Sunday, January 26, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में डीजीएन जेके गौड़ की मदद से आईपीडीजी रमेश अग्रवाल ने पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स सुदर्शन अग्रवाल और सुशील गुप्ता की फजीहत करने की तैयारी की

नई दिल्ली । रमेश अग्रवाल सीओएल (काउंसिल ऑन लेजिसलेशन) के लिए जिस तरह की चुनावी तैयारी करते हुए देखे/सुने जा रहे हैं, उसे रोटरी के बड़े नेता बिलकुल भी पसंद नहीं कर रहे हैं । रोटरी के बड़े नेताओं का मानना और कहना है कि सीओएल को लेकर रमेश अग्रवाल की जो और जिस तरह की हरकते हैं उनसे रोटरी की इमेज ख़राब हो रही है - और रमेश अग्रवाल यह तब  कर रहे हैं जबकि वह रोटरी रिसोर्स ग्रुप्स में जोन 4 व 6 ए के असिस्टेंट रोटरी पब्लिक इमेज कोआर्डीनेटर के पद पर हैं । रोटरी के बड़े नेताओं को यह देख/जान कर बड़ा अफ़सोस भी हो रहा है कि रमेश अग्रवाल जिस पद पर हैं उस पद की गरिमा का उन्हें जरा भी ख्याल नहीं है । इस प्रकरण से यह भी साबित हो रहा है कि रमेश अग्रवाल को सिर्फ पद चाहिए होता है, उस पद के अनुरूप काम और/या व्यवहार कर सकना उनके बस की बात नहीं है ।
उल्लेखनीय है कि रोटरी में बड़े नेताओं के बीच आम समझ यह है कि सीओएल में प्रतिनिधित्व के लिए काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में ही फैसला हो जाना चाहिए और सभी को उस फैसले का सम्मान करना चाहिए और किसी को भी उस फैसले को आम रोटेरियंस के बीच विवाद बनाने जैसा घटिया काम नहीं करना चाहिए । विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में प्रायः इस सोच और भावना को स्वीकार किया ही जाता है । लेकिन रमेश अग्रवाल इस सोच और भावना को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं दिखते हैं । काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में आशीष घोष से हुए मुकाबले में उन्हें जिस पराजय का सामना करना पड़ा है, उसका बदला लेने के लिए वह हर तरह का घटियापन दिखाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं । रमेश अग्रवाल की यह तैयारी रोटरी में ज्यादा बड़ा मुद्दा नहीं बनती - यदि उनकी तैयारी एक सामान्य चुनाव के बाबत होती । किंतु आशीष घोष की जीत में जिस स्तर के लोगों की भूमिका रही है, उसके कारण रमेश अग्रवाल की तैयारी रोटरी में एक बड़ा मुद्दा बन गया है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट 3010 से सीओएल में रमेश अग्रवाल की बजाये आशीष घोष को प्रतिनिधित्व देने का जो फैसला हुआ है, उसे पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स सुदर्शन अग्रवाल और सुशील गुप्ता का समर्थन प्राप्त है । इस फैसले को स्वीकार करने से इंकार करके रमेश अग्रवाल एक तरह से सुदर्शन अग्रवाल और सुशील गुप्ता की तौहीन कर रहे हैं ।
रोटरी रिसोर्स ग्रुप्स में जोन 4 व 6 ए के असिस्टेंट रोटरी पब्लिक इमेज कोआर्डीनेटर जैसे महत्वपूर्ण पद पर होते हुए रमेश अग्रवाल जिस तरह से पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स सुदर्शन अग्रवाल और सुशील गुप्ता की फजीहत करने की तैयारी में हैं - उसे देख/जान कर रोटरी के बड़े नेता हैरान हैं । रमेश अग्रवाल के घटियापने की कई ख़बरें उन तक भी पहुँचीं हैं, लेकिन रमेश अग्रवाल इस स्तर तक उतर सकते हैं - इसका उन्हें आभास नहीं हो पाया था । रोटरी के बड़े नेताओं को यह देख/जान कर भी आश्चर्य हुआ है कि इस हरकत में रमेश अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जेके गौड़ और सुधीर मंगला का भी सहयोग व समर्थन मिल रहा है । रोटरी के बड़े नेताओं में चिंता इस बात को लेकर है कि जेके गौड़ और सुधीर मंगला जैसे लोगों के कारण रोटरी की पहचान और साख कैसे बनी/बची रह पायेगी ।
