Friday, July 10, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में चुनावी फायदे के लिए दीपक गुप्ता द्वारा बनाया गया रोटरी क्लब गाजियाबाद तेजस्वी सभी सदस्यों के इस्तीफा देने के कारण छह महीने में ही बंद हुआ, और जो दीपक गुप्ता की नटवरलालरूपी कार्यप्रणाली का एक दिलचस्प उदाहरण बना है 

गाजियाबाद । निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता ने पिछले रोटरी वर्ष के अपने कार्यकाल में जो 12 नए क्लब बनाये/खोले थे, उनमें एक - रोटरी क्लब गाजियाबाद तेजस्वी - दीपक गुप्ता का कार्यकाल पूरा होते ही सभी सदस्यों के इस्तीफा दे देने के कारण बंद हो गया है । यह क्लब 11 दिसंबर 2019 को 66 सदस्यों के साथ खोला गया था, लेकिन ड्यूज जमा करने से बचने की सदस्स्यों की कार्रवाई के कारण छह महीने में ही बंद हो गया है । छह महीने के कार्यकाल में इस क्लब की एकमात्र 'महान उपलब्धि' यह रही कि इसके जो तीन वोट बने थे, वह सीओएल के चुनाव में शरत जैन को दो वोटों से जीत दिलवाने में मददगार रहे । वास्तव में यह क्लब शरत जैन की उम्मीदवारी के लिए वोट जुटाने के अभियान के तहत ही बना/बनाया गया था । 66 सदस्यों के साथ बने/बनाये गए इस क्लब के लिए दीपक गुप्ता को जोन 4 के रोटरी कोऑर्डीनेटर गुरजीत सिंह सेखों तथा असिस्टेंट रोटरी कोऑर्डीनेटर प्रियेश भंडारी की तरफ से शाबासी भी मिली थी - उन बेचारों को क्या पता था कि दीपक गुप्ता उन्हें ही नहीं, बल्कि रोटरी के उच्च आदर्शों को भी ठग रहे हैं - और वह उनकी ठगी को शाबासी दे रहे हैं । बात सिर्फ इतनी सी ही नहीं है कि एक क्लब खुला और छह महीने में ही बंद हो गया - कोई भी तर्क कर सकता है कि इसके लिए तो क्लब के सदस्यों और पदाधिकारियों को जिम्मेदार माना व जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की इसमें भला क्या गलती है ? लेकिन रोटरी क्लब गाजियाबाद तेजस्वी का किस्सा इतना सीधा/सरल नहीं है, यह किस्सा वास्तव में दीपक गुप्ता की नटवरलालरूपी कार्यप्रणाली का एक दिलचस्प उदाहरण है - जिसमें उक्त क्लब के सदस्य 'इस्तेमाल' किए गए और रोटरी तथा उसके वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ 'धोखा' किया गया ।
उल्लेखनीय है कि उक्त क्लब 15 डॉलर प्रति सदस्य के शुल्क के साथ 11 दिसंबर को खुला था; इसके चार्टर सदस्यों की संख्या 66 थी - लेकिन फरवरी तक इसकी सदस्यता घटकर 20/25 के करीब हो गई । इस बीच, रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय से करीब दो लाख का बिल आ गया - जिसे देख कर क्लब के पदाधिकारियों तथा सदस्यों का पारा गर्म हो गया; उनका कहना/बताना रहा कि उन्हें तो विश्वास दिलाया गया था कि जून तक उन्हें कोई बिल नहीं चुकाना होगा । इसके बाद, जैसी जो बातें सुनने को मिलीं - उससे साबित हो गया कि दीपक गुप्ता को लोगों ने 'रोटरी का नटवरलाल' नाम उचित ही दिया है । क्लब की तरफ से सुनने को मिला कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता ने क्लब के प्रमुख लोगों को फार्मूला सुझाया कि अभी 66 सदस्यों के साथ खोले जा रहे क्लब की सदस्यता जनवरी के अंत तक घटाकर 20/22 कर देना - जिससे कि 66 सदस्यों का शुल्क नहीं लगेगा - और क्लब आगे आसानी से बना/चलता रहेगा । क्लब के प्रमुख कर्ताधर्ताओं ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि दीपक गुप्ता जब एक/डेढ़ महीने के बाद सदस्यता एक तिहाई कर देने का सुझाव दे रहे हैं, तो क्लब की शुरुआत बड़ी सदस्य संख्या से करने की जरूरत भला क्या है ? उन्हें यह नहीं समझ में आया कि इसके पीछे दीपक गुप्ता की चालबाजी क्लब के तीन वोट बनवाने/पाने की है, जिन्हें सीओएल के चुनाव में शरत जैन के पक्ष में किया जायेगा । दीपक गुप्ता का इरादा यही था कि उनका काम बन जाये, उसके बाद सदस्यता घटा दी जाए । काम दीपक गुप्ता की योजना के अनुसार ही हुआ, लेकिन मामला तब बिगड़ गया - जब क्लब को रोटरी इंटरनेशनल से 66 सदस्यों का भारी-भरकम बिल मिला ।
क्लब के पदाधिकारियों ने कोशिश तो बहुत की कि क्लब के तीन वोटों का फायदा चूँकि शरत जैन को मिला है, इसलिए क्लब को मिले बिल का भुगतान वह करें - लेकिन शरत जैन ने अवसरवादी रवैया अपनाते/दिखाते हुए मामले में चुप्पी ही बनाये रखी । दीपक गुप्ता ने कुछ समय तक जरूर क्लब के पदाधिकारियों को झाँसा दिए रखा कि क्लब को मिले बिल के भुगतान को लेकर वह कुछ करेंगे - लेकिन क्लब के पदाधिकारियों को जल्दी ही समझ में आ गया कि रोटरी तथा रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों के साथ 'धोखा' करने वाले दीपक गुप्ता उनके साथ भी धोखा ही कर रहे हैं, इसलिए उन्होंने रोटरी से ही तौबा कर लेने में अपनी भलाई देखी और इस्तीफा देकर क्लब से अलग हो गए - और जब क्लब में कोई बचा नहीं रह गया, तो क्लब स्वतः बंद हो गया । रोटरी में क्लब्स प्रायः ड्यूज जमा न करने के कारण बंद होते हैं; लेकिन रोटरी क्लब गाजियाबाद तेजस्वी सभी सदस्यों के इस्तीफा दे देने के कारण बंद हुआ है । डिस्ट्रिक्ट 3012 में अभी तक 23 क्लब बंद हुए हैं, जिनमें सबसे कम समय तक यही क्लब अस्तित्व में रहा है, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता की धोखाधड़ी का शिकार बने रोटेरियंस के रोटरी छोड़ जाने के कारण बंद हुआ है । विडंबना यह है कि रोटेरियंस के साथ धोखाधड़ी करने तथा रोटरी को बदनाम करने के बावजूद दीपक गुप्ता अभी भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नरी के 'नशे' से बाहर नहीं निकल पाए हैं - भूतपूर्व हो चुकने के बाद भी दीपक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में न सिर्फ क्लब्स के प्रोजेक्ट में शामिल हो रहे हैं, बल्कि अभी भी रोटेरियंस को अवॉर्ड/सर्टीफिकेट घोषित कर रहे हैं तथा बाँट रहे हैं । इस तरह रोटरी से खिलवाड़ करना उनका अभी भी जारी है ।