Thursday, January 16, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में नरेश गुप्ता के खिलाफ नेगेटिव वोटिंग की बढ़ती सुगबुगाहट के बने माहौल में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा की भूमिका महत्वपूर्ण हुई

नई दिल्ली । अब तो अजय बुद्धराज ने भी मानना और कहना शुरू कर दिया है कि नरेश गुप्ता के व्यवहार और तौर-तरीकों के कारण हरियाणा के लोगों के बीच नरेश गुप्ता का विरोध बढ़ता जा रहा है और नरेश गुप्ता इससे होने वाले नुकसान को पहचान नहीं पा रहे हैं । उल्लेखनीय है कि अजय बुद्धराज के कहने पर नरेश गुप्ता ने सिरसा के लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए सिरसा में तो मीटिंग की थी, लेकिन दूसरे कुछेक अन्य शहरों में उस तरह की मीटिंग करने के अजय बुद्धराज के प्रस्ताव को नरेश गुप्ता ने कोई तवज्जो नहीं दी । अजय बुद्धराज दरअसल इसी बात से भड़के हुए हैं । अजय बुद्धराज के लिए मुसीबत की बात यह हुई कि हरियाणा के कई एक लोगों से उन्होंने कहा हुआ है कि नरेश गुप्ता उनके यहाँ आयेंगे और उन्हें नरेश गुप्ता की मदद करनी है । अजय बुद्धराज ने जिन लोगों से यह कहा है वह लोग बेचारे नरेश गुप्ता का इंतजार ही कर रहे हैं । नरेश गुप्ता ने उनके यहाँ जाना तो दूर, उन्हें फोन करने तक का कष्ट नहीं किया । उन्होंने अजय बुद्धराज से शिकायत की कि वह उन्हें ऐसे व्यक्ति की मदद करने के लिए क्यों कह रहे हैं, जिसे मदद की जरूरत ही नहीं है ।
नरेश गुप्ता की मुश्किल यह है कि सत्ता खेमे के लोगों के बीच पहले से ही उन्हें विरोधी खेमे के नेताओ के नजदीक देखा/पहचाना जा रहा है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा के खिलाफ की गई नरेश गुप्ता की बयानबाजी को मुद्दा बना कर हरियाणा के लोगों ने नरेश गुप्ता को सबक सिखाने की तैयारी करना शुरू भी कर दिया है । मजे की बात यह हुई कि नरेश गुप्ता ने यह सफाई भी देने की कोशिश की कि उन्होंने विजय शिरोहा के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा व उनके समर्थकों के बीच उन्हें बदनाम करने के लिए कुछेक लोगों ने इस तरह की झूठी बातें फैलाई हैं । नरेश गुप्ता की इस सफाई पर किसी ने भी भरोसा नहीं किया तो इसका कारण यही रहा कि नरेश गुप्ता के बयान उन नेताओं के जरिये ही सामने आये हैं, जिन्हें नरेश गुप्ता तवज्जो देते हुए पहचाने जाते हैं । इसके अलावा, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा की प्रेरणा और उनके प्रोत्साहन से हरियाणा के विभिन्न क्लब्स ने 'सड़क सुरक्षा सप्ताह' प्रोजेक्ट को लेकर जो आयोजन किये, नरेश गुप्ता उनसे प्रायः दूर ही रहे । हरियाणा के कुछेक क्लब्स ने अपने अपने प्रोजेक्ट्स में नरेश गुप्ता को सम्मान के विभिन्न रूपों में आमंत्रित भी किया, किंतु नरेश गुप्ता ने उनके निमंत्रणों को कोई अहमियत ही नहीं दी । नरेश गुप्ता के इस रवैये से समझा यही गया कि 'सड़क सुरक्षा सप्ताह' के तहत हुए आयोजनों की सफलता से चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा की तारीफ होगी और विजय शिरोहा का ही मान बढ़ेगा, इसलिए नरेश गुप्ता किसी भी प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं बने ।
