नई दिल्ली । रमेश अग्रवाल को
सीओएल (काउंसिल ऑन लेजिसलेशन) के लिए चुनवाने हेतु विनय कुमार अग्रवाल और
जेके गौड़ ने जिस तरह की मोर्चाबंदी की है, उससे रमेश अग्रवाल की उम्मीदवारी
की कमजोरी ही साबित हुई है । उल्लेखनीय है कि रमेश अग्रवाल की
उम्मीदवारी के प्रमुख झंडाबरदार विनय कुमार अग्रवाल ने माँग की है कि सीओएल
के लिए अधिकृत उम्मीदवार के लिए दो-तिहाई वोट प्राप्त करना जरूरी होना
चाहिए । विनय कुमार अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट के बड़े कानूनबाज किस्म के
लोगों - मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल - के नजदीक हैं, इसलिए उनसे यह
उम्मीद तो की ही जाती है कि उन्हें डिस्ट्रिक्ट में का नियम पता ही होगा
जिसके अनुसार साधारण बढ़त ही अधिकृत उम्मीदवार चुनने के लिए आवश्यक है ।
आखिर तब फिर विनय कुमार अग्रवाल ने दो-तिहाई वोटों को प्राप्त करने की
जरूरत की माँग क्यों की है ?
रमेश अग्रवाल के नजदीकियों का ही मानना और
कहना है कि लगता है कि रमेश अग्रवाल और उनके सिपहसालारों ने समझ लिया है कि
काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में आशीष घोष को उनसे ज्यादा वोट मिल जायेंगे ।
उन्होंने जो हिसाब लगाया है उसके अनुसार आशीष घोष को रमेश अग्रवाल से
ज्यादा वोट तो मिल जायेंगे, लेकिन आशीष घोष को मिलने वाले वोटों की संख्या
कुल वोटों के दो-तिहाई स्तर को नहीं छू सकेगी । इसीलिये आशीष घोष को
अधिकृत उम्मीदवार घोषित होने से रोकने के लिए रमेश अग्रवाल और उनकी टीम को
अधिकृत उम्मीदवार के लिए दो-तिहाई वोटों को प्राप्त करने की जरूरत की माँग
करने का रास्ता सूझा है ।
रमेश अग्रवाल और उनकी टीम का प्रयास है कि अधिकृत उम्मीदवार के लिए
दो-तिहाई वोटों को प्राप्त करना यदि जरूरी बना दिया गया, तो फिर आशीष घोष
अधिकृत उम्मीदवार नहीं बन पायेंगे और तब सीओएल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत
करने वाले सभी उम्मीदवार खुले चुनाव में चुनाव लड़ने के अधिकारी बन जायेंगे ।
रमेश अग्रवाल और उनके समर्थकों को डर है कि सीओएल के लिए नोमीनेटिंग
कमेटी द्धारा चुने जाने वाले अधिकृत उम्मीदवार को यदि साधारण बढ़त के आधार
पर ही चुना गया, तो फिर आशीष घोष ही अधिकृत उम्मीदवार चुन लिये जायेंगे ।
रमेश अग्रवाल की तरफ से दावा तो किया जा रहा है कि वह यदि अधिकृत उम्मीदवार
नहीं चुने गए तो वह चेलैंज करेंगे - लेकिन वह खुद भी जानते/समझते हैं कि
चेलैंज करना आसान नहीं होगा । इसलिए ही रमेश अग्रवाल और उनके समर्थक
चाहते हैं और प्रयासरत हैं कि नोमीनेटिंग कमेटी से फैसला हो ही नहीं और
मामला खुला छूट जाये । इसी के लिए अधिकृत उम्मीदवार के लिए दो-तिहाई वोट
जरूरी करने वाला झमेला खड़ा किया जा रहा है । विनय कुमार अग्रवाल को
उम्मीद है कि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनोद बंसल पर दबाव बना कर दो-तिहाई
वोट वाले मामले को स्वीकृत करवा लेंगे । क्या होगा, यह कल पता चलेगा ।
रमेश अग्रवाल के एक दूसरे 'सिपाही' जेके गौड़ ने एक बड़ी कामयाबी
पाई - उन्होंने एक छिपा हुआ वोट रमेश अग्रवाल के पक्ष में खोज निकाला ।
डिस्ट्रिक्ट 3060 में 1991-92 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने एसपी मैनी पिछले
कुछेक वर्षों से डिस्ट्रिक्ट 3010 में रोटरी क्लब नोएडा के सदस्य हैं ।
