Friday, May 15, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में सीओएल प्रतिनिधि के चयन/चुनाव के मामले को गुपचुप रूप से क्रियान्वित करने की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा की कोशिशों ने लोगों को हैरान किया हुआ है, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज तो उनके रवैये के चलते अपनी फजीहत होते हुए भी देख रहे हैं 

कुरुक्षेत्र । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज सीओएल (काउंसिल ऑन लेजिस्लेशन) प्रतिनिधि के चयन/चुनाव के मामले में अँधेरे में रखे जाने को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा से बुरी तरह खफा हैं । रमेश बजाज ने कुछेक मौकों पर अलग अलग लोगों से शिकायती स्वर में कहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट होने के बावजूद उन्हें यह नहीं पता है कि सीओएल प्रतिनिधि के चयन/चुनाव को लेकर डिस्ट्रिक्ट में क्या हो रहा है ? उन्होंने जितेंद्र ढींगरा से जब भी इस बारे में बात की, जितेंद्र ढींगरा ने बहानेबाजी करके बात को टाल दिया और कोई सीधा जबाव नहीं दिया । रमेश बजाज के नजदीकियों के अनुसार, रमेश बजाज को यह बात दरअसल इसलिए बुरी लगी है कि उनसे जब जब भी किसी ने सीओएल प्रतिनिधि के चयन/चुनाव को लेकर पूछा, तब तब उन्हें चुप रह जाना पड़ा और यह सोच कर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा - कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट होने के बावजूद उन्हें यही नहीं पता है कि सीओएल प्रतिनिधि के चयन/चुनाव को लेकर डिस्ट्रिक्ट में हो क्या रहा है ? रमेश बजाज के नजदीकियों के साथ-साथ दूसरों को भी यह बात समझना मुश्किल हो रही है कि रमेश बजाज तो जितेंद्र ढींगरा के खेमे के ही 'सदस्य' हैं, आखिर तब भी जितेंद्र ढींगरा उनसे उक्त मामले से जुड़ी कार्रवाई को छिपा क्यों रहे हैं ? उक्त मामले से जुड़ी कार्रवाई की बात जितेंद्र ढींगरा कॉलिज ऑफ गवर्नर्स के दूसरे सदस्यों से छिपा रहे हैं, यह बात तो फिर भी लोगों की समझ में आ रही है, लेकिन अपने ही नजदीकी और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज को भी वह उक्त मामले में अँधेरे में रख रहे हैं - इस बात पर हर किसी को हैरानी है ।
उल्लेखनीय है कि 30 जून 2020 तक प्रत्येक डिस्ट्रिक्ट को रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय को अपने सीओएल प्रतिनिधि का नाम भेजना है । इसे लेकर प्रत्येक डिस्ट्रिक्ट में सीओएल प्रतिनिधि के चयन/चुनाव की सक्रियता है । अब जबकि तय समय सीमा को पूरा होने में करीब 45 दिन बचे हैं, डिस्ट्रिक्ट 3080 में सीओएल प्रतिनिधि के चयन/चुनाव को लेकर पूरी तरह अँधेरा छाया हुआ है । सीओएल प्रतिनिधि के लिए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ही उम्मीदवार हो सकते हैं; एक से ज्यादा उम्मीदवार होने की स्थिति में चुनाव होता है, जिसमें क्लब्स के प्रेसीडेंट वोट देते हैं । डिस्ट्रिक्ट 3080 में लेकिन नजारा यह है कि क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को तो छोड़िये, पूर्व गवर्नर्स तक को नहीं पता है कि सीओएल प्रतिनिधि के चयन/चुनाव को लेकर हो क्या रहा है । इस मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा से सीधा जबाव न मिलने पर लोग जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज से पूछते हैं, तो रमेश बजाज के लिए यह कहना/बताना भी मुश्किल हो जाता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट होने के बावजूद उन्हें भी उक्त मामले में कुछ नहीं पता है । मजे की बात यह है कि रमेश बजाज के नजदीकियों को ही लगता है कि जितेंद्र ढींगरा चूँकि रमेश बजाज को राजा साबू के नजदीक मानते/समझते हैं, इसलिए ही वह रमेश बजाज से बातें छिपाते हैं । इससे भी ज्यादा मजे की बात लेकिन यह है कि जितेंद्र ढींगरा जिन मनमोहन सिंह के साथ मिलकर सारी योजनाएँ बनाते हैं, उन्हें तो घोषित रूप में राजा साबू के नजदीक माना/पहचाना जाता है । इसलिए, जितेंद्र ढींगरा सीओएल प्रतिनिधि के चयन/चुनाव में अपने खेमे के होने तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट होने के बावजूद रमेश बजाज को जिस तरह अँधेरे में रखे हुए हैं, उससे मामला कुछ ज्यादा ही रहस्यपूर्ण और विवादपूर्ण हो जाता है ।
जितेंद्र ढींगरा ने ही कुछेक मौकों पर बताया/कहा है कि राजा साबू ने भी उनसे पूछा था कि सीओएल प्रतिनिधि के चयन/चुनाव को लेकर क्या करना है, जिसके जबाव में जितेंद्र ढींगरा ने उनसे यह कहते हुए पीछा छुड़ाया कि समय आने पर तय करते हैं कि कैसे क्या करना है । जितेंद्र ढींगरा का कहना/बताना था कि यदि पहले से ही सीओएल प्रतिनिधि को लेकर चर्चा शुरू हो जायेगी, तो कई पूर्व गवर्नर उम्मीदवार बन जायेंगे और फिर चुनाव का झमेला खड़ा होगा । हालाँकि कई लोगों का कहना रहा कि चुनाव के झमेले के डर से डिस्ट्रिक्ट के लोगों को उनके अधिकार से वंचित करने का प्रयास क्यों किया जाना चाहिए - और पूर्व गवर्नर्स को उम्मीदवार बनने का तथा क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को वोट देने के अधिकार का इस्तेमाल करने देना चाहिए । जितेंद्र ढींगरा के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि उनके ही कई नजदीकी सीओएल प्रतिनिधि चयन/चुनाव के मामले में अपनाये गए उनके रवैये से खुश नहीं हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज तो उनके रवैये के चलते अपनी फजीहत होते हुए भी देख रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट में कुछेक लोगों को लगता है कि जितेंद्र ढींगरा गुपचुप तरीके से मनमोहन सिंह को सीओएल प्रतिनिधि बनाना/चुनवाना चाहते हैं, और इसलिए ही सारी प्रक्रिया को ढँक कर रखने का काम कर रहे हैं । लोगों को लगता है कि सीओएल प्रतिनिधि के चयन/चुनाव को लेकर उचित तरीके से प्रक्रिया का पालन यदि किया गया तो जितेंद्र ढींगरा के लिए मनमोहन सिंह को चुनवाना/बनवाना मुश्किल हो जायेगा, और इसीलिए वह ऐसे हालात बना देना चाहते हैं कि चुनाव का मौका ही न बन सके - और मनमोहन सिंह बिना चुनाव का सामना किए ही सीओएल प्रतिनिधि बन जाएँ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश बजाज को भी इसीलिए वह सीओएल प्रतिनिधि के चयन/चुनाव जैसे महत्त्वपूर्ण मामले से अलग रखे हुए हैं ।