गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट आलोक गुप्ता ने इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर भरत पांड्या की बातों से प्रेरित हो कर कोरोना वायरस के कारण उपजी स्थिति से निपटने के लिए फंड इकट्ठा करने की जो कोशिश की, वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता को नागवार गुजरी है - और उन्होंने आलोक गुप्ता की कोशिश को तुरंत रोकने के लिए आदेश जारी कर दिया है । दीपक गुप्ता ने काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सभी सदस्यों से भी अनुरोध किया है कि वह आलोक गुप्ता को उक्त फंड इकट्ठा करने से रोकें । दीपक गुप्ता का कहना है कि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, और इस तरह का कोई फंड इकट्ठा करने का प्रयास उनकी तरफ से ही हो सकता है, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है । दीपक गुप्ता का कहना है कि आलोक गुप्ता जो कर रहे हैं, वह उनके अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी है । दीपक गुप्ता के लिए बदकिस्मती की बात लेकिन यह हुई है कि उनकी बात को तर्कपूर्ण मानते हुए भी काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सदस्य इस पक्ष में नहीं दिख रहे हैं कि आलोक गुप्ता ने जो प्रयास शुरू किया है - उसे रोका जाए । किसी किसी ने तो दीपक गुप्ता से दो-टूक कह भी दिया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में वह जब कुछ करते हुए नजर नहीं आ रहे थे, तब आलोक गुप्ता ने पहल करके क्या गलत कर दिया ? मामला जब दूसरों की जानकारी में आया तो लगभग हर किसी ने दीपक गुप्ता को लताड़ना शुरू किया कि वह खुद तो कुछ करना नहीं चाहते हैं, और न उन्होंने कुछ करने के लिए कदम उठाया - आलोक गुप्ता कुछ कर रहे हैं, तो उसमें टाँग अड़ा रहे हैं ।
मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट के कुछेक वरिष्ठ सदस्यों ने दीपक गुप्ता को सलाह दी थी कि कोरोना वायरस से पैदा हुई मुसीबत ने जिस तरह से देश और समाज को घेरा है, उसे देखते हुए रोटेरियंस के रूप में हमें कुछ करना चाहिए । दीपक गुप्ता ने रोटेरियन और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में कुछ करने में दिलचस्पी दिखाने की बजाये उन्हें जबाव दिया कि उनके क्लब के वरिष्ठ सदस्य अनिल अग्रवाल सिविल डिफेंस में बड़े पद पर सक्रिय हैं, आप जो कुछ भी करना चाहते हैं उनके साथ मिलकर कर लें । इसके बाद ही, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट आलोक गुप्ता ने कोरोना वायरस से पैदा हुई मुसीबत से निपटने में सहयोग करने के लिए फंड इकट्ठा करने के प्रयास शुरू किए । वास्तव में इसके लिए उन्हें शेखर मेहता और भरत पांड्या की बातों से प्रेरणा मिली । दरअसल एक दिन पहले ही शेखर मेहता व भरत पांड्या ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स इलेक्ट के साथ बातचीत की थी, जिसमें मौजूदा हालात में रोटेरियंस की जिम्मेदारियों और कार्य-योजनाओं के बारे में बातें हुईं थीं । उन्हीं बातों से प्रेरित होकर आलोक गुप्ता ने फंड इकट्ठा करने के लिए प्रयास शुरू किए । उनके प्रयासों को लोगों की तरफ से अच्छा रिस्पॉन्स भी मिला । दीपक गुप्ता लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपने नाकारापन को छिपाने तथा अपनी छोटी सोच का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट आलोक गुप्ता द्वारा शुरू किए गए प्रयास को बंद करवाने में जुट गए हैं ।
काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों तथा अन्य कुछेक लोगों ने दीपक गुप्ता के रवैये पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा है कि ऐसे समय में, जब सारी दुनिया के साथ-साथ देश और समाज गहरी मुसीबत में है - दीपक गुप्ता अपनी घटिया राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं । उनका कहना है कि होना तो यह चाहिए था कि आलोक गुप्ता द्वारा शुरू किए गए प्रयासों में दीपक गुप्ता सहयोग करते - जिससे समाज के लोगों के बीच रोटेरियंस की पहचान व साख और मजबूत होती तथा रोटरी समुदाय में डिस्ट्रिक्ट का नाम होता; इसकी बजाये दीपक गुप्ता उलटे आलोक गुप्ता द्वारा शुरू किए गए प्रयासों को बंद करवाने में जुट गए । उल्लेखनीय है कि आलोक गुप्ता ने जो प्रयास शुरू किया, वह उन्होंने अपने गवर्नर-वर्ष के प्रेसीडेंट्स तथा अपनी टीम के सदस्यों के साथ शुरू किया - लोगों का कहना है कि दीपक गुप्ता को आलोक गुप्ता के प्रयासों को मदद नहीं भी करना था, तो वह अपने गवर्नर-वर्ष के प्रेसीडेंट्स