नई दिल्ली । राकेश त्रेहन
की सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए विक्रम शर्मा की उम्मीदवारी
को विरोधी खेमे की हरी झंडी दिलवाने की कोशिशों में अजय बुद्धराज ने अड़ंगा
डाल दिया है । अजय बुद्धराज ने यह अड़ंगा इस तर्क के साथ डाला है कि
विक्रम शर्मा को वह चुनाव जितवा तो नहीं पायेंगे - आखिर तब फिर विक्रम
शर्मा की उम्मीदवारी को लेकर वह चुनाव में क्यों जाएँ ? अजय बुद्धराज
के इस तर्कपूर्ण अड़ंगे से विक्रम शर्मा और राकेश त्रेहन को तगड़ा झटका लगा
है । विक्रम शर्मा के लिए तो 'न इधर के रहे, और न उधर के' वाला किस्सा हो
गया है; जबकि राकेश त्रेहन के लिए इस वर्ष की चुनावी राजनीति में कतई
अप्रासंगिक होने का खतरा पैदा हो गया है । राकेश त्रेहन को अजय बुद्धराज से
इस तरह का झटका मिलने की उम्मीद नहीं थी - राकेश त्रेहन को यह आशंका तो
थी कि विक्रम शर्मा की उम्मीदवारी को अपने खेमे के दूसरे नेताओं का समर्थन
दिलवाना उनके लिए आसान नहीं होगा, लेकिन उन्हें यह आभास नहीं था कि विक्रम
शर्मा की उम्मीदवारी को अपनाने के उनके अभियान में अजय बुद्धराज ही रोड़ा
अटका देंगे ।
अजय बुद्धराज के इस रवैये ने राकेश त्रेहन को चौंकाया है और
इसमें राकेश त्रेहन को अजय बुद्धराज की एक अलग खिचड़ी पकने की महक आ रही है ।
राकेश त्रेहन को आशंका हो रही है कि अजय बुद्धराज कहीं डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा से तो मिल जाने की तैयारी नहीं कर रहे हैं ।
दरअसल राकेश त्रेहन भी इस बात को समझ रहे हैं कि वह विक्रम शर्मा को चुनाव नहीं जितवा सकेंगे । राकेश त्रेहन भले ही कहें न और स्वीकार न करें, लेकिन वह भी जान/समझ रहे हैं कि उम्मीदवार तो वही जीतेगा जिसे विजय शिरोहा का समर्थन होगा । इसीलिये राकेश त्रेहन ने बड़ी चतुराई से विक्रम शर्मा को विजय शिरोहा के हाथों से 'छीन' लिया । विक्रम शर्मा पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि उन्हें किसी का समर्थन मिले या न मिले, वह तो इस बार उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे ही । राकेश त्रेहन की चाल यह रही कि विक्रम शर्मा को पहले तो विजय शिरोहा के हाथों से छुड़ा लो, और फिर विक्रम शर्मा को समर्थन की घोषणा करो । विक्रम शर्मा की उम्मीदवारी के जरिये राकेश त्रेहन ने असल में, अपने और अपने खेमे के दूसरे नेताओं के फर्जी क्लब्स और सदस्यों के ड्यूज जुटाने की तिकड़म लगाई । विरोधी खेमे के नेताओं के सामने चूँकि अपने अपने फर्जी क्लब्स और सदस्यों के ड्यूज जुटाने की समस्या है - इसलिए ही राकेश त्रेहन को भरोसा रहा कि विक्रम शर्मा का 'शिकार' कर लेने के बाद उनकी उम्मीदवारी को खेमे के नेताओं का समर्थन दिलवाने में उन्हें कोई समस्या नहीं आयेगी ।
