Wednesday, March 18, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3054 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट राजेश अग्रवाल प्रेसीडेंट्स इलेक्ट की ट्रेनिंग के नाम पर लीपापोती करने तथा पूर्व गवर्नर अनिल अग्रवाल द्वारा रोटरी फाउंडेशन की चोरी की गई रकम को अपने क्लब की तरफ से वापस करवाने की पोल खुलने से आरोपों में घिरे

कोटा । डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ, प्रमुख व खास लोगों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट राजेश अग्रवाल के 'चिराग' शीर्षक से आयोजित पहले प्रमुख कार्यक्रम से जिस तरह से दूरी बना कर रखी, और उसे जताया भी - उससे आभास मिल रहा है कि राजेश अग्रवाल ने अपने रवैये से डिस्ट्रिक्ट के अधिकतर लोगों को नाराज ही किया हुआ है । इस बार कमाल यह हुआ कि डिस्ट्रिक्ट के जो प्रमुख लोग डिस्ट्रिक्ट के प्रायः प्रत्येक कार्यक्रम में उपस्थित होने/रहने के कारण 'बदनाम' भी हैं, उन्होंने भी राजेश अग्रवाल के इस आयोजन से दूर रहने में ही अपनी भलाई देखी/पहचानी । जो लोग कार्यक्रम में शामिल हुए, उनका कहना/बताना रहा कि आयोजन बहुत बढ़िया हुआ, अच्छा इंतजाम था, खाने और पीने की अच्छी व्यवस्था थी, खूब जमकर नाच-गाना हुआ - यानि फुल्लमफुल मस्ती रही, लोगों ने खूब एन्जॉय किया; लेकिन कार्यक्रम में बेचारी 'रोटरी' कलपती/तड़पती रही । रोटरी की जितनी और जैसी ऐसीतैसी हो सकती थी, वह 'चिराग' में हुई । कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों से यह सुनकर कार्यक्रम से दूर रहने वालों को कहने का मौका मिला कि उन्हें यह पहले से ही पता था, और इसीलिए वह कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए । उल्लेखनीय बात यह भी रही कि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण राजेश अग्रवाल पर कार्यक्रम को स्थगित करने लिए भारी दबाव था; सरकारी एजेंसियों से लेकर रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों तक की तरफ से जो एडवाइजरी थी, उसके तहत भी कार्यक्रम को नहीं होना चाहिए था - लेकिन राजेश अग्रवाल ने न सरकारी एजेंसियों की सुनी और न रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की बात मानी । इसके लिए भी राजेश अग्रवाल को वाट्स-ऐप ग्रुपों में भारी आलोचना का शिकार होना पड़ा । आलोचना से बचने के लिए राजेश अग्रवाल को वाट्स-ऐप ग्रुपों से सदस्यों को निकालना पड़ा और कमेंट्स करने के उनके अधिकार को प्रतिबंधित करना पड़ा ।
'चिराग' शीर्षक से आयोजित कार्यक्रम वास्तव में प्रेसीडेंट्स इलेक्ट, सेक्रेटरी इलेक्ट, असिस्टेंट गवर्नर्स, जोनल व डिस्ट्रिक्ट टीम के सदस्यों का ट्रेनिंग प्रोग्राम था । कॉमन सेंस से सहज ही समझा जा सकता है कि दो दिन के कार्यक्रम में, किसकी कैसी क्या ट्रेनिंग हो सकती थी - जिसमें की खाना/पीना भी होना था, नाच/गाना भी होना था, एन्जॉय करना/करवाना भी था । जाहिर है कि ट्रेनिंग के नाम पर महज खानापूरी ही होनी थी, और वही हुई भी । लगता है कि राजेश अग्रवाल ट्रेनिंग को लेकर गंभीर थे भी नहीं । यह इससे 'दिखा' कि कार्यक्रम में एक भी ऐसा रोटेरियन ट्रेनर के रूप में आमंत्रित नहीं था, जो मौजूदा रोटरी परिदृश्य में सक्रिय/संलग्न हो और इस नाते रोटरी के मौजूदा लक्ष्यों व कार्यक्रमों से परिचित हो । कहने के लिए तो पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट कल्याण बनर्जी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, लेकिन