जयपुर । बूढ़ों, बीमारों, गरीबों और अनपढ़ों की मदद के नाम पर ली गई करीब 20 लाख रुपए की ग्लोबल ग्रांट की घपलेबाजी के आरोप में रोटरी में ग्रांट्स, अवॉर्ड्स, असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित रखने की सजा पाए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल अग्रवाल को रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से एक बार फिर झटका लगा है - और उनकी सजा माफी की उम्मीद धूल में मिल गई है । उल्लेखनीय है कि अनिल अग्रवाल को पूरी पूरी उम्मीद थी कि अभी हाल ही में संपन्न हुईं रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तथा रोटरी फाउंडेशन ट्रस्टीज की मीटिंग में उनकी सजा माफ हो जाएगी - और फिर वह चौड़े होकर घूमेंगे तथा उन्हें रोटरी में 'छिपछिपाकर' नहीं रहना पड़ेगा । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की अभी हाल ही में संपन्न हुई मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट 2981 के पूर्व गवर्नर ए मणि को सजा मुक्त करने का फैसला तो हुआ है, लेकिन अनिल अग्रवाल को सजा से माफी अभी नहीं मिली है । अनिल अग्रवाल हालाँकि खुशकिस्मत हैं कि रोटरी इंटरनेशनल ने उन्हें असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित रखने की सजा भले ही सुनाई हुई हो, (इस संबंध में रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय द्वारा जारी किया गया पत्र इस रिपोर्ट के अंत में पढ़ा जा सकता है) लेकिन डिस्ट्रिक्ट में और 'रोटरी इंडिया' की कमेटी में उन्हें असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स मिल गए हैं । इन असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से अनिल अग्रवाल बड़े खुश भी हैं, और उनके कुछेक दोस्त/यार उन्हें इसके लिए बधाई भी दे रहे हैं - लेकिन यह खुशी और बधाई आधी/अधूरी सी है, और थोड़ी शर्मिंदगी के साथ ही व्यक्त की जा रही है ।
दरअसल अनिल अग्रवाल का मामला उस 'अपराधी' जैसा है, जिसे अदालत ने तो जेल की सजा सुनाई हुई है - लेकिन जिसने जुगाड़बाजी से पैरोल या जेल में सुख/सुविधाओं की 'व्यवस्था' कर ली है; व्यवस्था तो उसने कर ली, किंतु इसका फायदा वह चोरीछिपे ही उठाता है - उसे डर होता है कि 'पकड़े' जाने पर उससे यह 'व्यवस्था' छिन सकती है । अनिल अग्रवाल को वैसा तो कोई डर नहीं है; क्योंकि वह जानते हैं कि रोटरी इंटरनेशनल से असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित रखने की सजा सुनाये जाने के बाद भी जिन पदाधिकारियों ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट में और 'रोटरी इंडिया' में असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स दिए हैं, उन्हें रोटरी की वैल्यूज, रोटरी के आदर्शों और रोटरी के नियमों आदि की कोई परवाह नहीं है - रोटरी को लेकर वह बातें चाहें कितनी ही बड़ी बड़ी करते रहते हों, लेकिन व्यावहारिक रूप से उनमें कोई नैतिक बल नहीं है और वह बूढ़ों, बीमारों, गरीबों और अनपढ़ों की मदद के नाम पर ली गई करीब 20 लाख रुपए की ग्लोबल ग्रांट की घपलेबाजी के आरोप में सजा पाए अनिल अग्रवाल के सामने समर्पण करते हुए ही दिखेंगे । अनिल अग्रवाल की चिंता और समस्या लेकिन दूसरी है - और वह यह कि डिस्ट्रिक्ट और 'रोटरी इंडिया' की कमेटीज के पदाधिकारी के रूप में वह जब लोगों के बीच जायेंगे, तो