दरअसल राकेश त्रेहन भी इस बात को समझ रहे हैं कि वह विक्रम शर्मा को चुनाव नहीं जितवा सकेंगे । राकेश त्रेहन भले ही कहें न और स्वीकार न करें, लेकिन वह भी जान/समझ रहे हैं कि उम्मीदवार तो वही जीतेगा जिसे विजय शिरोहा का समर्थन होगा । इसीलिये राकेश त्रेहन ने बड़ी चतुराई से विक्रम शर्मा को विजय शिरोहा के हाथों से 'छीन' लिया । विक्रम शर्मा पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि उन्हें किसी का समर्थन मिले या न मिले, वह तो इस बार उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे ही । राकेश त्रेहन की चाल यह रही कि विक्रम शर्मा को पहले तो विजय शिरोहा के हाथों से छुड़ा लो, और फिर विक्रम शर्मा को समर्थन की घोषणा करो । विक्रम शर्मा की उम्मीदवारी के जरिये राकेश त्रेहन ने असल में, अपने और अपने खेमे के दूसरे नेताओं के फर्जी क्लब्स और सदस्यों के ड्यूज जुटाने की तिकड़म लगाई । विरोधी खेमे के नेताओं के सामने चूँकि अपने अपने फर्जी क्लब्स और सदस्यों के ड्यूज जुटाने की समस्या है - इसलिए ही राकेश त्रेहन को भरोसा रहा कि विक्रम शर्मा का 'शिकार' कर लेने के बाद उनकी उम्मीदवारी को खेमे के नेताओं का समर्थन दिलवाने में उन्हें कोई समस्या नहीं आयेगी ।
अजय बुद्धराज ने लेकिन समस्या पैदा कर दी है । अजय बुद्धराज के सामने भी हालाँकि अपने फर्जी क्लब्स व सदस्यों के ड्यूज जुटाने की चुनौती है - लेकिन इसके लिए वह हार का सामना करने से बचना चाहते हैं ।
इसीलिए वह विक्रम शर्मा की उम्मीदवारी का समर्थन करने से इंकार कर रहे हैं
। वह समझ रहे हैं कि अपने फर्जी किस्म के क्लब्स और सदस्यों के ड्यूज
जुटाने के चक्कर में वह जिस पराजय को पायेंगे - उससे उन्हें दूरगामी नुकसान
होगा ।
अजय बुद्धराज के पास लेकिन इस सवाल का कोई जबाव नहीं है कि उनके और उनके खेमे के दूसरे नेताओं के फर्जी क्लब्स और सदस्यों के ड्यूज कैसे और किससे मिलेंगे ? इस
सवाल का कोई जबाव न होने के बावजूद अजय बुद्धराज जिस तरह से विक्रम शर्मा
की उम्मीदवारी का समर्थन करने से इंकार कर रहे हैं - उससे राकेश त्रेहन को
शक हो रहा है कि अजय बुद्धराज उनसे छिपा कर कुछ अलग खिचड़ी पका रहे हैं । राकेश त्रेहन ने अपने कुछ लोगों से पूछने वाले अंदाज में कहा/बताया है कि अजय बुद्धराज कहीं डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा से तो नहीं जा मिले हैं ? उल्लेखनीय है कि राकेश त्रेहन को यह तो पता है ही कि अजय बुद्धराज की दीपक टुटेजा और अरुण पुरी के साथ बातचीत होती रहती है - इसी नाते से राकेश त्रेहन को शक हो रहा है कि अजय बुद्धराज ने कहीं इन दोनों के मार्फ़त विजय शिरोहा से संबंध तो नहीं जोड़ लिया है; और इस तरह से अपने फर्जी क्लब्स और सदस्यों के ड्यूज पाने का जुगाड़ कर लिया है ।
राकेश त्रेहन दरअसल यह समझ रहे हैं कि
सत्ता खेमे के नेताओं की यह कोशिश तो होगी ही कि उनके उम्मीदवार को चुनाव
का सामना न करना पड़े - और अजय बुद्धराज का रवैया सत्ता खेमे के नेताओं की
उसी 'कोशिश' की मदद कर रहा है । वास्तव में, राकेश त्रेहन को इसीलिए लग रहा है कि अजय बुद्धराज ने गुपचुप रूप से सत्ता खेमे के साथ संबंध जोड़ लिए हैं । राकेश त्रेहन के कारण विक्रम शर्मा का जो अच्छा-खासा
बना-बनाया काम बिगड़ा है, उसके चलते तो राकेश त्रेहन की बदनामी हुई ही है -
अब यदि अजय बुद्धराज के उनसे छिप-छिपाकर सत्ता खेमे से संबंध बनाने की बात
भी सच साबित हुई तो राकेश त्रेहन के लिए तो बड़ी समस्या हो जायेगी ।