लखनऊ । गुरनाम सिंह ने
विशाल सिन्हा की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए पूर्व डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर केएस लूथरा को अपनी तरफ कर तो लिया है, लेकिन केएस लूथरा की भूमिका
को लेकर गुरनाम सिंह अभी भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं । यही कारण है कि
सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव के संबंध में बनाई गई
महत्वपूर्ण कमेटियों में केएस लूथरा को नहीं रखा गया है । उक्त कमेटियों के
लिए पदाधिकारियों का चयन गुरनाम सिंह ने ही किया है । कमेटियों के
पदाधिकारियों के नामों का ऐलान अभी नहीं हुआ है, लेकिन गुरनाम सिंह ने इन
पंक्तियों को लेखक को बताया है कि नाम तय हो गए हैं और प्रमुख कमेटियों में
केएस लूथरा को जिम्मेदारी नहीं दी गई है । मजे की बात यह है कि केएस
लूथरा अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि वह गुरनाम सिंह के साथ
'दिखें', लेकिन गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा उन पर पूरी तरह विश्वास नहीं
कर पा रहे हैं । दरअसल पिछली बार का अनुभव उन्हें केएस लूथरा को लेकर
लगातार सशंकित किए हुए हैं और इसीलिये वह दोनों केएस लूथरा पर पूरी तरह आँख
मूँद कर भरोसा नहीं कर रहे हैं । दोनों तरफ के 'तौर-तरीके' भी उनके
बीच विश्वास बनने/बनाने में बाधा बन रहे हैं । गुरनाम सिंह को 'अपने
जासूसों' से यह सूचना तो मिलती है कि केएस लूथरा उनके ही साथ होने की बात
कहते/करते हैं लेकिन केएस लूथरा के जो लोग हैं वह अभी भी एके सिंह की उम्मीदवारी का झंडा उठाये हुए हैं - असल में इसीलिये गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा, केएस लूथरा पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं ।
दरअसल पिछले वर्ष के अपने अनुभव के चलते भी गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा के लिए केएस लूथरा पर भरोसा करना मुश्किल बना हुआ है । उल्लेखनीय
है कि पिछले वर्ष भी इन्होंने केएस लूथरा की तगड़ी घेराबंदी की थी और
इन्हें विश्वास था कि केएस लूथरा चाहते हुए भी कुछ कर नहीं पायेंगे, लेकिन
केएस लूथरा छुपे रुस्तम साबित हुए । गुरनाम सिंह ने जिस चौतरफा तरीके
से केएस लूथरा को घेरा था, उसमें केएस लूथरा बिलकुल ऐसे हो जाते थे कि जैसे
वह न तो कुछ करेंगे और न कुछ कर सकेंगे, लेकिन अंदर ही अंदर केएस लूथरा ने
ऐसा इंतजाम किया कि गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा चारों खाने चित्त भी हुए
और हैरान भी हुए कि यह हुआ क्या ? गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा ने समझ
लिया कि केएस लूथरा को 'पहचानना' आसान नहीं है, वह जैसे 'दिखते' हैं वैसे
हैं नहीं । इसीलिये इस वर्ष भी गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा समझ रहे हैं कि
केएस लूथरा 'दिख' भले ही उनके साथ रहे हैं, लेकिन क्या करने की सोच रहे
हैं इसे समझना थोड़ा मुश्किल है ।
यह मुश्किल एके सिंह के रवैये के कारण भी दिख रही है ।
गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा के लिए यह समझना भी मुश्किल हो रहा है कि केएस
लूथरा यदि सचमुच उनके साथ आ गए हैं तो फिर एके सिंह किस भरोसे अभी भी
उम्मीदवार बने हुए हैं ? पिछले वर्ष जैसे ही हालात अभी हैं - पिछले वर्ष
इस समय तक शिव कुमार गुप्ता की उम्मीदवारी को लेकर असमंजस बना हुआ था,
क्योंकि कोई भी उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में 'दिख' नहीं रहा था, गुरनाम
सिंह और विशाल सिन्हा से सभी लोग समर्थन का वायदा और दावा कर रहे थे;
उम्मीदवार के रूप में खुद शिव कुमार गुप्ता भी बहुत सक्रिय नहीं थे; ले दे
कर एक केएस लूथरा ही दबे-छिपे तरीके से शिव कुमार गुप्ता की उम्मीदवारी की
बात करते हुए सुने जा रहे थे, लेकिन गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा ने उनकी
ऐसी घेराबंदी की हुई थी कि उनसे भी कुछ होता हुआ दिख नहीं रहा था । इसके
बावजूद क्या हुआ, यह सब जानते हैं । पिछली बार की तुलना में गुरनाम सिंह
और विशाल सिन्हा को डराने के लिए एक बात जरूर इस बार है - और वह कि चुनाव
को अफोर्ड करने को लेकर शिव कुमार गुप्ता के संदर्भ में डिस्ट्रिक्ट के
लोगों के बीच सवाल था, जबकि एके सिंह के संदर्भ में इस बार यह सवाल नहीं है
। इसीलिये सब कुछ अनुकूल होने के बावजूद गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा के लिए निश्चिंत होने के हालात नहीं हैं ।
दरअसल इसी हालात के चलते केएस लूथरा की भूमिका संदेहास्पद और
महत्वपूर्ण हो गई है । विशाल सिन्हा की उम्मीदवारी को केएस लूथरा द्धारा
समर्थन दिए जाने की घोषणा पर केएस लूथरा के समर्थकों और नजदीकियों ने ही
जिस तरह से सवाल उठाया है और केएस लूथरा को गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा के
जाल में फँसने से बचने की सलाह दी है उससे गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा
को केएस लूथरा की भूमिका संदिग्ध दिखने लगी है । केएस लूथरा के समर्थक और
नजदीकी अभी भी एके सिंह की उम्मीदवारी के समर्थन में लगे हुए हैं, और केएस
लूथरा इसके लिए उन्हें रोक पाने में अपनी असमर्थता व्यक्त कर चुके हैं ।
गुरनाम सिंह इस बात पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हैं कि केएस लूथरा लोगों
को बताते हैं कि गुरनाम सिंह उन्हें मनाने पच्चीस बार उनके घर आये । गुरनाम
सिंह को लगता है कि इस तरह के दावे करके केएस लूथरा अपनी अहमियत जता रहे
हैं । केएस लूथरा के नजदीकियों को लगता है कि गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा ने पिछले वर्ष केएस लूथरा के साथ जो किया, उसके चलते केएस लूथरा के लिए मन से उनके साथ जाना आसान नहीं होगा; गुरनाम सिंह ने घेरघार कर केएस लूथरा को अपने साथ कर भले ही लिया हो और केएस लूथरा भी अपने आप को उनके साथ दिखा भले रहे हों - लेकिन केएस लूथरा के लिए उनके साथ जुड़ना आसान नहीं होगा । यह बात गुरनाम सिंह और विशाल सिन्हा भी समझ रहे हैं और इसीलिए वह केएस लूथरा पर पूरी तरह से भरोसा नहीं कर पा रहे हैं ।