Saturday, May 30, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3054 में ग्लोबल ग्रांट के घपले में 'ऊँची पहुँच' के बल पर अपनी सजा को कम करवाने में सफल हो जाने के बाद भी, पूर्व गवर्नर अनिल अग्रवाल के लिए मुसीबत की बात यह बनी है कि घपला करने के दोषी होने तथा सजायाफ्ता होने के दाग को वह नहीं धो/धुलवा पाए हैं

जयपुर । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल अग्रवाल ग्लोबल ग्रांट (नंबर 1420550) की करीब 20 लाख रुपये की घपलेबाजी में मिली सजा को कम करवा लेने में सफल हो जाने के बाद राहत की साँस लेते, उससे पहले बेचारे एक दूसरी मुसीबत में फँस गए हैं । उक्त मामले में अनिल अग्रवाल के साथ ही कुछेक प्रतिबंधों की सजा पाए रोटरी क्लब जयपुर सिटीजन के वरिष्ठ सदस्य मनोज जैन और उनके शुभचिंतक अनिल अग्रवाल पर इस शिकायत के साथ भड़के हुए हैं कि अनिल अग्रवाल ने अपनी सजा तो कम करवा ली, लेकिन उनकी सजा कम करवाने के लिए कोशिश नहीं की । मनोज जैन और उनके शुभचिंतकों का रोना है कि उक्त प्रोजेक्ट में वह तो सिर्फ प्राइम कॉन्टेक्ट थे, और इस नाते से प्रोजेक्ट में हुई घपलेबाजी में उनकी तो कोई भूमिका ही नहीं थी - लेकिन फिर भी उनकी सजा तो बरकरार है; और घपलेबाजी का सारा ताना-बाना तैयार करने वाले अनिल अग्रवाल की सजा कम हो गई है । अनिल अग्रवाल हालाँकि उन्हें लगातार आश्वस्त कर रहे हैं कि उन्होंने मनोज जैन की सजा को भी कम करवाने का जुगाड़ बैठा लिया है, और जल्दी ही उन्हें भी सजा कम कर देने की चिट्ठी मिल जाएगी । मनोज जैन और उनके शुभचिंतकों ने लेकिन तेवर अपनाए हुए हैं कि जब तक उन्हें सजा कम होने की चिट्ठी नहीं मिल जाती, तब तक वह अनिल अग्रवाल पर दबाव बनाये रखेंगे - और डिस्ट्रिक्ट में लोगों को बताते रहेंगे कि घपलेबाजी का मास्टरमाइंड होने के बावजूद अनिल अग्रवाल ने अपनी सजा कम करवा ली, लेकिन घपलेबाजी में किसी भी स्तर पर शामिल न होने के बावजूद मनोज जैन की सजा बरकरार है ।
उल्लेखनीय है कि बूढ़ों, बीमारों, गरीबों और अनपढ़ों के नाम पर ली गई उक्त ग्रांट की करीब 20 लाख रुपये की घपलेबाजी के आरोप में अनिल अग्रवाल को 30 अप्रैल 2022 तक रोटरी में ग्रांट्स, अवॉर्ड्स, असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित करने की सजा सुनाई गई थी । यह सजा सुनाने से पहले रोटरी इंटरनेशनल ने अनिल अग्रवाल को यह मौका दिया था कि वह यदि घपला की गई रकम लौटा देते हैं, तो उन्हें सजा नहीं होगी । अनिल अग्रवाल को रोटरी में अपने ऊँचे संपर्कों के भरोसे विश्वास था कि वह घपला की गई रकम को भी नहीं लौटायेंगे और सजा से भी बचे रहेंगे, इसलिए उन्होंने रकम लौटाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई । रोटरी में उनके ऊँचे संपर्क लेकिन उन्हें सजा से नहीं बचा सके और 25 अप्रैल 2019 की एक चिट्ठी के जरिये उन्हें उक्त सजा सुना दी गई । इसके बाद अनिल अग्रवाल घपला की गई रकम वापस करने को लेकर गंभीर हुए, और पिछले दिनों जानकारी मिली कि घपला की गई रकम वापस कर दी गई है । मजे की बात यह है कि इस घपले की कहानी जितनी रोमांचक है, घपला की गई रकम वापस करने का