Sunday, July 12, 2020

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 की नई टीम में दीपक तलवार को शामिल देख कर उनके समर्थकों ने अपने आपको ठगा हुआ महसूस किया है, और इसके कारण वह अकाउंट्स के गड़बड़झाले में पारस अग्रवाल के खिलाफ कोई न कोई कार्रवाई होने की 'उम्मीद' को खोता देख रहे हैं

नई दिल्ली । दीपक तलवार को मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के नए पदाधिकारियों की टीम में शामिल देख कर उनके नजदीकियों और समर्थकों को तगड़ा झटका लगा है, तथा उन्होंने अपने आप को ठगा हुआ महसूस किया है । नजदीकियों और समर्थकों का कहना/बताना है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में उन्होंने इनकी उम्मीदवारी का समर्थन करके जितेंद्र चौहान से 'दुश्मनी' मोल ले ली, जिसके चलते मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों की टीम में शामिल हो सकने की उनकी संभावनाएँ तो खत्म हो गईं - लेकिन खुद इन्होंने जितेंद्र चौहान के साथ 'सौदेबाजी' कर ली और मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट टीम में पद ले बैठे हैं । नजदीकियों और समर्थकों का सीधा आरोप है कि जितेंद्र चौहान ने तो इन्हें इसलिए मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट टीम में शामिल किया है, ताकि यह उनके चुनाव तथा पारस अग्रवाल के अकाउंट्स को लेकर लग रहे आरोपों पर 'आगे' न बढ़ें - और इन्होंने पद के लालच में लगता है कि जितेंद्र चौहान के सामने समर्पण कर दिया है । मजे की बात यह रही है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए मल्टीपल में एंडोर्समेंट लेने को लेकर जो प्रक्रिया अपनाई गई थी, उस पर दीपक तलवार के छोटे/बड़े समर्थकों ने तरह तरह के खूब आरोप लगाए थे । उन आरोपों के भरोसे समर्थकों को विश्वास था कि चुनाव के बाद चुनावी प्रक्रिया में नियमों के उल्लंघन को लेकर पिटीशन अवश्य ही दायर होगी, और चुनाव को ही रद्द करवा दिया जायेगा । लेकिन चुनाव संपन्न हो जाने तथा नतीजा घोषित हो जाने के बाद न तेजपाल खिल्लन ने पिटीशन दायर करने को लेकर कोई उत्सुकता दिखाई - और न दीपक तलवार ने । इनके इस रवैये से, नियमों के उल्लंघन को लेकर शोर मचाते रहे इनके समर्थकों को फजीहत का शिकार होना पड़ा ।
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में करारी हार का सामना करने के कारण फजीहत का शिकार बने दीपक तलवार के नजदीकियों व समर्थकों को लेकिन तुरंत ही पारस अग्रवाल के मल्टीपल चेयरपर्सन के कार्यकाल के अकाउंट्स का मुद्दा हाथ लग गया । पारस अग्रवाल के अकाउंट्स  की कुछेक 'कमजोर कड़ियों' को मुद्दा बना कर, दीपक तलवार के कई एक समर्थकों ने तरह तरह से पारस अग्रवाल पर फंदा कसने की तैयारी की । इस तैयारी की अगुवा बनीं पारस अग्रवाल व जितेंद्र चौहान के डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू की निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधु सिंह । मजे की बात यह रही कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में खुद मधु सिंह पर कई तरह के ड्यूज दबाने के आरोप रहे; अपने पर लगे आरोपों को क्लियर करने की बजाये वह लेकिन पारस अग्रवाल को बेईमान साबित करने के अभियान में जुटीं । उनके अभियान को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में भारी हार से बौखलाए दीपक तलवार के नजदीकियों तथा समर्थकों ने हवा देने का काम किया । उनके तमाम शोर-शराबे का लेकिन कोई असर पड़ता नहीं दिखा, जिससे उनकी बौखलाहट और बढ़ी । इस बौखलाहट में नजदीकियों और समर्थकों को उम्मीद रही कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनाव संबंधी शिकायतों को लेकर तो भले ही बात 'आगे' न बढ़ी हो, लेकिन पारस अग्रवाल के अकाउंट्स के मामले में तो अवश्य ही कुछ कार्रवाई होना चाहिए । नजदीकियों और समर्थकों को पक्का विश्वास रहा कि पारस अग्रवाल के अकाउंट्स को लेकर मचाया जा रहा उनका शोर-शराबा व्यर्थ नहीं जायेगा ।   
लेकिन जितेंद्र चौहान द्वारा 'बनाई' और/या बनवाई गई मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट टीम में तेजपाल खिल्लन के साथ-साथ दीपक तलवार को भी शामिल देख कर इनके नजदीकियों तथा समर्थकों को आभास हो चला है कि इन्होंने पद पाने के लालच में जितेंद्र चौहान के सामने समर्पण कर दिया है, और इसके चलते अब पारस अग्रवाल के अकाउंट्स के मामले में भी कुछ नहीं होगा । इस आभास के कारण ही, दीपक तलवार के नजदीकियों तथा समर्थकों ने अपने आप को ठगा हुआ पाया है । उन्हें झटका दरअसल यह देख कर लगा है कि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट टीम में सभी पद उन लोगों को मिले हैं, जो जितेंद्र चौहान की उम्मीदवारी में किसी न किसी रूप में मददगार थे - दीपक तलवार के नजदीकियों व समर्थकों में से किसी को भी कोई पद नहीं मिला है; जिनके पास पहले से पद थे और जो अभी भी पद पर बने रहने के लिए अधिकृत थे, उन्हें पद से हटा और दिया गया । दीपक तलवार के नजदीकियों व समर्थकों को इसका ज्यादा बुरा नहीं लगा; इसकी तो वह उम्मीद कर रहे थे - उन्हें विश्वास हो चला था कि ऐसा होगा ही; किंतु उन्होंने यह नहीं सोचा था कि दीपक तलवार खुद पद ले लेंगे । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट टीम में इन्हें पदासीन देख कर इनके नजदीकियों व समर्थकों को खासा तगड़ा झटका लगा है और उन्हें महसूस हुआ है कि उन्हें तो उनके अपनों ने ही ठग लिया है । दरअसल इसमें उन्हें अपनी 'वह' उम्मीद पूरी तरह ध्वस्त होती नजर आ रही है, जिसमें वह अकाउंट्स के गड़बड़झाले में पारस अग्रवाल के खिलाफ कोई न कोई कार्रवाई होने की आस लगाये बैठे हैं ।