नरेश गुप्ता के खैरख्वाह बनने/दिखने वाले नेता ही बताते और दावा करते हैं कि उन्हें तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा की हर बात नरेश गुप्ता के जरिये पता चल जाती है । ऐसा कई बार देखा/पाया भी गया है कि विजय शिरोहा द्धारा की गई कोई बात या उनके द्धारा उठाये गए किसी भी कदम की जानकारी तुरंत ही विरोधी खेमे के नेताओं तक पहुँच जाती है । इसके लिए नरेश गुप्ता को ही जिम्मेदार माना/पहचाना गया है । नरेश गुप्ता ने खुद कई बार अलग-अलग लोगों से इस बात का रोना रोया है कि कुछेक नेताओं ने तो उन्हें अपना जासूस समझा हुआ है और वे चाहते हैं कि डिस्ट्रिक्ट आयोजनों की और/या डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के साथ हो रही मीटिंग की पल-पल की खबर वह उन्हें देते रहें । इस तरह का रोना रोते रहने के बावजूद नरेश गुप्ता को प्रायः विरोधी खेमे के नेताओं की कठपुतली बने हुए ही देखा गया है । इसीलिये सत्ता खेमे के लोगों के बीच नरेश गुप्ता के लिए विरोध का भाव बढ़ता ही जा रहा है ।
नरेश गुप्ता और उनके खैरख्वाह नेताओं को इसका आभास भी है और अपने तरीके से वह विरोध की हवा निकालने की कोशिश भी करते रहे हैं । इसी सिलसिले में नरेश गुप्ता ने केएल खट्टर से अभयदान लेने का प्रयास किया । केएल खट्टर ने उन्हें निश्चिंत रहने का आश्वासन भी दे दिया । नरेश गुप्ता ने खुशी खुशी यह बात अजय बुद्धराज को बताई तो अजय बुद्धराज बिफर गए; उन्होंने नरेश गुप्ता को समझाया कि केएल खट्टर की बात पर भरोसा मत करना । अजय बुद्धराज ने अपने अनुभव का वास्ता देकर नरेश गुप्ता को सावधान किया कि केएल खट्टर जो कहते हैं, करते उसका उल्टा हैं । अजय बुद्धराज के अनुसार, केएल खट्टर ने नरेश गुप्ता को यदि निश्चिंत रहने का आश्वासन दिया है तो नरेश गुप्ता को समझ लेना चाहिए कि उन्हें निश्चिंत नहीं रहना है । इसी 'शिक्षा' के साथ अजय बुद्धराज ने नरेश गुप्ता को पहले सिरसा में और फिर बाद में हरियाणा के दूसरे शहरों में मीटिंग करने के जरिये लोगों से मेल-मुलाकात करने का सुझाव दिया - सुझाव क्या दिया, उनका प्रोग्राम ही बनवा दिया था; जिस पर लेकिन नरेश गुप्ता ने कोई अमल नहीं किया ।
सिरसा में मीटिंग करके नरेश गुप्ता को दरअसल तगड़ा वाला झटका लगा । तगड़ा वाला झटका इसलिए क्योंकि उक्त मीटिंग का खर्चा उन्हें देना पड़ा । सिरसा में जेब हल्की करवा कर लौटे नरेश गुप्ता ने अजय बुद्धराज को खूब कोसा और तय किया कि अजय बुद्धराज ने हरियाणा के दूसरे शहरों में मीटिंग करने का जो सुझाव उन्हें दिया हुआ है, वह उस पर अमल नहीं करेंगे । नरेश गुप्ता के इस रवैये से उनके अपने खेमे के लोग भी खफा हो गए हैं । नरेश गुप्ता ने अपने व्यवहार से जिस तरह डिस्ट्रिक्ट में अधिकतर लोगों को अपने खिलाफ कर लिया है, उसके चलते नरेश गुप्ता के खिलाफ नेगेटिव वोटिंग होने को लेकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा की भूमिका महत्वपूर्ण हो उठी है । विजय शिरोहा ने जिस तरह एक झटके में विक्रम शर्मा और आरके शाह की स्थितियों को बदल दिया है, उसे देखते/पहचानते हुए नरेश गुप्ता के मामले में भी विजय शिरोहा का फैसला ही निर्णायक होगा ।