जेके गौड़ को इस बात का पूरा आभास है कि डिस्ट्रिक्ट में और डिस्ट्रिक्ट के बाहर उनकी पहचान रमेश अग्रवाल के पिट्ठू की बनती जा रही है; इसीलिये वह दूसरे लोगों को यह भरोसा दिलाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में हुए चुनाव में वोट उन्होंने भले ही रमेश अग्रवाल को दिया था, लेकिन अब वह रमेश अग्रवाल के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं । बेचारे जेके गौड़ के लिए समस्या लेकिन यह है कि रमेश अग्रवाल उन्हें अपने पिट्ठू से ज्यादा कुछ समझते नहीं हैं और उन्हें लगातार हड़काये रखते हैं - जिसके चलते जेके गौड़ को रमेश अग्रवाल की जीहुजूरी में भी लगे रहना पड़ता है । जेके गौड़ 'दोनों' तरफ रहने/दिखने की कोशिश में एक तरफ तो यह दावा करते हैं कि रमेश अग्रवाल को वह गाजियाबाद के क्लब्स से कॉन्करेंस भी दिलवाएंगे और फिर वोट भी दिलवाएंगे; लेकिन साथ ही दूसरी तरफ वह यह सफाई देते हुए भी सुने जाते हैं कि वह तो रमेश अग्रवाल के लिए कुछ कर ही नहीं रहे हैं । जेके गौड़ के लिए एक और समस्या है - गाजियाबाद और आसपास के जो सक्रिय क्लब्स हैं उनके प्रमुख लोग आशीष घोष के समर्थन में हैं और इस मत में हैं कि रमेश अग्रवाल को एक पद के लालच में रोटरी की सच्ची भावना और डिस्ट्रिक्ट व डिस्ट्रिक्ट के बड़े नेताओं की शान पर धब्बा लगाने वाला काम नहीं करना चाहिए; जेके गौड़ को लेकिन रमेश अग्रवाल की 'सेवा में' रहना है और इसके चलते उन्हें गाजियाबाद और आसपास के क्लब्स के प्रमुख लोगों से निपटना पड़ेगा । जेके गौड़ को रमेश अग्रवाल के सामने साबित करना है कि गाजियाबाद के दूसरे प्रमुख लोग भले ही रमेश अग्रवाल के साथ न हों, लेकिन यहाँ रमेश अग्रवाल को समर्थन वह दिलवाएंगे ।
सुधीर मंगला के मामले में आशीष घोष और उनके मंजीत साहनी व अमित जैन जैसे समर्थकों को जिस तरह का झटका लगा है, उसने भी एक दिलचस्प नजारा पेश किया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में सुधीर मंगला की उम्मीदवारी का समर्थन करने वाले आशीष घोष, मंजीत साहनी और अमित जैन को कई लोगों ने समझाया था कि सुधीर मंगला भरोसा करने लायक व्यक्ति नहीं हैं और सुधीर मंगला उन्हें कभी भी धोखा दे देंगे - लेकिन इन्होंने किसी की नहीं सुनी । सीओएल के चुनाव में सुधीर मंगला ने आशीष घोष की बजाये रमेश अग्रवाल का समर्थन करके जब अपना असली रंग दिखाया तब इन्हें समझ में आया है कि एक छोटी सोच वाला व्यक्ति छोटी सोच वालों के साथ में ही अपने आपको 'खड़ा' करता है ।
मजे की बात यह हुई है कि काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में रमेश अग्रवाल को प्रायः उन लोगों का समर्थन मिला जो डिस्ट्रिक्ट में अपनी बदजुबानी के लिए, तिकड़मी राजनीति के लिए और या 'कुछ न करने' के लिए जाने जाते हैं; जबकि आशीष घोष को ऐसे लोगों का समर्थन मिला जिनकी कामकाज के मामले में रोटरी इंटरनेशनल में खासी साख है जिसके चलते उन्हें रोटरी इंटरनेशनल में जिम्मेदारी के काम और पद मिलते हैं । दरअसल इसीलिए रोटरी के बड़े नेताओं को सीओएल में प्रतिनिधित्व के लिए रमेश अग्रवाल द्धारा की जा रही घटिया स्तर की राजनीति पसंद नहीं आ रही है ।