Wednesday, May 6, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में चले रोटरी ब्लड बैंक प्रकरण के कारण, 'विनोद बंसल के उम्मीदवार' का टैग अजीत जालान की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की दूसरी बार की उम्मीदवारी के लिए अभिशाप बनता दिख रहा है  

नई दिल्ली । विनोद बंसल को रोटरी ब्लड बैंक के प्रेसीडेंट पद से जिन हालात में और जिस तरह से हटाया या हटना पड़ा है, उसके कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में अजीत जालान की मुश्किलें खासी बढ़ गई हैं । रोटरी ब्लड बैंक के घटनाक्रम के कारण अजीत जालान की उम्मीदवारी के लिए विनोद बंसल वैसी ही मुसीबत बन गए हैं, जैसी मुसीबत अशोक कंतूर के लिए रवि चौधरी बन गए थे । अशोक कंतूर ने तो रवि चौधरी से आसानी से पीछा छुड़ा लिया था और वह अपनी उम्मीदवारी को कामयाबी की संभावना की पटरी पर ले आए थे, लेकिन अजीत जालान के लिए विनोद बंसल की छाया से पीछा छुड़ाना उतना आसान नहीं होगा । अजीत जालान के नजदीकियों और शुभचिंतकों का भी मानना और कहना है कि लेकिन यदि अजीत जालान, विनोद बंसल के उम्मीदवार के रूप में ही देखे/पहचाने जाते रहे - तो फिर अगले रोटरी वर्ष में भी जीतने की उम्मीद छोड़ दें । अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए तीन उम्मीदवार तैयारी करते देखे/सुने जा रहे हैं - अजीत जालान, महेश त्रिखा और पुष्पा सेठी । त्रिकोणीय चुनाव में दूसरी वरीयता के वोटों का बड़ा महत्त्व हो जाता है । अशोक कंतूर की इस वर्ष हुई जीत में दूसरी वरीयता वोटों की बड़ी भूमिका थी । अजीत जालान दूसरी वरीयता के वोट पाने के मामले में चूँकि फिसड्डी रहे, इसलिए बुरी तरह हार गए । विनोद बंसल के समर्थन के बावजूद, अजीत जालान को जब इस वर्ष ही दूसरी वरीयता के वोटों का टोटा रहा; तो ब्लड बैंक के प्रकरण के बाद, विनोद बंसल के उम्मीदवार के रूप में तो अजीत जालान को वोट जुटाना और भी मुश्किल हो जायेगा ।
रोटरी ब्लड बैंक के प्रेसीडेंट पद से हटाए जाने या हटने के बाद, विनोद बंसल ने हमदर्दी जुटाने के उद्देश्य से अपनी उपलब्धियों का बखान करते हुए जो पत्र लिखा, उसके जबाव में कुछेक पूर्व गवर्नर्स ने उन्हें आईना दिखाते हुए जो पत्र लिखे हैं - उनसे संकेत मिलता है कि अपने व्यवहार और अपने तौर-तरीकों से विनोद बंसल ने अपने डिस्ट्रिक्ट में अपनी जो हालत खराब कर ली है, वह जल्दी सुधरने वाली नहीं है । विनोद बंसल की यह स्थिति, उनके उम्मीदवार के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले अजीत जालान की मुश्किलों को बढ़ाने का काम करती है; और इसीलिए अजीत जालान के नजदीकियों तथा शुभचिंतकों को लग रहा है कि अजीत जालान को जल्दी से जल्दी 'विनोद बंसल के उम्मीदवार' की पहचान से पीछा छुड़ा लेना चाहिए । अजीत जालान ने हाल-फिलहाल के दिनों में एक अच्छा काम किया है कि उन्होंने अपने विरोधियों से बातचीत करना शुरू किया है, तथा उन लोगों का समर्थन जुटाने का प्रयास किया है - जो इस वर्ष अशोक कंतूर के साथ थे । ऐसे लोगों में विनय भाटिया का नाम लिया जा रहा है । अशोक कंतूर के समर्थकों को हालाँकि पुष्पा सेठी की उम्मीदवारी के समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, लेकिन अजीत जालान के नजदीकियों का दावा है कि अशोक कंतूर के एक समर्थक रहे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया का समर्थन अजीत जालान की उम्मीदवारी को मिलना पक्का हो गया है, जो उन्हें फरीदाबाद के क्लब्स के वोट दिलवाने में मदद करेंगे ।
महेश त्रिखा की इस बार के चुनाव में जो स्थिति रही, उसे देख कर उनके समर्थकों के बीच निराशा तो है - लेकिन चूँकि वह अजीत जालान या पुष्पा सेठी की उम्मीदवारी के साथ नहीं जा सकते हैं, इसलिए उनकी मजबूरी है कि वह महेश त्रिखा के साथ ही रहें । महेश त्रिखा के समर्थक रहे कुछेक लोग हालाँकि पुष्पा सेठी की उम्मीदवारी में भविष्य देखने की कोशिश तो कर रहे हैं, लेकिन पुष्पा सेठी की उम्मीदवारी के अभियान को वह चूँकि कमजोर देख/पा रहे हैं, इसलिए उन्हें लग रहा है कि उन्हें महेश त्रिखा की उम्मीदवारी के अभियान को आगे बढ़ाने को लेकर तैयारी करना चाहिए । महेश त्रिखा और पुष्पा सेठी की उम्मीदवारी की तैयारियों में कमजोरी देख/भाँप कर अजीत जालान और उनके नजदीकियों को अगले रोटरी वर्ष में अपने लिए अच्छा मौका नजर आ रहा है, लेकिन 'विनोद बंसल के उम्मीदवार' का टैग उनके 'मौके' को धूल में मिलाता दिख रहा है । वह समझ रहे हैं कि इस टैग के चलते अजीत जालान के लिए महेश त्रिखा और पुष्पा सेठी के वोटरों के दूसरी वरीयता के वोट प्राप्त कर पाना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव ही होगा । समस्या की बात यह है कि अजीत जालान के लिए यह टैग जितना मुसीबतभरा है, इससे पीछा छुड़ाना उससे भी ज्यादा मुसीबतभरा है । दरअसल उक्त टैग ही अजीत जालान की पहचान है, किंतु रोटरी ब्लड बैंक के प्रकरण चलते यह पहचान ही उनके लिए अभिशाप बनती दिख रही है ।