नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव राय मेहरा ने अपनी बेशर्मीपूर्ण चालबाजियों से डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयरमैन का पद रंजन ढींगरा से छीन कर विनय भाटिया को सौंपने की कोशिश तो बहुत की, लेकिन अंततः उन्हें मुँहकी ही खानी पड़ी - और आठ दिन के अंदर ही उन्हें विनय भाटिया को बड़े फजीहतभरे तरीके से डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयरमैन पद से हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा है । इस तरह विनय भाटिया ने रोटरी के इतिहास में आठ दिन के डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयरमैन के पद पर रहने का अनोखा, लेकिन शर्मनाक रिकॉर्ड बनाया - शर्मनाक इसलिए, क्योंकि यह आठ दिन भी वह रोटरी इंटरनेशनल के नियम-कानूनों का उल्लंघन करते हुए फर्जी रूप में ही चेयरमैन थे । रोटरी इंटरनेशनल की व्यवस्था में यह पद तीन वर्ष के लिए मिलता है, लेकिन विनय भाटिया इस पद पर कुल आठ दिन ही रह पाए - और हटा दिए गए । आठवें दिन ही पद से हटा दिए जाने के कारण, इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार चुनने के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए विनय भाटिया की उम्मीदवारी के अभियान को खासा तगड़ा झटका लगा है । विनय भाटिया के लिए मुसीबत की बात यह रही कि डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयरमैन के पद पर उन्हें बैठाने के लिए तरह तरह के हथकंडे तो इसीलिए अपनाए गए थे, ताकि उनकी उम्मीदवारी के अभियान को फायदा मिले - लेकिन आठवें दिन ही उन्हें चेयरमैन के पद से हटा देने के कारण उनकी सारी योजना तो फेल हुई ही, उन्हें लोगों के बीच शर्मिंदगी का सामना और करना पड़ रहा है । लोगों की कमेंटबाजी से पैदा होने वाली शर्मिंदगी से बचने के लिए विनय भाटिया को कुछेक वॉट्सऐप ग्रुप छोड़ने के लिए मजबूर तक होना पड़ा है । ऐसे में, विनय भाटिया के लिए समस्या यह पैदा हुई है कि नोमीनेटिंग कमेटी के लिए अपनी उम्मीदवारी के अभियान के तहत वह लोगों का सामना कैसे करें ?
विनय भाटिया के लिए शर्मिंदगी के साथ-साथ फजीहत की बात यह भी हुई है कि वह जब अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से प्रेसीडेंट्स तथा अन्य रोटेरियंस से मिलजुल रहे थे, तभी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव राय मेहरा की वह चिट्ठी प्रेसीडेंट्स व अन्य रोटेरियंस को मिली - जिसमें विनय भाटिया को डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयरमैन के पद से हटाने की जानकारी दी गई थी । संजीव राय मेहरा ने अपनी उक्त चिट्ठी में विनय भाटिया को पद से हटाने के कारणों के बारे में झूठ बोलते हुए, विनय भाटिया को फजीहत से बचाने की कोशिश तो खूब की - लेकिन उनकी और विनय भाटिया की बदकिस्मती रही कि प्रेसीडेंट्स व अन्य रोटेरियंस को यह अच्छी तरह से पता है कि विनय भाटिया को उक्त पद देने के लिए संजीव राय मेहरा ने किस हद तक की निचले स्तर की हरकतें करते हुए झूठ बोले, इंटरनेशनल डायरेक्टर भरत पांड्या के स्पष्ट दिशा-निर्देशों की अनदेखी करते हुए उन्हें बेइज्जत किया और रोटरी इंटरनेशनल के नियम-कानूनों तक का मजाक बनाया । वह तो भरत पांड्या ने जब 'सख्ती दिखाई' और संजीव राय मेहरा को 'स्पष्ट संदेश' दिया कि यदि उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल के नियम-कानूनों का मजाक बनाते हुए अपनी मनमानी कार्रवाई को नहीं रोका, तो उनके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है - तब संजीव राय मेहरा की अकड़ ढीली पड़ी और उन्होंने विनय भाटिया को डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयरमैन के पद से हटाया और रंजन ढींगरा को उनका अधिकार सौंपा ।
संजीव राय मेहरा और विनय भाटिया ने मिलकर डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयरमैन पद को लेकर जो तिकड़म तथा फर्जीवाड़ा किया, उसे क्लब्स के प्रेसीडेंट्स तथा अन्य रोटेरियंस ने बड़ी हैरानी और अफसोस के साथ देखा/समझा है । कई एक प्रेसीडेंट्स का कहना/पूछना है कि इन लोगों के मन में जब रोटरी इंटरनेशनल के नियम-कानूनों को लेकर कोई सम्मान नहीं है, इन्हें उनकी कोई परवाह नहीं करना है, इन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर तक की बात नहीं माननी है - तो यह लोग रोटरी में हैं क्यों, और क्यों इन्हें नए नए पद चाहिए ? प्रेसीडेंट्स के बीच उठने वाले इन सवालों ने विनय भाटिया के सामने खासी बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है । दरअसल अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से लोगों से मिलते/जुलते व बात करते हुए विनय भाटिया को इस सवाल का सामना करना पड़ रहा है कि चूँकि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रह चुके हैं, इसलिए उन्हें यह तो पता होगा ही कि रोटरी इंटरनेशनल के नियमों के तहत, सिर्फ एक गवर्नर के समर्थन के भरोसे,
वह डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयरमैन नहीं बन सकते हैं - इसलिए उन्होंने फर्जी तरीके से उक्त पद पाने की कोशिश क्यों की ? रोटरी इंटरनेशनल के नियम-कानूनों को जब उन्हें नहीं मानना है, तो वह रोटरी में कोई भी पद क्यों लेना चाहते हैं, और क्यों उम्मीदवार बने हुए हैं ? फर्जी तरीके से डिस्ट्रिक्ट मेंबरशिप चेयरमैन बने/बनाये गए विनय भाटिया जिस फजीहतपूर्ण तरीके से चेयरमैन पद से हटाये गए हैं, उसके कारण वह लोगों के बीच मजाक का विषय बन गए हैं, जिससे अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का उनका अभियान मुसीबत में फँस गया है ।