Monday, May 18, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जगदीश अग्रवाल के उपेक्षापूर्ण रवैये से नाराज गुरनाम सिंह, संजय चोपड़ा और प्रमोद सेठ ने उन्हें सबक सिखाने के लिए उनके खिलाफ नेगेटिव वोटिंग करवाई  

लखनऊ । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जगदीश अग्रवाल के खिलाफ नेगेटिव वोट डलवा कर गुरनाम सिंह, संजय चोपड़ा, प्रमोद सेठ आदि पूर्व गवर्नर्स ने जैसे पिछले लायन वर्ष की अपनी 'गलती' को सुधारने का काम किया है । कुल पड़े 251 वोटों में जगदीश अग्रवाल के पक्ष में कुल 107 वोट रहे, जबकि 144 वोट उनके खिलाफ पड़े - और इस तरह जगदीश अग्रवाल फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नहीं चुने जा सके । जगदीश अग्रवाल के नजदीकियों ने इस स्थिति के लिए गुरनाम सिंह, संजय चोपड़ा, प्रमोद सेठ आदि पूर्व गवर्नर्स को जिम्मेदार ठहराया है । मजे की बात यह है कि पिछले लायन वर्ष में इन्हीं पूर्व गवर्नर्स ने जगदीश अग्रवाल को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनवाने/चुनवाने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगाया था - और उनकी उम्मीदवारी का नामांकन स्वीकार करवाने से लेकर लायंस इंटरनेशनल कार्यालय तक से उनके चुनाव को मंजूर करवाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी । लेकिन जल्दी ही जगदीश अग्रवाल के इन लोगों के साथ संबंध खराब होने और सुनाई देने लगे । वरिष्ठ पूर्व गवर्नर गुरनाम सिंह के नजदीकियों के अनुसार, लायंस इंटरनेशनल कार्यालय से हरी झंडी मिलने के बाद जगदीश अग्रवाल के तेवर बिलकुल बदल गए थे, और उन्होंने गुरनाम सिंह को तवज्जो देना बंद कर दिया था । जगदीश अग्रवाल के इसी रवैये को देख कर गुरनाम सिंह ने उन्हें सबक सिखाने की ठान ली थी । खास बात यह रही कि गुरनाम सिंह ने जगदीश अग्रवाल को सबक सिखाने की योजना बहुत ही गुपचुप रूप से बनाई और अपनी योजना की खबर अपने 'हनुमान' विशाल सिन्हा को भी नहीं लगने दी । अब जो चर्चाएँ सुनने को मिल रही हैं, उनमें बात निकल कर आ रही है कि गुरनाम सिंह ने जगदीश अग्रवाल को सबक सिखाने के लिए एक तरफ तो संजय चोपड़ा और प्रमोद सेठ जैसे अपने खेमे के लोगों का साथ लिया, और दूसरी तरफ केएस लूथरा जैसे विरोधी खेमे के नेता की मदद ली ।
संजय चोपड़ा और प्रमोद सेठ ने जगदीश अग्रवाल के खिलाफ नेगेटिव वोटिंग करवाने के मामले में गुरनाम सिंह की मदद इस कारण से की बताई जा रही है, क्योंकि वह यह देख कर बुरी तरह नाराज रहे कि जगदीश अग्रवाल उन्हें कोई तवज्जो ही नहीं दे रहे हैं - और सिर्फ विशाल सिन्हा को ही नेता मान रहे हैं । कह सकते हैं कि जगदीश अग्रवाल एक तरह से गुरनाम सिंह खेमे के सदस्यों की आपसी लड़ाई के शिकार हो गए हैं - जिसमें एक तरफ विशाल सिन्हा और अनुपम बंसल और कमल शेखर हैं, तथा दूसरी तरफ संजय चोपड़ा और प्रमोद सेठ हैं । पिछले नौ/दस महीनों से देखने में आया कि जगदीश अग्रवाल ने संजय चोपड़ा और प्रमोद सेठ को तो किनारे लगा दिया, और विशाल सिन्हा व अनुपम बंसल के नजदीक रहे । इतने तक तो कोई बात नहीं थी, और जगदीश अग्रवाल के रवैये पर संजय चोपड़ा व प्रमोद सेठ खून का घूँट पीकर रह गए - लेकिन जगदीश अग्रवाल ने जब गुरनाम सिंह की भी अवहेलना शुरू कर दी, तब मामला बिगड़ गया । गुरनाम सिंह को एक तरफ तो जिमखाना क्लब की राजनीति में जगदीश अग्रवाल की तरफ से अपेक्षित सहयोग/समर्थन नहीं मिला, और दूसरी तरफ डिस्ट्रिक्ट में भी उन्होंने देखा/पाया कि जगदीश अग्रवाल उन्हें उचित तवज्जो नहीं दे रहे हैं । जगदीश अग्रवाल के रवैये को लेकर संजय चोपड़ा और प्रमोद सेठ की नाराजगी के बारे में गुरनाम सिंह को जानकारी थी ही, सो उन्होंने इन दोनों को साथ लेकर जगदीश अग्रवाल को सबक सिखाने की योजना बना डाली ।
गुरनाम सिंह, संजय चोपड़ा और प्रमोद सेठ ने अपनी योजना को इतने गुपचुप रूप से अंजाम दिया कि जगदीश अग्रवाल और उनके नजदीकियों व समर्थकों को कानों-कान खबर तक नहीं हुई, और इसीलिए जगदीश अग्रवाल के मामले में आये चुनावी नतीजे ने हर किसी को हैरान किया है । दरअसल गुरनाम सिंह, संजय चोपड़ा, प्रमोद सेठ की तिकड़ी को यह डर था कि उनकी योजना की पोल खुली तो विशाल सिन्हा कुछ नाटकबाजी करके उनकी योजना को फेल कर सकते हैं । असल में, लायन राजनीति में नेगेटिव वोटिंग वाले हथकंडे का शोर तो बहुत मचता है, लेकिन यह हथकंडा अमूमन सफल नहीं होता है । इससे पहले, मल्टीपल के डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू में नेगेटिव वोटिंग वाला हथकंडा कामयाब हुआ है, अन्यथा यह हथकंडा आमतौर पर फेल ही होता है । वास्तव में, इसीलिए गुरनाम सिंह, संजय चोपड़ा और प्रमोद सेठ ने इस हथकंडे को चुपचाप तरीके से अमल में लाने की कार्रवाई की । इसके पीछे एक और कारण यह भी रहा कि उनकी योजना यदि फेल हो जाती, तो उनके पास पड़ने वाले नेगेटिव वोटों का ठीकरा विरोधी खेमे नेताओं के सिर फोड़ने का मौका बना रहता । चर्चा है कि गुरनाम सिंह ने अपनी योजना को सफल बनाने के लिए विरोधी खेमे के नेता केएस लूथरा की भी मदद ली, और इन चारों ने इतने गुपचुप तरीके से जगदीश अग्रवाल के खिलाफ करीब 57 प्रतिशत नेगेटिव वोट डलवा दिए कि डिस्ट्रिक्ट के चुनावी परिदृश्य में हड़कंप सा मच गया है  ।