Sunday, May 17, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में अशोक अग्रवाल व ललित खन्ना ने सीओएल प्रतिनिधि के चुनाव में मुकेश अरनेजा से अपना अपना बदला लिया; और डिस्ट्रिक्ट में मुकेश अरनेजा की बदनामी का फायदा उठा कर उन्हें चुनाव हरवाया

नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा सीओएल प्रतिनिधि का चुनाव तीन वोटों से हार गए । मुकेश अरनेजा की इस हार ने अगले रोटरी वर्ष में होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में प्रतिनिधित्व के लिए होने वाले चुनाव के नजारे को दिलचस्प बना दिया है । मुकेश अरनेजा ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में झटके हालाँकि पहले भी खाए हैं, लेकिन इस हार का झटका उनके लिए खास इस मायने में हैं कि यह हार उन्हें अपने पुराने साथियों/सहयोगियों के मार्फत मिली है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अशोक अग्रवाल और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी डेजिगनेटेड ललित खन्ना एक समय मुकेश अरनेजा के बड़े लाड़ले हुआ करते थे; और मुकेश अरनेजा की तमाम हरकतों में यह दोनों 'पार्टनर इन क्राइम' रहे हैं; मुकेश अरनेजा लेकिन उन लोगों में हैं जो 'क्राइम' करने के मामले में अपने पार्टनर्स को भी नहीं छोड़ते हैं - और इसी के चलते उन्होंने इन दोनों को भी नहीं बख्शा । इसीलिए इन दोनों ने सीओएल के चुनाव में मुकेश अरनेजा को ढेर करने का बीड़ा उठाया हुआ था । वास्तव में बीड़ा उठाया तो अशोक अग्रवाल ने था, ललित खन्ना तो मुकेश अरनेजा से अपनी खुन्नस निकालने के लिए अशोक अग्रवाल के साथ हो लिए । सीओएल के लिए मुकेश अरनेजा का चुनाव हुआ तो शरत जैन से - लेकिन बेचारे शरत जैन तो वास्तव में शिकार फाँसने के लिए बाँधी जाने वाली बकरी के रूप में थे । शरत जैन भले व्यक्ति हैं, और उनकी डिस्ट्रिक्ट में कोई राजनीतिक पहचान नहीं है । उन पर अंग्रेजी का वह मुहावरा फिट बैठता है, जिसमें कहा गया है - 'गुड फॉर नथिंग', यानि अच्छा तो है, पर किसी काम का नहीं है । इसीलिए माना/समझा जा रहा था कि मुकेश अरनेजा का चुनाव शरत जैन से नहीं है; उन्हें तो अशोक अग्रवाल और ललित खन्ना से निपटना है । अशोक अग्रवाल और ललित खन्ना को भी सीओएल के चुनाव के बहाने से मुकेश अरनेजा से अपना अपना हिसाब चुकता करने और बदला लेने का मौका मिल गया ।
अशोक अग्रवाल और ललित खन्ना की जोड़ी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता की भी मदद मिली - मुकेश अरनेजा जिनके गवर्नर वर्ष में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर हैं । इससे समझा जा सकता है कि मुकेश अरनेजा ने किस हद तक अपने नजदीकियों को अपना दुश्मन बनाया हुआ है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट आलोक गुप्ता ने सीओएल के चुनाव में यह तर्क देते हुए तटस्थ भूमिका निभाई कि उन्हें डेढ़/दो महीने बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी संभालनी है, और सभी को साथ लेकर डिस्ट्रिक्ट व रोटरी के लिए काम करना है, इसलिए किसी एक उम्मीदवार के साथ जुड़ कर उन्हें डिस्ट्रिक्ट व रोटरी में पक्षपातपूर्ण माहौल नहीं बनाना चाहिए । मुकेश अरनेजा को एक अकेले निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन का समर्थन था । चुनावी नतीजे का आकलन करने वाले लोगों का कहना/मानना है कि सुभाष जैन का समर्थन न होता, तो मुकेश अरनेजा की हालत और भी बुरी होती । पिछले रोटरी वर्ष में अशोक अग्रवाल और अमित गुप्ता के बीच हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल ने अमित गुप्ता का समर्थन किया था, जिसके बावजूद अमित गुप्ता को 50 से भी कम वोट मिले थे । इसी से माना/समझा जा रहा है कि मुकेश अरनेजा के पास डिस्ट्रिक्ट में मुश्किल से दस से पंद्रह वोट ही हैं । ऐसे में, अकेले सुभाष जैन का समर्थन भी उनकी आखिर कितनी मदद करता ? सीओएल के चुनाव में सुभाष जैन की मदद ने मुकेश अरनेजा को बड़ी हार से जरूर बचा लिया और उनकी हार को मामूली अंतर से हुई 'सम्मानजनक हार' में शिफ्ट करके मुकेश अरनेजा को एक बड़ी फजीहत का शिकार होने से रोक लिया है । 
मुकेश अरनेजा की हार को लेकर कई लोगों को हालाँकि यह भी लगता है कि मुकेश अरनेजा और सुभाष जैन की जोड़ी अति-आत्मविश्वास के कारण भी सीओएल का चुनाव हार गई है । कई लोगों का कहना/बताना है कि इन दोनों ने अशोक अग्रवाल और ललित खन्ना की सक्रियता को कम करके आँका और जीता-जिताया चुनाव गवाँ बैठे । अशोक अग्रवाल और ललित खन्ना ने इस चुनाव को किसी भी तरह से जीतने का जिम्मा लिया हुआ था, और हर तरह के हथकंडे अपनाए हुए थे; मुकेश अरनेजा और सुभाष जैन तथा उनके अन्य साथी लेकिन यही मानते/समझते रहे कि वह जीतने लायक वोट नहीं जुटा पायेंगे - किंतु अब जब नतीजा आया तो पता चला कि कुल दो वोटों की कमी से सीओएल का चुनाव उनके हाथ से निकल गया है । सीओएल के चुनावी नतीजे ने अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में प्रतिनिधित्व के लिए होने वाले चुनाव के नजारे को खासा दिलचस्प बना दिया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में प्रियतोष गुप्ता की तथा नोमीनेटिंग कमेटी में प्रतिनिधित्व के लिए सुभाष जैन की उम्मीदवारी के सामने अभी कोई संकट नहीं देखा/पहचाना जा रहा है और माना/समझा जा रहा है कि इन दोनों के लिए सफलता पाना कोई मुश्किल नहीं होगा । किंतु सीओएल प्रतिनिधि के चुनाव में मिले चुनावी नतीजे से यह आशंका बढ़ गई है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में कुछ नए प्रयोग हो सकते हैं, जो चुनावी परिदृश्य को रोमांचक बनाए । देखना दिलचस्प होगा कि सीओएल प्रतिनिधि के चुनाव में मिले नतीजे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति पर सचमुच किस तरह से क्या प्रभाव डालेंगे ?