Tuesday, May 5, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए सुनीता बंसल की उम्मीदवारी का झंडा जितेंद्र चौहान खेमे के पास जाने से, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह को भड़कता देख तरुण अग्रवाल को अपनी उम्मीदवारी के लिए मौका बनता नजर आ रहा है

आगरा । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में तरुण अग्रवाल द्वारा दिखाए जा रहे तेवर सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के चुनावी समीकरणों को बिगाड़ते दिख रहे हैं, और उनके नजदीकियों को भी लगने लगा है कि इस वर्ष आसानी से बनता दिख रहा सुनीता बंसल का काम खासी बड़ी मुश्किल में फँस गया है । इस बीच हालाँकि जितेंद्र चौहान और उनके नजदीकी छह गवर्नर्स ने सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थन की स्पष्ट घोषणा कर दी है । लेकिन लग रहा है कि इससे सुनीता बंसल के लिए मामला आसान होने की बजाए - और मुसीबतभरा हो गया है । दरअसल जितेंद्र चौहान और उनके छह साथी गवर्नर्स का बयान सामने आने के बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह की तरफ से सुनीता बंसल के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले संकेत मिलते दिख रहे हैं । जितेंद्र चौहान तथा उनके छह साथी गवर्नर्स द्वारा जारी बयान में कुछेक वरिष्ठ पदाधिकारियों पर सुनीता बंसल से 'अनड्यू फेवर्स' लेने का जो आरोप लगाया गया है, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह उससे बुरी तरह नाराज हुई हैं और इसे सीधे सीधे अपने ऊपर हमले के रूप में देख रही हैं । उन्होंने और उनके नजदीकियों ने उक्त बयान से मतलब निकाला है कि सुनीता बंसल ने जैसे अपनी उम्मीदवारी का झंडा जितेंद्र चौहान तथा उनके साथियों को सौंप दिया है । चुनावी राजनीति के हिसाब-किताब में जितेंद्र चौहान तथा उनके साथियों का पलड़ा भारी जरूर है, लेकिन मधु सिंह का रवैया सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के रास्ते में रोड़ा बिछाता दिख रहा है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह और उनके नजदीकी दरअसल जितेंद्र चौहान और उनके साथी गवर्नर्स के सुनीता बंसल की उम्मीदवारी का समर्थन करने की घोषणा से बौखला गए हैं । इससे पहले तक, मधु सिंह और उनके नजदीकी सुनीता बंसल की उम्मीदवारी को अपनी सरपरस्ती में रखने की कोशिश कर रहे थे । मजे की बात यह हो रही थी कि वह सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के लिए जितेंद्र चौहान और उनके साथी गवर्नर्स का समर्थन भी चाह रहे थे, क्योंकि उन्हें अच्छी तरह पता था कि जितेंद्र चौहान तथा उनके साथी गवर्नर्स के समर्थन के बिना सुनीता बंसल की उम्मीदवारी को सफलता दिलवाना असंभव ही होगा - लेकिन सुनीता बंसल की उम्मीदवारी की बागडोर अपने ही हाथ में रखना चाह रहे थे, ताकि उम्मीदवार से मिलने वाले सारे 'फायदे' वह अकेले ही हड़प सकें । इस बीच मधु सिंह और उनके नजदीकियों ने उम्मीदवार के रूप में सुनीता बंसल की तरफ से मिलने वाले 'फायदों' को सिकुड़ते देखा, तो उनका माथा ठनका और उन्हें लगा कि सुनीता बंसल 'मुफ्त' में ही (सेकेंड वाइस) डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनना चाहती हैं । सुनीता बंसल के पारिवारिक बिजनेस के घटने/घाटे की खबरों/सूचनाओं के चलते मधु सिंह और उनके नजदीकियों की आशंका और बढ़ी, जिसके कारण सुनीता बंसल की उम्मीदवारी का बने रहना भी संदेह के घेरे में आ गया । आशंकाओं और संदेहों के कारण तथा उम्मीदवार के रूप में सुनीता बंसल पर दबाव बनाये रखने के उद्देश्य से तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी सामने आ गई । सिर्फ सुनीता बंसल पर दबाव बनाने का ही मामला यदि होता, तो मधु सिंह और उनके नजदीकियों का 'काम' अनिल अग्रवाल की उम्मीदवारी से ही चल जाता; लेकिन सुनीता बंसल की उम्मीदवारी को लेकर पैदा हुए संदेह के कारण उन्हें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को आगे लाना/बढ़ाना पड़ा ।
मधु सिंह और उनके नजदीकियों को तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को लाने/बढ़ाने में दो फायदे नजर आये - एक तो उन्हें सुनीता बंसल का विकल्प मिला, और दूसरा तरुण अग्रवाल को जितेंद्र चौहान तथा उनके साथियों  का समर्थन मिलता - जिससे तरुण अग्रवाल की जीत सुनिश्चित होती । तरुण अग्रवाल चूँकि जितेंद्र चौहान के सबसे नजदीकी पारस अग्रवाल के क्लब के सदस्य हैं, और तरुण अग्रवाल व पारस अग्रवाल की पुरानी दोस्ती है, दोनों के बीच घनिष्ठ पारिवारिक संबंध रहे हैं और दोनों परिवारों का साथ-साथ घूमना-फिरना रहा है - इसलिए तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को पारस अग्रवाल तथा जितेंद्र चौहान का समर्थन स्वतः ही मान लिया गया । तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को क्लब में जिस आसानी और सहजता से हरी झंडी मिल गई, उससे मान लिया गया कि पारस अग्रवाल की अनुमति व सहमति से ही उन्हें हरी झंडी मिली है । जितेंद्र चौहान और पारस अग्रवाल तथा उनके समर्थक गवर्नर्स ने जब सुनीता बंसल की उम्मीदवारी का समर्थन करने वाला संदेश निकाला, तब तक बहुत देर हो चुकी थी - और लोगों के बीच तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी को जितेंद्र चौहान व पारस अग्रवाल के समर्थन की धारणा बन/बैठ चुकी थी । उसके बाद, तरुण अग्रवाल और पारस अग्रवाल की तरफ से तथ्यों को उद्घाटित करते जो मैसेज आए - उससे यह तो साबित हो गया कि जितेंद्र चौहान और पारस अग्रवाल का समर्थन सुनीता बंसल की उम्मीदवारी को है; लेकिन उससे चुनावी राजनीति की जमीन पर इतना रायता फैल गया कि उसमें सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के कदम फिसलते नजर आ रहे हैं । सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के फिसलते कदमों में तरुण अग्रवाल को चूँकि अपनी उम्मीदवारी के लिए रास्ता बनता दिख रहा है, इसलिए उन्होंने भी अपनी सक्रियता को संयोजित करना शुरू कर दिया है । सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के झंडे पर कब्जे को लेकर जितेंद्र चौहान खेमे तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह के बीच जो तलवारें खिंची दिख रही हैं, उसमें इन दोनों के विरोधी गवर्नर्स को राजनीति करने का मौका मिल रहा है - और इस कारण से तरुण अग्रवाल की उम्मीदवारी तथा उनकी सक्रियता का महत्त्व बढ़ गया है । हालात हालाँकि अभी भी अस्पष्ट हैं, और अभी भी यह कहना मुश्किल है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की राजनीति का ऊँठ किस करवट बैठेगा - लेकिन यह बात जरूर सच लग रही है कि मौजूदा हालात में सुनीता बंसल की राह मुश्किल हो गई है ।