एसपी मैनी यहाँ पोलियो कार्यक्रम में सक्रिय हैं और इस नाते से जेके गौड़ से
उनका परिचय है । उसी परिचय का लाभ उठा कर जेके गौड़ ने एसपी मैनी से
काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की कल होने वाली मीटिंग में उपस्थित होने के लिए आवेदन
करवाया है । रोटरी इंटरनेशनल के नियमानुसार एसपी मैनी को डिस्ट्रिक्ट
3010 में काउंसिल ऑफ गवर्नर्स का सदस्य होने का पूरा अधिकार है । हैरानी की
बात यही है कि वह अभी तक यहाँ काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सदस्य बने क्यों नहीं ? मजे की बात यह है कि
रमेश अग्रवाल को अब जिन एसपी मैनी का वोट चाहिए और जिसके लिए उनके 'सिपाही'
जेके गौड़ ने एसपी मैनी से कल की मीटिंग में उपस्थित होने का आवेदन करवाया
है, उन एसपी मैनी को पिछले वर्ष के अपने गवर्नर-काल में रमेश अग्रवाल ने
एक बार भी तवज्जो नहीं दी और न उन्हें काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में ही शामिल
किया ।
एसपी मैनी के जरिये जेके गौड़ ने दरअसल मंजीत साहनी से भी बदला लेने का काम किया है । जेके गौड़, मंजीत साहनी से इस बात को लेकर बुरी तरह खफा हैं कि पिछले वर्ष उन्होंने सुधीर मंगला का समर्थन किया था ।
जेके गौड़ को आशंका हुई कि मंजीत साहनी सीओएल के चुनाव में चूँकि आशीष घोष
के समर्थन में हैं, इसलिए एसपी मैनी को वह कहीं आशीष घोष के समर्थन में न
कर दें । पोलियो कार्यक्रम में सक्रिय होने के कारण एसपी मैनी का मंजीत
साहनी के साथ भी अच्छा परिचय है । मंजीत साहनी इस बारे में कुछ सोचें और
करें, जेके गौड़ उससे पहले ही एसपी मैनी को ले उड़े । इस तरह जेके गौड़ ने
साबित करने की कोशिश की है कि वह मंजीत साहनी से ज्यादा होशियार और एप्रोच
वाले हैं । जेके गौड़ कहते भी हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के
चुनाव में पिछले वर्ष सुधीर मंगला का समर्थन करके मंजीत साहनी ने उनका क्या
बिगाड़ लिया था ? एसपी मैनी को अपने साथ करके जेके गौड़ ने लगातार दूसरे
वर्ष मंजीत साहनी को मात दे दी है ।
रमेश अग्रवाल और उनकी टीम के लोग कल की काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में बिजनेस
संबंधी बेईमानियों के चक्कर में पुलिस, अदालत और लेनदारों से बचते-छिपते
फिर रहे असित मित्तल की उपस्थिति को भी संभव बनाने के प्रयासों में लगे हैं
। उन्हें पक्का विश्वास है कि असित मित्तल का वोट रमेश अग्रवाल को ही मिलेगा ।
रमेश अग्रवाल और उनकी टीम के लोगों ने सीओएल का चुनाव जीतने के लिए जिस तरह की व्यापक घेराबंदी की है, उसके चलते कल, 21 जनवरी को सीओएल के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए होने वाली काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग महत्वपूर्ण हो गई है । काउंसिल
ऑफ गवर्नर्स के कई सदस्य समय समय पर रमेश अग्रवाल की, मुकेश अरनेजा की,
विनय कुमार अग्रवाल की, असित मित्तल की और जेके गौड़ की लानत मलानत करते रहे
हैं - ऐसे में देखने की बात यह होगी कि जब फैसला करने का समय आता है तब
काउंसिल ऑफ गवर्नर्स के सदस्य अपने छोटे-मोटे मतभेदों को भुलाकर
डिस्ट्रिक्ट और रोटरी को बदनाम करने वाले लोगों के खिलाफ फैसला कर पाते हैं
या डिस्ट्रिक्ट को वैसे ही लोगों के हाथों में सौंप देते हैं ?