किस्सा उससे भी ज्यादा रोमांचपूर्ण है - क्योंकि किसी को नहीं पता कि वापस की गई रकम किसने या किस किस ने दी है । अनिल अग्रवाल को कुछेक मौकों पर कहते/बताते हुए सुना गया है कि सारी रकम उन्होंने ही दी है, जबकि उन्हें जानने वालों का कहना/बताना है कि उक्त रकम के लिए उन्होंने कुछेक लोगों से चंदा इकट्ठा किया । घपले की रकम वापस होने के मामले का हैरतंगेज तथ्य यह है कि यह रकम डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट राजेश अग्रवाल के क्लब - रोटरी क्लब कोटा के एकाउंट से वापस की गई है । किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि घपलेबाजी का शिकार बनी ग्लोबल ग्रांट का जब राजेश अग्रवाल और या  उनके क्लब से कोई संबंध नहीं है, तब फिर घपला की गई रकम उनके क्लब के एकाउंट से क्यों वापस हुई ? जब भी और जहाँ कहीं भी इस बारे में सवाल उठता है, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट राजेश अग्रवाल पता नहीं क्यों बुरी तरह बौखला जाते हैं और नाराज हो जाते हैं और सवाल उठाने वाले को 'देख लेने' की धमकी देने लगते हैं - लेकिन सीधे से सवाल का जबाव नहीं देते हैं 
अनिल अग्रवाल के लिए मुसीबत का सबब रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय से आई वह चिट्ठी भी बनी है, जो उनकी सजा कम करने के बारे में सूचित करती है । मजे की बात यह है कि अनिल अग्रवाल की तरफ से लोगों के बीच यह बताने/जताने की कोशिश हो रही है कि रोटरी इंटरनेशनल ने उनकी सजा माफ कर दी है, जबकि चिट्ठी का मजमून यह बता रहा है कि उनकी सजा माफ नहीं हुई है, बल्कि कम हुई है । उन्हें 30 अप्रैल 2022 तक रोटरी में ग्रांट्स, अवॉर्ड्स, असाइनमेंट्स व अपॉइंटमेंट्स से वंचित करने की जो सजा सुनाई गई थी, उसे कम करके 30 जून 2020 तक कर दिया गया है । अनिल अग्रवाल को भेजी गई चिट्ठी में साफ कहा गया है कि चूँकि अनिल अग्रवाल और उनके साथियों ने उक्त ग्रांट की 25,702 अमेरिकी डॉलर, यानि 19 लाख 27 हजार 695 रुपये की रकम वापस कर दी है, और सजा कम करने के लिए अपील की है - इसलिए उनकी सजा कम करने का फैसला लिया गया है । वास्तव में, इसीलिए मनोज जैन और उनके शुभचिंतक भड़के हुए हैं - उनका कहना है कि जिस 'आधार' पर अनिल अग्रवाल की सजा कम हुई है, उसी आधार पर उनकी सजा कम क्यों नहीं हुई ? अब बेचारे मनोज जैन और उनके शुभचिंतकों को कौन समझाए कि 'आधार' की बात तो अपनी जगह है - सजा कम करवाने के लिए रोटरी के बड़े नेताओं की 'नजरेइनायत' का ज्यादा बड़ा रोल होता है । अनिल अग्रवाल ने दिखा दिया है कि उन्हें रोटरी के बड़े नेताओं का वरदहस्त प्राप्त है, जिसके चलते रोटरी फाउंडेशन की ग्रांट की रकम में घपला करने, पकड़े जाने और सजा पाने के बावजूद उन्हें डिस्ट्रिक्ट में और रोटरी इंडिया में असाइनमेंट्स मिल गए हैं । रोटेरियंस के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि रोटरी इंटरनेशनल द्वारा घपलेबाजी के लिए जिम्मेदार ठहराए गए और सजा पाए अनिल अग्रवाल को असाइनमेंट्स देने के लिए रोटरी के बड़े पदाधिकारी मजबूर क्यों हैं और ऐसा करके वह रोटरी की क्या पहचान बनाना चाहते हैं ?