लोग उनसे पूछ सकते हैं कि रोटरी फाउंडेशन के पैसों में गड़बड़ी करने के मामले में 'सजायाफ्ता' होने के चलते वह कैसे उनके लीडर या मास्टर हो सकते हैं; रोटेरियंस को इस बात पर भी आपत्ति हो सकती है कि रोटरी इंटरनेशनल से सजा पाया हुआ एक व्यक्ति कैसे उन्हें रोटरी के बारे में कोई पाठ पढ़ा सकता है ? दरअसल इसी डर के चलते, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट राजेश अग्रवाल की डिस्ट्रिक्ट टीम में असाइनमेंट व अपॉइंटमेंट पाने के बावजूद अनिल अग्रवाल अपने आपको राजेश अग्रवाल के आयोजनों से दूर रखे हुए हैं ।
अनिल अग्रवाल के साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों का भी मानना और कहना है कि अनिल अग्रवाल को जुगाड़बाजी से डिस्ट्रिक्ट तथा 'रोटरी इंडिया' की कमेटी में पद नहीं लेना चाहिए था; और डिस्ट्रिक्ट तथा 'रोटरी इंडिया' के पदाधिकारियों को भी तब तक उन्हें कोई पद नहीं देना चाहिए था - जब तक कि उनकी सजा या तो पूरी नहीं हो जाती या माफ न हो जाती है । रोटेरियंस का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट और 'रोटरी इंडिया' के पदाधिकारियों ने अनिल अग्रवाल को असाइनमेंट व अपॉइंटमेंट देकर वास्तव में एक गलत परंपरा डाली है; इससे अब हर जुगाड़ु पदाधिकारी आश्वस्त रहेगा कि वह रोटरी में चाहें कितनी ही बड़ी घपलेबाजी कर ले, और उसके लिए रोटरी इंटरनेशनल से भले ही उसे सजा मिल जाये - लेकिन फिर भी डिस्ट्रिक्ट और 'रोटरी इंडिया' की टीम में उसे पद मिल ही जायेंगे । रोटरी इंटरनेशनल से असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित रखने की सजा पाये अनिल अग्रवाल को असाइनमेंट व अपॉइंटमेंट देने के बाद डिस्ट्रिक्ट और 'रोटरी इंडिया' के पदाधिकारी दूसरे रोटेरियंस से भला कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वह अपना अपना काम ईमानदारी से करेंगे और अपनी बेईमानी तथा लूटखसोट की कार्रवाईयों से रोटरी को खोखला व बदनाम नहीं करेंगे ? इसी 'स्थिति' से पैदा होने वाली शर्मिंदगी तथा जलालत से अपने आप को तथा रोटरी में अपने गॉडफादर्स को बचाने के लिए अनिल अग्रवाल ने जुगाड़ तो लगाया था कि अप्रैल के आखिरी सप्ताह में संपन्न होने वाली रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तथा रोटरी फाउंडेशन ट्रस्टीज की मीटिंग में उनकी सजा माफ हो जाने का फैसला हो जायेगा - लेकिन रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय के पदाधिकारियों ने अभी उन्हें निराश ही किया है । इसके चलते डिस्ट्रिक्ट और 'रोटरी इंडिया' की कमेटी में असाइनमेंट व अपॉइंटमेंट पाने की उनकी खुशी फीकी ही पड़ गई है ।
दरअसल अनिल अग्रवाल का मामला उस 'अपराधी' जैसा है, जिसे अदालत ने तो जेल की सजा सुनाई हुई है - लेकिन जिसने जुगाड़बाजी से पैरोल या जेल में सुख/सुविधाओं की 'व्यवस्था' कर ली है; व्यवस्था तो उसने कर ली, किंतु इसका फायदा वह चोरीछिपे ही उठाता है - उसे डर होता है कि 'पकड़े' जाने पर उससे यह 'व्यवस्था' छिन सकती है । अनिल अग्रवाल को वैसा तो कोई डर नहीं है; क्योंकि वह जानते हैं कि रोटरी इंटरनेशनल से असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित रखने की सजा सुनाये जाने के बाद भी जिन पदाधिकारियों ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट में और 'रोटरी इंडिया' में असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स दिए हैं, उन्हें रोटरी की वैल्यूज, रोटरी के आदर्शों और रोटरी के नियमों आदि की कोई परवाह नहीं है - रोटरी को लेकर वह बातें चाहें कितनी ही बड़ी बड़ी करते रहते हों, लेकिन व्यावहारिक रूप से उनमें कोई नैतिक बल नहीं है और वह बूढ़ों, बीमारों, गरीबों और अनपढ़ों की मदद के नाम पर ली गई करीब 20 लाख रुपए की ग्लोबल ग्रांट की घपलेबाजी के आरोप में सजा पाए अनिल अग्रवाल के सामने समर्पण करते हुए ही दिखेंगे । अनिल अग्रवाल की चिंता और समस्या लेकिन दूसरी है - और वह यह कि डिस्ट्रिक्ट और 'रोटरी इंडिया' की कमेटीज के पदाधिकारी के रूप में वह जब लोगों के बीच जायेंगे, तो लोग उनसे पूछ सकते हैं कि रोटरी फाउंडेशन के पैसों में गड़बड़ी करने के मामले में 'सजायाफ्ता' होने के चलते वह कैसे उनके लीडर या मास्टर हो सकते हैं; रोटेरियंस को इस बात पर भी आपत्ति हो सकती है कि रोटरी इंटरनेशनल से सजा पाया हुआ एक व्यक्ति कैसे उन्हें रोटरी के बारे में कोई पाठ पढ़ा सकता है ? दरअसल इसी डर के चलते, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट राजेश अग्रवाल की डिस्ट्रिक्ट टीम में असाइनमेंट व अपॉइंटमेंट पाने के बावजूद अनिल अग्रवाल अपने आपको राजेश अग्रवाल के आयोजनों से दूर रखे हुए हैं ।
अनिल अग्रवाल के साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों का भी मानना और कहना है कि अनिल अग्रवाल को जुगाड़बाजी से डिस्ट्रिक्ट तथा 'रोटरी इंडिया' की कमेटी में पद नहीं लेना चाहिए था; और डिस्ट्रिक्ट तथा 'रोटरी इंडिया' के पदाधिकारियों को भी तब तक उन्हें कोई पद नहीं देना चाहिए था - जब तक कि उनकी सजा या तो पूरी नहीं हो जाती या माफ न हो जाती है । रोटेरियंस का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट और 'रोटरी इंडिया' के पदाधिकारियों ने अनिल अग्रवाल को असाइनमेंट व अपॉइंटमेंट देकर वास्तव में एक गलत परंपरा डाली है; इससे अब हर जुगाड़ु पदाधिकारी आश्वस्त रहेगा कि वह रोटरी में चाहें कितनी ही बड़ी घपलेबाजी कर ले, और उसके लिए रोटरी इंटरनेशनल से भले ही उसे सजा मिल जाये - लेकिन फिर भी डिस्ट्रिक्ट और 'रोटरी इंडिया' की टीम में उसे पद मिल ही जायेंगे । रोटरी इंटरनेशनल से असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित रखने की सजा पाये अनिल अग्रवाल को असाइनमेंट व अपॉइंटमेंट देने के बाद डिस्ट्रिक्ट और 'रोटरी इंडिया' के पदाधिकारी दूसरे रोटेरियंस से भला कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वह अपना अपना काम ईमानदारी से करेंगे और अपनी बेईमानी तथा लूटखसोट की कार्रवाईयों से रोटरी को खोखला व बदनाम नहीं करेंगे ? इसी 'स्थिति' से पैदा होने वाली शर्मिंदगी तथा जलालत से अपने आप को तथा रोटरी में अपने गॉडफादर्स को बचाने के लिए अनिल अग्रवाल ने जुगाड़ तो लगाया था कि अप्रैल के आखिरी सप्ताह में संपन्न होने वाली रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तथा रोटरी फाउंडेशन ट्रस्टीज की मीटिंग में उनकी सजा माफ हो जाने का फैसला हो जायेगा - लेकिन रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय के पदाधिकारियों ने अभी उन्हें निराश ही किया है । इसके चलते डिस्ट्रिक्ट और 'रोटरी इंडिया' की कमेटी में असाइनमेंट व अपॉइंटमेंट पाने की उनकी खुशी फीकी ही पड़ गई है ।