुर्सी को बचाने की आखिरी उम्मीद देख रहे हैं । उन्हें लग रहा है कि दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक के अगले प्रेसीडेंट के पद के लिए यदि किसी अन्य नाम पर सदस्यों के बीच सहमति नहीं बनी तो संभव है कि प्रेसीडेंट पद उनके पास ही बचा रह जाए ।
प्रेसीडेंट पद पर बने रहने की विनोद बंसल की कोशिशों ने लेकिन उनके विरोधियों को और ज्यादा उकसाया व भड़काया हुआ है । इसी कारण से कल हुई मीटिंग में चुनावी प्रक्रिया को जल्दी से जल्दी पूरा करने पर जोर दिया गया । यह जोर रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के पदाधिकारियों की हरकतों के चलते और बढ़ा है ।उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के पदाधिकारी लगातार यह बता/दिखा/जता रहे हैं कि ब्लड बैंक की नई बन रही बिल्डिंग में वह डायलिसिस सेंटर शुरू करने जा रहे हैं; इसके लिए उन्होंने रोटरी फाउंडेशन से लेकर लोगों तक से रकम जुटाने की व्यवस्था कर ली है - लेकिन ब्लड बैंक के जिम्मेदार पदाधिकारियों तक का कहना है कि इस बारे में ब्लड बैंक और क्लब के बीच कोई समझौता 'रिकॉर्ड' पर नहीं है । समझा जाता है कि विनोद बंसल ने क्लब के पदाधिकारियों व सदस्यों के साथ मौखिक रूप से डायलिसिस सेंटर के लिए बात की हुई है, और उसी बात के भरोसे क्लब के सदस्य तरह तरह से पैसे जुटाने के अभियान में लगे हुए हैं । क्लब की तरफ से अजीत जालान को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार बनाया हुआ है, जिन्हें विनोद बंसल के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । अजीत जालान का क्लब फाइनेंशियल बेईमानियों के आरोप में खूब चर्चित रहा है, और उसके मामले काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग तक में चर्चा में रहे हैं । ऐसे में, अजीत जालान की उम्मीदवारी को समर्थन देने तथा उनके क्लब को मनमाने तरीके से ब्लड बैंक की बिल्डिंग में डायलिसिस सेंटर बनाने के लिए आश्वस्त करने को लेकर विनोद बंसल की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है । उनकी भूमिका को राजनीतिक व फाइनेंशियल बेईमानी में संलग्नता व सहभागिता के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, और इस बात ने उनकी ब्लड बैंक के प्रेसीडेंट की कुर्सी को खतरे में डाल दिया है ।