Thursday, May 21, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 को ग्रांट्स-प्रतिबंध की सजा से बचाने के लिए जरूरी रकम डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अशोक अग्रवाल से बसूलने की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता की कोशिश ने अशोक अग्रवाल को मिले 'सर्विस अबव सेल्फ' अवॉर्ड को विवाद का विषय बनाया 

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अशोक अग्रवाल को रोटरी इंटरनेशनल के एक प्रमुख अवॉर्ड - सर्विस अबव सेल्फ - 'दिलवाने' के बदले में उनके गवर्नर वर्ष में यही अवॉर्ड पाने की सौदेबाजी करने के बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट को ग्रांट्स के प्रतिबंध से बचाने के लिए 20 हजार अमेरिकी डॉलर देने के लिए अशोक अग्रवाल पर दबाव बनाना शुरू किया है । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब ई मैग्नम को मंजूर हुई ग्लोबल ग्रांट 1755525 में हुई घपलेबाजी से जुड़े मामले में रोटरी फाउंडेशन ने एक जून तक 20 हजार अमेरिकी डॉलर जमा करवाने का आदेश दिया है; और चेतावनी दी है कि ऐसा न करने पर डिस्ट्रिक्ट 3012 को रोटरी ग्रांट्स से प्रतिबंधित कर दिया जायेगा । (रोटरी इंटरनेशनल के उक्त पत्र को इस रिपोर्ट के अंत में देखा/पढ़ा जा सकता है ।) अभी हाल ही में, डिस्ट्रिक्ट में आयोजित हुए रोटरी फाउंडेशन के जूम सेमीनार में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता से पूछा गया था कि रोटरी फाउंडेशन की तरफ से मिली चेतावनी के मामले में वह क्या कार्रवाई कर रहे हैं । दीपक गुप्ता ने यह कहते हुए इस सवाल का कोई सीधा जबाव नहीं दिया कि वह मामले को मैनेज कर लेंगे । इस तरह दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट और रोटरी फाउंडेशन के बीच के मामले को एक निजी मामले में बदल दिया । डिस्ट्रिक्ट में लोगों का कहना है कि उक्त मामला डिस्ट्रिक्ट 3012 और रोटरी फाउंडेशन के बीच का मामला है; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक गुप्ता को रोटरी फाउंडेशन से मिली चेतावनी के बारे में डिस्ट्रिक्ट के लोगों को अवगत करवाना चाहिए था, और मामले को हल करने के संबंध में लोगों की सलाह लेना चाहिए थी - लेकिन दीपक गुप्ता ने इसे गुपचुप तरीके से हल करने का आश्वासन देकर लोगों के बीच संशय पैदा कर दिया है कि इस मामले को हल करने में वह कहीं कोई गड़बड़झाला तो नहीं कर रहे हैं ?
यह संशय पैदा होने के बाद ही, लोगों के बीच चर्चा है कि दीपक गुप्ता एक जून से पहले जमा कराने वाली रकम अशोक अग्रवाल और ललित खन्ना से झटकने के चक्कर में हैं । उनके नजदीकियों के हवाले से ही सुनने को मिला है कि दीपक गुप्ता ने इन दोनों से साफ कह दिया है कि उनका गवर्नर-वर्ष तो पूरा हो गया है, इसलिए ग्रांट्स के प्रतिबंध से उन पर तो कोई फर्क पड़ेगा नहीं; आलोक गुप्ता के पास डीडीएफ (डिस्ट्रिक्ट डेजिगनेटेड फंड्स) में कोई पैसा नहीं होगा, इसलिए उनके गवर्नर-वर्ष में ग्रांट्स वैसे ही नहीं मिलेंगी - ऐसे में ग्रांट्स के प्रतिबंधित होने का नुकसान तुम्हें ही उठाना होगा, इसलिए एक जून से पहले जमा की जाने वाली रकम तुम्हीं भरो । दीपक गुप्ता के नजदीकियों के ही अनुसार, ललित खन्ना ने तो होशियारी 'दिखाते' हुए मामले में चुप्पी साध ली है; उन्हें लग रहा है कि उनसे पहले अशोक अग्रवाल गवर्नर बनेंगे, इसलिए वह ही मामले से निपटें । ललित खन्ना का यह भी मानना/कहना है कि दीपक गुप्ता ने चूँकि अशोक अग्रवाल को 'सर्विस अबव सेल्फ' अवॉर्ड दिलवा कर उन पर अहसान किया है, इसलिए दीपक गुप्ता एक जून से पहले जमा की जाने वाली रकम अशोक अग्रवाल से ही बसूलें । अशोक अग्रवाल का अलग रोना है; उनका कहना है कि 'सर्विस अबव सेल्फ' अवॉर्ड को लेकर तो दीपक गुप्ता के साथ पहले ही उनकी सौदेबाजी हो चुकी है - जिसके तहत अपने गवर्नर वर्ष में वह दीपक गुप्ता को उक्त अवॉर्ड दिलवायेंगे; इसलिए उक्त अवॉर्ड की कीमत के रूप में दीपक गुप्ता उन पर और अतिरिक्त बोझ क्यों डाल रहे हैं ?
