Friday, July 17, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर अरुण शर्मा की तरफ से आरोप सुनने को मिल रहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज उनकी सिफारिश के बाद भी 'उनके' लोगों को डिस्ट्रिक्ट टीम में नहीं ले रहे हैं, और जितेंद्र ढींगरा की कठपुतली बने हुए हैं; उधर जितेंद्र ढींगरा के कई नजदीकी भी नाराज हैं कि रमेश बजाज उन्हें तवज्जो नहीं देते हैं

पानीपत । डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर अरुण शर्मा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश बजाज से बुरी तरह नाराज हैं । अरुण शर्मा की शिकायत है कि रमेश बजाज उन्हीं की कोशिशों से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी पर बैठे हैं, और उन्हीं के सुझावों व सिफारिशों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट टीम के लिए अरुण शर्मा ने जिन रोटेरियंस के नामों की सिफारिश की, उनमें से कईयों को रमेश बजाज ने अपनी टीम में जगह नहीं दी है - और इसी बात से अरुण शर्मा खासे भड़के हुए हैं । अरुण शर्मा की तरफ से गंभीर आरोप यह सुना जा रहा है कि रमेश बजाज अपनी टीम के सदस्यों का चयन/चुनाव निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जितेंद्र ढींगरा की सलाह से कर रहे हैं, और जितेंद्र ढींगरा के कहने पर ही रमेश बजाज ने उनके सुझाए रोटेरियंस को पद नहीं दिए हैं, तथा जितेंद्र ढींगरा की कठपुतली बने हुए हैं । अरुण शर्मा की सिफारिश के बाद भी पद न पाने वाले कुछेक रोटेरियंस ने इन पंक्तियों के लेखक को बताया है कि रमेश बजाज ने ही उन्हें सूचित किया है कि उन्होंने तो उनके नाम टीम में शामिल कर लिए थे, और उन्हें पद दे दिए थे - लेकिन जितेंद्र ढींगरा के आपत्ति करने के बाद उन्हें उनके नाम टीम से हटाने पड़े हैं । उनके नामों को लेकर जितेंद्र ढींगरा की आपत्ति का कारण यह रहा कि टीके रूबी वाले मामले में डिस्ट्रिक्ट में पीछे दो/तीन वर्ष जो उठा-पटक चली थी, उसमें उनकी भूमिका काफी नकारात्मक थी; और उनकी उस नकारात्मक भूमिका को देखते/याद करते हुए वह उन्हें डिस्ट्रिक्ट टीम में तवज्जो मिलते हुए नहीं देख सकते हैं । मजे की बात लेकिन यह है कि जितेंद्र ढींगरा पर रमेश बजाज की टीम के सदस्यों के चयन/चुनाव पर अपनी पसंद/नापसंद थोपने के आरोपों के बावजूद रमेश बजाज की टीम में बहुत से ऐसे रोटेरियंस को जगह मिली सुनी/बताई गई है जो टीके रूबी वाले मामले में जितेंद्र ढींगरा की राजनीति के खिलाफ रहे थे ।
रमेश बजाज के लिए दुविधा, विडंबना और मुसीबत की बात दरअसल यह हुई है कि डिस्ट्रिक्ट में उन्हें अभी भी 'राजा साबू के आदमी' के रूप में पहचाना जाता है, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी तक वह जितेंद्र ढींगरा ग्रुप की तरफ से पहुँचे हैं; और इस कुर्सी तक पहुँचने की उनकी कोशिशों को आसान बनाया है राजा साबू खेमे के अरुण शर्मा ने । इस तरह, रमेश बजाज दोनों खेमों में हैं - लेकिन दोनों खेमे के लोग उन पर संदेह करते हैं, और इस कारण से दोनों खेमों की तरफ से उन्हें अपेक्षित मदद नहीं मिल रही है । जितेंद्र ढींगरा खेमे के कई छोटे/बड़े प्रमुख सदस्यों के खुले ऐतराज के बाद भी रमेश बजाज ने राजा साबू खेमे के अरुण शर्मा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया, जिस कारण वह रमेश बजाज से नाराज हुए - और अब अरुण शर्मा की नाराजगी सामने आ रही है कि रमेश बजाज ने डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर तो उन्हें बनाया, लेकिन उनकी सुनने/मानने की बजाये रमेश बजाज फैसले जितेंद्र ढींगरा के कहने से कर रहे हैं । मजेदार और विडंबनापूर्ण नजारा यह है कि एक तरफ तो अरुण शर्मा की तरफ से सुना/बताया जा रहा है कि रमेश बजाज उनकी सिफारिश के बाद भी 'उनके' लोगों को डिस्ट्रिक्ट टीम में नहीं ले रहे हैं; और दूसरी जितेंद्र ढींगरा के नजदीकियों की शिकायत है कि जितेंद्र ढींगरा ने कैसे व्यक्ति को गवर्नर बना/बनवा दिया है, जो उनके नजदीकियों और समर्थकों को अपनी टीम में जगह ही नहीं दे रहा है, और जिसने अपनी टीम में विरोधियों को भर लिया है ।
इस स्थिति के लिए हालाँकि कई लोग रमेश बजाज को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । उनका कहना है कि रमेश बजाज डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तो बन गए हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की जिम्मेदारी निभाने/संभालने की काबिलियत वह नहीं दिखा पा रहे हैं - और यही कारण है कि वह न तो ढंग से कोई काम कर पा रहे हैं, और न लोगों की ठीक से मदद ले पा रहे हैं । दरअसल वह किसी भी तरफ के लोगों का भरोसा नहीं जीत पाए हैं; अपनी तरफ से हालाँकि वह चतुराई तो खूब दिखाते हैं, लेकिन उनकी चतुराई उन्हें उल्टी पड़ती है और उनकी फजीहत करवाती है । जितेंद्र ढींगरा के नजदीकी कुछेक बड़े व प्रमुख लोगों को रमेश बजाज बिलकुल भी तवज्जो नहीं देते हैं, लेकिन इससे उन्हें कोई लाभ होने की बजाये नुकसान ही उठाना पड़ा है - क्योंकि उनके इस व्यवहार के कारण उन्हें जितेंद्र ढींगरा ग्रुप का कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है - उधर राजा साबू खेमे के लोग उन्हें जितेंद्र ढींगरा के नजदीक पाते/देखते हुए उनसे दूर बने हुए हैं । अपने बिलकुल पहले कार्यक्रम - प्री-पेट्स - के आयोजन की जिम्मेदारी अरुण शर्मा के क्लब को देकर रमेश बजाज जिस मुसीबत में फँसे थे, और जिससे उन्हें जितेंद्र ढींगरा ने निकाला/बचाया था - उससे रमेश बजाज ने लगता है कि कोई सबक नहीं सीखा और वह लगातार वही गलतियाँ करते जा रहे हैं, जिनके कारण वह प्री-पेट्स में फजीहत का शिकार बने थे । दोनों तरफ के लोगों को खुश करने/रखने के चक्कर में रमेश बजाज ने दोनों तरफ के लोगों को नाराज किया हुआ है, जिस कारण डिस्ट्रिक्ट में उन्हें कोई भी गंभीरता से लेता हुआ नहीं दिख रहा है, और उनका डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनना एक मजाक सा बन कर रह गया है ।