Wednesday, July 8, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने को लेकर दौड़-भाग करते करते, अचानक से 'गायब' हो गए दीपक गुप्ता को कोरोना पीड़ित होने की चर्चा के कारण भारी चुनावी नुकसान पहुँचा; और उन्हें चुनावी मुकाबले से बाहर हुआ ही देखा/समझा जा रहा है

सोनीपत । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश में मुश्किलों से जूझ रहे दीपक गुप्ता को कोरोना पॉजिटिव हो जाने की चर्चा के कारण और तगड़ा झटका लगा है, जिस कारण इस वर्ष होने वाला डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव बिलकुल ही एकतरफा तथा विकल्पहीन होता हुआ नजर आ रहा है । दीपक गुप्ता के नजदीकियों ने तो कहना भी शुरू कर दिया है कि समर्थन न मिलने के कारण परेशान और निराश हो चले दीपक गुप्ता को कोरोना का शिकार हो जाने की चर्चा के कारण अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटने का सम्मानजनक मौका मिल गया है । उनके नजदीकियों का ही कहना/बताना है कि कोरोना पीड़ित होने की चर्चा से पहले दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख रोटेरियंस से मुलाकातें की थीं और अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास किया था, लेकिन अपने प्रयासों का उन्हें कोई विश्वसनीय नतीजा मिलता हुआ नहीं लगा था - जिस कारण वह बुरी तरह निराश और परेशान हुए थे । दीपक गुप्ता के लिए मुसीबत की बात यह हुई कि अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से उन्होंने रोटेरियंस से जो मुलाकातें कीं - उसके नतीजे में उन्हें किसी से भी सहयोग व समर्थन के आश्वासन तो नहीं मिले, कोरोना पीड़ित होने की मशहूरी लेकिन मिल गई । 
विडंबना की बात यह है कि दीपक गुप्ता ने अपनी तरफ से कोरोना पीड़ित होने की चर्चा पर कोई बात नहीं की है, जिसे उनकी तरफ से कोरोना पीड़ित होने की बात को छिपाने के प्रयास के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । दरअसल, उनके कोरोना पीड़ित होने की चर्चा को तब बल किया, जब लोगों ने दीपक गुप्ता को अचानक से शांत और सीन से गायब पाया । लोगों को हैरानी हुई कि दीपक गुप्ता कहाँ तो इतने सक्रिय थे कि वॉट्सऐप और फोन के साथ-साथ, लॉकडाउन के कड़े दिशा-निर्देशों के बावजूद दिल्ली और गाजियाबाद व नोएडा तथा उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों/कस्बों के रोटेरियंस से मिलने/जुलने तक पहुँच रहे थे - लेकिन फिर अचानक से इस तरह से गायब हो गए कि वॉट्सऐप पर भी उनके संदेशों का अकाल पड़ गया । लोगों ने पता किया तो उन्हें दीपक गुप्ता के बीमार होने की खबर मिली और बीमारी को छिपाने तथा रहस्य बनाये रखने की उनकी कोशिशों के कारण उनके कोरोना पीड़ित होने की चर्चा फैली । इस चर्चा ने उन रोटेरियंस को बुरी तरह से परेशान किया, जिनसे दीपक गुप्ता पिछले दिनों मिले/जुले थे । कई रोटेरियंस ने कहा/बताया भी कि अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से दीपक गुप्ता लॉकडाउन के दौरान उनसे मिलने आये थे, तो उन्होंने उन्हें सलाह दी थी कि अभी उन्हें मिलने/जुलने पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहिए और सावधानी रखनी/बरतनी चाहिए - लेकिन दीपक गुप्ता ने उनकी सलाह को गंभीरता से नहीं लिया, और खुद ही शिकार हो बैठे ।
दीपक गुप्ता के कोरोना पीड़ित होने की चर्चा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मुकाबले में आने और बने रहने के उनके प्रयासों पर पानी फेर दिया है । उम्मीदवार के रूप में उन्हें हालाँकि कहीं से भी कोई समर्थन मिलता हुआ तो नहीं दिख रहा था, लेकिन उनकी उम्मीदवारी चुनावी परिदृश्य में रोमांच तो बनाये हुए थी ही - और इस रोमांच के भरोसे दीपक गुप्ता वास्तव में अगले रोटरी वर्ष के लिए अपनी उम्मीदवारी की पुनर्प्रस्तुति की उम्मीद लगाये हुए थे । दीपक गुप्ता के नजदीकियों के अनुसार, दीपक गुप्ता को यह आभास तो हो गया था कि इस वर्ष होने वाले चुनाव में उनकी दाल गलने वाली नहीं है, लेकिन वह फिर भी अपनी उम्मीदवारी बनाये हुए थे - तो इस उम्मीद में, कि नेता लोग अगले वर्ष में उनकी उम्मीदवारी को समर्थन का भरोसा देकर उन्हें अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए मनाने का प्रयास करेंगे; और इस तरह अगले वर्ष में उनकी उम्मीदवारी का रास्ता साफ हो जायेगा । दीपक गुप्ता के कोरोना पीड़ित होने की चर्चा ने लेकिन उनसे वह उम्मीद भी छीन ली लगती है । दीपक गुप्ता के कोरोना पीड़ित होने की चर्चा ने दीपक गुप्ता को चुनावी नुकसान पहुँचाने के साथ-साथ, उनकी चुनावी सक्रियता के बहाने तरह तरह की अफवाहें फैलाने तथा शेखचिल्ली टाइप कयास लगाने के मौके बनाने वाले चुनावबाज और हमेशा चुनावी-मोड में रहने वाले रोटेरियंस को भी झटका दिया है । उक्त चर्चा के चलते एक तरफ यदि दीपक गुप्ता के चुनावी मुकाबले से बाहर होने की स्थिति बनी है, तो दूसरी तरफ चुनावबाज रोटेरियंस के सामने भी 'बेरोजगार' होने का खतरा पैदा हो गया है ।