वह सिर्फ इसलिए वहाँ थे क्योंकि वह वहीं रहते हैं, जहाँ कार्यक्रम हो रहा था । वैसे भी देखा/पाया गया है कि उम्र के दबाव के चलते कल्याण बनर्जी अब रोटरी के कार्यक्रमों को लेकर अपडेट नहीं रह पाते हैं, और उनकी स्थिति/मौजूदगी आशीर्वाद देने वाले बड़े/बुजुर्ग जैसी रह गई है । आमंत्रित ट्रेनर्स के नाम देख कर ही लोगों को लगा कि ट्रेनिंग के नाम पर राजेश अग्रवाल सिर्फ लीपापोती करना चाहते हैं, और जो उन्होंने बहुत अच्छे से की भी । उल्लेखनीय है कि रोटरी व्यवस्था में पेट्स (प्रेसीडेंट्स इलेक्ट ट्रेनिंग सेमीनार) का विशेष महत्त्व है; यह इसलिए, क्योंकि रोटरी में प्रेसीडेंट्स की भूमिका को बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना गया है । एक तरह से, प्रेसीडेंट्स को रोटरी की नींव के रूप में देखा/पहचाना जाता है, और इसलिए उनकी ट्रेनिंग पर खास जोर दिया जाता है । इसी कारण से, रोटरी व्यवस्था में प्रेसीडेंट्स की ट्रेनिंग (पेट्स) को अलग से करने का प्रावधान है । राजेश अग्रवाल ने लेकिन प्रेसीडेंट्स के साथ ही सेक्रेटरीज, असिस्टेंट गवर्नर्स तथा जोनल व डिस्ट्रिक्ट टीम के सदस्यों की भी ट्रेनिंग करवा कर दिखा/जता दिया कि रोटरी के मूल आदर्शों, कार्यक्रमों और उसकी व्यवस्था से उनका कुछ ज्यादा लेना-देना नहीं है, वह तो बस रोटरी के नाम पर एन्जॉय करने/करवाने की सोच रखते हैं ।
'चिराग' कार्यक्रम में, राजेश अग्रवाल के लिए उनके अपने क्लब - रोटरी क्लब कोटा - के कुछेक सदस्यों ने यह पोल खोलते हुए मुसीबत और बढ़ा दी कि बूढ़ों, बीमारों, गरीबों और अनपढ़ों की मदद के नाम पर ली गई करीब 20 लाख रुपए की ग्लोबल ग्रांट की घपलेबाजी की रकम उनके क्लब की तरफ से वापस की गई है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच यह बात बड़ी रहस्य बनी हुई थी कि रोटरी फाउंडेशन के पैसे हड़पने के आरोप में रोटरी में ग्रांट्स, अवॉर्ड्स, असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित रखने की सजा पाए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल अग्रवाल को 'बचाने' के लिए पैसे दिए किसने हैं ? 'चिराग' कार्यक्रम में जुटे लोगों को राजेश अग्रवाल के क्लब के सदस्यों ने ही बताया कि चोरी की उक्त रकम उनके क्लब ने वापस की है । इस जानकारी ने पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल अग्रवाल से जुड़े मामले को फिर से चर्चा में ला दिया । लोगों के बीच चर्चा रही कि अनिल अग्रवाल द्वारा चोरी की गई रकम राजेश अग्रवाल के क्लब की तरफ से वापस होने के पीछे आखिर खेल क्या है ? राजेश अग्रवाल और अनिल अग्रवाल की तरफ से इस बात को आखिर छिपाया क्यों जा रहा है कि अनिल अग्रवाल पर रोटरी फाउंडेशन की जिस रकम की चोरी का आरोप लगा, वह रकम राजेश अग्रवाल के क्लब की तरफ से वापस क्यों की गई है ? मजे की बात यह है कि अभी भी यह रहस्य बना हुआ है कि राजेश अग्रवाल के क्लब को वापस करने के लिए उक्त रकम आखिर दी किसने है ? उल्लेखनीय है कि रोटरी फाउंडेशन के पैसों की चोरी के आरोप में रोटरी इंटरनेशनल से सजा पाए अनिल अग्रवाल को अपने गवर्नर-काल में असाइनमेंट देने के मामले में राजेश अग्रवाल पहले से ही आरोपों के घेरे में हैं । राजेश अग्रवाल गवर्नर का पदभार संभालने से पहले ही जिस तरह से आरोपों और विवादों में फँस/घिर रहे हैं, उसे देख कर उनके नजदीकियों को ही चिंता होने लगी है कि राजेश अग्रवाल अपने गवर्नर वर्ष में डिस्ट्रिक्ट और रोटरी को पता नहीं कैसी क्या बदनामी दिलवायेंगे ?