मेरठ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी राजीव सिंघल की हर संभव तिकड़म के बावजूद, अशोक गुप्ता अगले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव दिनेश शर्मा से बड़े अंतर से हार गए हैं । राजीव सिंघल और अशोक गुप्ता की जोड़ी और उनके नजदीकी इस हार के लिए पूर्व गवर्नर राकेश सिंघल को कोस रहे हैं । इनका आरोप है कि राकेश सिंघल वैसे तो अपने आपको मुरादाबाद का बड़ा नेता बताते/समझते हैं, लेकिन मुरादाबाद का वह एक वोट भी अशोक गुप्ता को नहीं दिलवा सके । चर्चा है कि अशोक गुप्ता वोटों की मुँहमाँगी कीमत देने को तैयार थे, और मुरादाबाद में आठ/दस वोट अपने आप को 'तटस्थ' भी बता/दिखा रहे थे - लेकिन दिनेश शर्मा और उनके समर्थकों द्वारा की गई घेराबंदी को तोड़ पाने में वह विफल रहे । अशोक गुप्ता की बदकिस्मती यह रही कि मुरादाबाद में उन्हें अपने घनघोर व दमदार समर्थक राकेश सिंघल के खासमखास लोगों का भी वोट नहीं मिला । दिनेश शर्मा के गृह क्षेत्र बुलंदशहर तक में अशोक गुप्ता ने कुछेक वोट प्राप्त करने का जुगाड़ बैठा लिया, लेकिन मुरादाबाद में उन्हें खाली हाथ ही रहना पड़ा - और यही उनकी हार का प्रमुख कारण बना । मुरादाबाद के क्लब्स ने जिस तरह से दिनेश शर्मा की उम्मीदवारी के पक्ष में एकतरफा रूप में वोट किया/दिया, वह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का एक दिलचस्प अध्याय है । मुरादाबाद का कोई उम्मीदवार होता है, तब मुरादाबाद के क्लब्स की ऐसी एकता कभी-कभार ही देखने को मिली है; मुरादाबाद से बाहर के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होने की स्थिति में तो यहाँ के वोट निश्चित रूप से बँटते ही हैं । लेकिन इस बार अनोखा काम हुआ, और दिनेश शर्मा की उम्मीदवारी के पक्ष में मुरादाबाद के क्लब्स की अप्रत्याशित एकता देखने को मिली ।
डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के कुछेक जानकारों के अनुसार, मुरादाबाद के क्लब्स की यह एकता वास्तव में दिनेश शर्मा के पक्ष में नहीं - बल्कि अशोक गुप्ता के विरोध में बनी; दिनेश शर्मा को तो उसका लाभ भर मिला है । दरसअल अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी की कमान जिस तरह से राजीव सिंघल के हाथों में रही/दिखी; और अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी के सहारे राजीव सिंघल जिस तरह से डिस्ट्रिक्ट का नेता बनने की कोशिश करते नजर आये - उससे डिस्ट्रिक्ट के कई नेता बुरी तरह बिदक गए । राजीव सिंघल के रवैये में डिस्ट्रिक्ट के आम और खास लोगों ने घमंड का भाव देखा और महसूस किया है; राजीव सिंघल की तरफ से, अशोक गुप्ता की जीत के बाद उनके दो/एक नजदीकियों के नाम अगले उम्मीदवारों के रूप में जिस तरह से 'उछले' - उससे भी डिस्ट्रिक्ट के नेताओं के बीच खलबली मची, और वह आपसी मतभेदों को भुला कर एकजुट हुए । डिस्ट्रिक्ट के कई नेताओं के बीच बनी एकजुटता को वरिष्ठ पूर्व गवर्नर जीएस धामा तथा युवा पूर्व गवर्नर संजीव रस्तोगी ने अपने अपने तरीके से न सिर्फ पुख्ता किया, बल्कि अपने अपने समर्थकों के जरिये दिनेश शर्मा की उम्मीदवारी के पक्ष में ऐसी जबर्दस्त घेराबंदी भी की कि विरोधियों के नजदीक समझे जाने वाले लोगों के वोट भी दिनेश शर्मा की झोली में आ गिरे । उल्लेखनीय है कि दिनेश शर्मा पहली और पिछली बार संजीव रस्तोगी के गवर्नर वर्ष में निर्विरोध चुने गए थे; लेकिन डिस्ट्रिक्ट के नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में जाने के चलते दिनेश शर्मा की वह कामयाबी खटाई में पड़ गई थी । डिस्ट्रिक्ट को नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस से बाहर लाकर दिनेश शर्मा को 'न्याय' दिलवाने के लिए रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के बीच जीएस धामा ने खासी 'वकालत' की थी, लेकिन उनके वह प्रयास सफल नहीं हो सके थे । इसलिए इस बार के चुनाव में दिनेश शर्मा को जीत की माला और शॉल पहनाने के लिए जीएस धामा और संजीव रस्तोगी ने जैसे कमर कस ली थी, और इस बार वह अपनी कोशिशों में कामयाब हुए ।
अशोक गुप्ता के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हरि गुप्ता का समर्थन लेना/पाना भी आत्मघाती साबित हुआ । मजे की बात यह रही कि हरि गुप्ता का समर्थन पाने के बाद अशोक गुप्ता व उनके समर्थक और जोश में आ कर अपनी जीत के प्रति आश्वस्त व निश्चिंत हो गए थे । लेकिन हुआ ठीक उल्टा और उनकी उम्मीदवारी का बंटाधार करने में हरि गुप्ता का भी भारी 'सहयोग' रहा । दरअसल, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में हरि गुप्ता का कार्यकाल बहुत ही बुरा रहा है और अधिकतर लोग अलग अलग कारणों से नाराज हुए हैं । रही सही कसर डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की बदइंतजामी ने पूरी कर दी । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में बदइंतजामी का आलम यह रहा कि लोगों को खाना पाने के लिए मशक्कत करना पड़ी और अपमानित तक होना पड़ा । खाना पाने के लिए पहले तो लोगों को लंबी लाइन में लगना पड़ा, जब तक उनका नंबर आया तो पता चला कि प्लेट्स खत्म हो गई हैं; जब तक प्लेट्स लगीं, तब तक रोटियाँ समाप्त हो गईं - लोग रोटियों का इंतजार कर रहे थे, लेकिन सप्लाई में दाल के डोंगे पर डोंगे चले आ रहे थे । इससे लोगों के बीच भारी अफरातफरी फैली । इससे पहले मुख्य अतिथि के रूप में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता कई मुद्दों पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में हरि गुप्ता की कमजोरियों को उद्घाटित कर चुके थे । इस तरह, लोगों ने देखा/पाया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में हरि गुप्ता हर मोर्चे पर फेल रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच चर्चा चल ही रही थी कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में हरि गुप्ता ने अशोक गुप्ता से कई खर्चे स्पॉन्सर करवाए हैं, और हरि गुप्ता का सहयोग/समर्थन पाने के लिए अशोक गुप्ता ने खुशी खुशी उनके खर्चों को उठाया है - इसके चलते, डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में फैली बदइंतजामी का शिकार हुए लोगों ने अशोक गुप्ता से बदला लिया । अशोक गुप्ता की बदकिस्मती रही कि उन्हें अपने समर्थकों के रवैये से पैदा हुई नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा है; इस कारण से उनकी 'आगे की राह' को भी मुश्किलों से भरा देखा/पहचाना जा रहा है ।