उल्लेखनीय है कि रोटरी में 'सर्विस अबव सेल्फ' अवॉर्ड की स्थापना उन रोटेरियंस के प्रति सम्मान प्रकट करने तथा उन्हें एक प्रेरणास्रोत के रूप में चिन्हित करने के उद्देश्य से की गई थी, जो अपने निजी प्रयासों से मानवीय सेवा कार्यों में उत्कृष्ट काम करते हैं । इसके लिए रोटरी इंटरनेशनल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को नाम भेजना होता है । उम्मीद की जाती है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डिस्ट्रिक्ट के अन्य सदस्यों और पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करके नाम चुने और उस नाम को इंटरनेशनल कार्यालय को भेजे । हालाँकि अक्सर ही शिकायतें सुनी जाती हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मनमाने तरीके से इस अवॉर्ड के लिए नाम तय करते और भेजते हैं । यूँ, इस तरह के फैसलों में शिकायतों और विवाद से बच पाना मुश्किल भी है; किंतु अधिकतर गवर्नर नाम तय करते और भेजते हुए यह जरूर ध्यान रखते हैं कि वह 'काले' को 'सफेद' कहते हुए तो न दिखें । दीपक गुप्ता ने लेकिन इसका भी ध्यान नहीं रखा; उनके और अशोक अग्रवाल के नजदीकियों का भी मानना और कहना है कि अशोक अग्रवाल किसी भी तरह से उक्त अवॉर्ड को पाने लायक तो नहीं हैं । दीपक गुप्ता ने जिस चुपचाप तरीके से अशोक अग्रवाल का नाम उक्त अवॉर्ड के लिए भेजा, और अपने नजदीकियों तक को इस बारे में हवा नहीं लगने दी - उससे पैदा हुए संशय के चलते बाद में भेद खुला कि उक्त अवॉर्ड को लेकर दीपक गुप्ता और अशोक अग्रवाल में 'सौदा' हुआ है कि दीपक गुप्ता ने उन्हें यह अवॉर्ड दिलवाया है, इसके बदले में अशोक अग्रवाल अपने गवर्नर-वर्ष में उन्हें यह अवॉर्ड दिलवायेंगे । 'सर्विस अबव सेल्फ' अवॉर्ड के मामले में दीपक गुप्ता और अशोक अग्रवाल के बीच हुई सौदेबाजी की चर्चा एक बार फिर इसलिए गर्म हो उठी है, क्योंकि दीपक गुप्ता उक्त अवॉर्ड दिलवाने के बदले में अशोक अग्रवाल पर डिस्ट्रिक्ट को ग्रांट्स प्रतिबंध में फँसने से बचाने के लिए आवश्यक रकम देने का दबाव बना रहे हैं, और अशोक अग्रवाल रोना रो रहे हैं कि उक्त अवॉर्ड के लिए उन्हें आखिर कितने सौदे करने पड़ेंगे ?