तथा अपनी टीम के सदस्यों के साथ आलोक गुप्ता जैसा ही काम शुरू कर सकते थे और आलोक गुप्ता से ज्यादा पैसा इकट्ठा करके नाम कमा सकते थे । दीपक गुप्ता ने लेकिन न पहले कुछ करने के बारे में विचार किया, और न कुछेक लोगों के कहने के बावजूद उन्होंने कुछ करने के प्रति कोई दिलचस्पी दिखाई - आलोक गुप्ता को पहल करता देख कर भी उन्हें कुछ करने के बारे में नहीं सूझा; यह बात लेकिन उन्हें तुरंत समझ में आ गई कि चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वह हैं - इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रोटरी और समाज के लिए कोई अच्छा काम कैसे कर सकता है ? अपने इस रवैये से दीपक गुप्ता ने यही दर्शाया है कि 'मैं तो कुछ करूँगा नहीं, तुम्हें भी कुछ करने नहीं दूँगा ।' मुश्किल समय में अपनी इस घटिया सोच व व्यवहार से दीपक गुप्ता ने वास्तव में अपनी फजीहत ही करवाई है ।
मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट के कुछेक वरिष्ठ सदस्यों ने दीपक गुप्ता को सलाह दी थी कि कोरोना वायरस से पैदा हुई मुसीबत ने जिस तरह से देश और समाज को घेरा है, उसे देखते हुए रोटेरियंस के रूप में हमें कुछ करना चाहिए । दीपक गुप्ता ने रोटेरियन और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में कुछ करने में दिलचस्पी दिखाने की बजाये उन्हें जबाव दिया कि उनके क्लब के वरिष्ठ सदस्य अनिल अग्रवाल सिविल डिफेंस में बड़े पद पर सक्रिय हैं, आप जो कुछ भी करना चाहते हैं उनके साथ मिलकर कर लें । इसके बाद ही, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट आलोक गुप्ता ने कोरोना वायरस से पैदा हुई मुसीबत से निपटने में सहयोग करने के लिए फंड इकट्ठा करने के प्रयास शुरू किए । वास्तव में इसके लिए उन्हें शेखर मेहता और भरत पांड्या की बातों से प्रेरणा मिली । दरअसल एक दिन पहले ही शेखर मेहता व भरत पांड्या ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स इलेक्ट के साथ बातचीत की थी, जिसमें मौजूदा हालात में रोटेरियंस की जिम्मेदारियों और कार्य-योजनाओं के बारे में बातें हुईं थीं । उन्हीं बातों से प्रेरित होकर आलोक गुप्ता ने फंड इकट्ठा करने के लिए प्रयास शुरू किए । उनके प्रयासों को लोगों की तरफ से अच्छा रिस्पॉन्स भी मिला । दीपक गुप्ता लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपने नाकारापन को छिपाने तथा अपनी छोटी सोच का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट आलोक गुप्ता द्वारा शुरू किए गए प्रयास को बंद करवाने में जुट गए हैं ।
काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों तथा अन्य कुछेक लोगों ने दीपक गुप्ता के रवैये पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा है कि ऐसे समय में, जब सारी दुनिया के साथ-साथ देश और समाज गहरी मुसीबत में है - दीपक गुप्ता अपनी घटिया राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं । उनका कहना है कि होना तो यह चाहिए था कि आलोक गुप्ता द्वारा शुरू किए गए प्रयासों में दीपक गुप्ता सहयोग करते - जिससे समाज के लोगों के बीच रोटेरियंस की पहचान व साख और मजबूत होती तथा रोटरी समुदाय में डिस्ट्रिक्ट का नाम होता; इसकी बजाये दीपक गुप्ता उलटे आलोक गुप्ता द्वारा शुरू किए गए प्रयासों को बंद करवाने में जुट गए । उल्लेखनीय है कि आलोक गुप्ता ने जो प्रयास शुरू किया, वह उन्होंने अपने गवर्नर-वर्ष के प्रेसीडेंट्स तथा अपनी टीम के सदस्यों के साथ शुरू किया - लोगों का कहना है कि दीपक गुप्ता को आलोक गुप्ता के प्रयासों को मदद नहीं भी करना था, तो वह अपने गवर्नर-वर्ष के प्रेसीडेंट्स तथा अपनी टीम के सदस्यों के साथ आलोक गुप्ता जैसा ही काम शुरू कर सकते थे और आलोक गुप्ता से ज्यादा पैसा इकट्ठा करके नाम कमा सकते थे । दीपक गुप्ता ने लेकिन न पहले कुछ करने के बारे में विचार किया, और न कुछेक लोगों के कहने के बावजूद उन्होंने कुछ करने के प्रति कोई दिलचस्पी दिखाई - आलोक गुप्ता को पहल करता देख कर भी उन्हें कुछ करने के बारे में नहीं सूझा; यह बात लेकिन उन्हें तुरंत समझ में आ गई कि चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर वह हैं - इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रोटरी और समाज के लिए कोई अच्छा काम कैसे कर सकता है ? अपने इस रवैये से दीपक गुप्ता ने यही दर्शाया है कि 'मैं तो कुछ करूँगा नहीं, तुम्हें भी कुछ करने नहीं दूँगा ।' मुश्किल समय में अपनी इस घटिया सोच व व्यवहार से दीपक गुप्ता ने वास्तव में अपनी फजीहत ही करवाई है ।