Wednesday, July 8, 2020

रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के सदस्यों तथा रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टीज की 'द रोटरी इंडिया ह्यूमैनिटी फाउंडेशन' की गतिविधियों तथा रोटेरियंस से डोनेशन के रूप में पैसे लेने की कोशिशों पर रोक लगाने की सिफारिशों ने इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता को जोर का झटका दिया है

नई दिल्ली । रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय ने 'द रोटरी इंडिया ह्यूमैनिटी फाउंडेशन' की गतिविधियों पर गंभीर आपत्ति प्रकट करते हुए, वास्तव में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट इलेक्ट शेखर मेहता की गर्दन ही पकड़ ली है । शेखर मेहता 'द रोटरी इंडिया ह्यूमैनिटी फाउंडेशन' के चेयरमैन हैं, और स्काईलाइन हॉउस के उनके पते पर ही इस फाउंडेशन का मुख्यालय है । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के सदस्यों तथा रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टीज ने इस फाउंडेशन की गतिविधियों को रोटरी की 'समानांतर गतिविधियों' के रूप में देखा/पहचाना है, और आशंका व्यक्त की है कि इसकी गतिविधियाँ रोटेरियंस के बीच कन्फ्यूजन पैदा करके उन्हें रोटरी से अलग कर सकती हैं तथा इस तरीके से रोटरी इंटरनेशनल तथा रोटरी फाउंडेशन को नुकसान पहुँचाने वाली साबित हो सकती हैं । एक तरह से रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के सदस्यों तथा रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टीज ने शेखर मेहता के नेतृत्व में चलने वाले 'द रोटरी ह्यूमैनिटी फाउंडेशन' को रोटरी के लिए खतरे के रूप में देखा/पहचाना है - और इसके खिलाफ कार्रवाई शुरू की है । शेखर मेहता के लिए बड़े झटके वाली बात यह रही है कि उनके फाउंडेशन की गतिविधियों का संज्ञान लेते हुए तथा उन पर गंभीर आपत्तियाँ दर्ज करते हुए रोटरी इंटरनेशनल के बोर्ड व रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टीज की जून में जो मीटिंग्स हुईं, उनमें अधिकृत पदाधिकारी होने के बावजूद प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता, डायरेक्टर्स भरत पांड्या व कमल सांघवी तथा फाउंडेशन ट्रस्टी गुलाम वाहनवती को शामिल नहीं किया गया । 
उल्लेखनीय है कि देश के रोटेरियंस के बीच इस फाउंडेशन को शेखर मेहता की 'निजी दुकान' के रूप में ही देखा/पहचाना गया है, जिसे इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी बनने के बाद से वह तेजी से बड़ा बना रहे हैं, तथा सजा/सँवार कर नई चमक के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं । रोटरी इंटरनेशनल की छत्रछाया में 'काम करने का नाम लेकर' यह फाउंडेशन रोटरी क्लब्स, अन्य तरह तरह के एनजीओज तथा सरकारी विभागों के साथ मिल कर गरीबों, बीमारों, अशिक्षितों तथा पिछड़े समुदायों के लिए काम करने की बात कर रहा है; इसने काम करने के लिए प्रायरिटीज एरिया'ज तय किए हैं, और उनके लिए छोटे-बड़े रोटेरियंस को लेकर भारी-भरकम टीमें बनाई हैं - और विभिन्न क्षेत्रों में काम को अंजाम देने के लिए रोटेरियंस से डोनेशन लिए/माँगे हैं । शेखर मेहता ने देश के प्रायः प्रत्येक बड़े रोटेरियन पदाधिकारी व नेता को इस फाउंडेशन में कोई न कोई पद देकर 'जोड़ा' है - और एक तरीके से यह 'दिखाया' हुआ है कि 'द रोटरी ह्यूमैनिटी फाउंडेशन' के लिए काम करने का मतलब रोटरी का काम करना है । कई प्रमुख व वरिष्ठ रोटेरियंस निजी बातचीत में इस फाउंडेशन को शेखर मेहता की निजी महत्त्वाकांक्षा से जोड़ कर देखते/बताते रहे हैं, और शिकायतें करते रहे हैं कि शेखर मेहता इसके जरिये अपना निजी संस्थान बना/खड़ा कर रहे हैं । शेखर मेहता चूँकि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की राह पर हैं, इसलिए तरह-तरह के स्वार्थों के चलते कोई भी खुलकर अपनी शिकायतों को व्यक्त नहीं कर पाया और शेखर मेहता को अपनी 'निजी दुकान' बढ़ाने का साफ रास्ता मिल गया ।
लेकिन रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड तथा रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टीज की मीटिंग्स में जो बातें हुईं हैं, जो सवाल उठे हैं और जिस तरह के निर्णय हुए हैं - उससे लगता है कि शेखर मेहता के फाउंडेशन को ग्रहण लग गया है, और वह मुसीबत में घिर गया है । बोर्ड सदस्यों व ट्रस्टीज की मीटिंग्स में इस बात पर सवाल उठे हैं कि 'द रोटरी इंडिया ह्यूमैनिटी फाउंडेशन' की गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल तथा रोटरी फाउंडेशन से अनुमति क्यों नहीं ली गईं; तथा रोटरी फाउंडेशन को अलग-थलग करके फाउंडेशन के लिए पैसा क्यों और कैसे लिया जा रहा है ? बोर्ड सदस्यों व ट्रस्टीज ने रोटरी इंटरनेशनल के जनरल सेक्रेटरी से अनुरोध किया है कि वह फाउंडेशन के पदाधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहें कि उनकी सभी गतिविधियाँ रोटरी इंटरनेशनल तथा रोटरी फाउंडेशन के अंतर्गत होंगी और उनके प्रति ही जबावदेह व जिम्मेदार होंगी । रोटेरियंस से फाउंडेशन के लिए पैसे देने और जमा करने पर तुरंत रोक लगाने की माँग करते हुए अनुरोध किया गया है कि फाउंडेशन की गतिविधियों को तुरंत से रोका जाये और उन्हें रोटरी इंटरनेशनल तथा रोटरी फाउंडेशन के मॉडल के अनुरूप ही काम करने को कहा जाए । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के सदस्यों और रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टीज के इस रवैये से 'द रोटरी इंडिया ह्यूमैनिटी फाउंडेशन' के अस्तित्व को लेकर गंभीर संशय पैदा हो गया है, और इस फाउंडेशन के तहत बनी कमेटियों के पदाधिकारी तथा सदस्य अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं ।