Monday, January 27, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में सत्ता खेमे में फूट करवाने के उद्देश्य से चली चाल में अजय बुद्धराज ने सत्ता खेमे के दिल्ली के नेताओं को फाँसने की कोशिश की है क्या ?

नई दिल्ली । अजय बुद्धराज ने आरके शाह को 'सर्वसम्मति' से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'चुनवाने' के लिए फार्मूले खोजने का जो अभियान छेड़ा है, उसे कुछ लोग उनके समर्पण के रूप में देख रहे हैं तो अन्य कुछेक लोगों को इसमें उनकी 'चाल' नजर आ रही है । जो लोग उनके अभियान को उनके समर्पण के रूप में देख रहे हैं, उनका मानना और कहना है कि अजय बुद्धराज ने चूँकि समझ लिया है कि उनके उम्मीदवार विक्रम शर्मा के लिए जीतने की कहीं कोई संभावना नहीं है, इसलिए वह अपनी इज्जत बचाने के लिए आरके शाह के समर्थन में आने का कोई सम्मानजनक मौका खोज रहे हैं । नेता लोग हारने वाले उम्मीदवार के साथ नहीं खड़े दिखना चाहते हैं, इसलिए अजय बुद्धराज का ऐसा सोचना/करना स्वाभाविक ही है । लेकिन जो लोग अजय बुद्धराज के अभियान को उनकी चाल के रूप में देख रहे हैं, उनका मानना और कहना है कि अजय बुद्धराज ने अपने अभियान को जिस अंदाज में प्रस्तुत किया है उसमें चालाकी वाले तत्व छिपे पहचाने जा सकते हैं और ऐसा लगता है जैसे अपने इस अभियान के जरिये वह सत्ता खेमे में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं । अजय बुद्धराज द्धारा अचानक शुरू किये गए अभियान को उनका समर्पण इसलिए नहीं माना जा सकता, क्योंकि समर्पण भी एक तरह से पराजय वाला ही संकेत देगा ।
गौर करने की बात यह है कि अजय बुद्धराज ने अपना अभियान अचानक से ऐसे समय शुरू किया जबकि विक्रम शर्मा की उम्मीदवारी को लेकर परस्पर विरोधी ख़बरें लोगों को मिल रही हैं । एक तरफ तो सुनने को मिल रहा है कि विक्रम शर्मा ने अपने समर्थक नेताओं को बता दिया है कि चुनाव की जरूरतें पूरी करने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं; और कि विक्रम शर्मा ने बाजार से पैसे लेने की जो कोशिश की उसमें वह सफल नहीं हो सके हैं; और कि विक्रम शर्मा ने अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने का फैसला कर लिया है; आदि-इत्यादि । दूसरी तरफ लेकिन लोगों को यह भी सुनने को मिल रहा है कि विक्रम शर्मा ने एक बड़े होटल में लोगों के ठहरने के लिए कमरे बुक किये हैं तथा वह अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन जुटाने वास्ते लगातार लोगों से मिलजुल भी रहे हैं । जिन लोगों को इस बात का पक्का भरोसा है कि विक्रम शर्मा के लिए किसी भी तरह से कहीं कोई उम्मीद नहीं है, उनके लिए हैरानी की बात यही है कि विक्रम शर्मा आखिर किस भरोसे अभी भी अपना समय, अपनी एनर्जी और अपना पैसा खर्च कर रहे हैं ? जिन लोगों के पास यह सवाल है, उनके पास इसका जबाव भी है और वह यह कि विक्रम शर्मा के समर्थक नेता तरह-तरह से झाँसा देकर उनकी उम्मीद बनाये हुए हैं और विक्रम शर्मा को विश्वास दिलाये हुए हैं कि लगे रहोगे तो चमत्कार हो जायेगा ।
अजय बुद्धराज के अभियान में कुछेक लोगों को वही चमत्कार घटित करने/कराने का षड्यंत्र महसूस हो रहा है । अजय बुद्धराज के नजदीकी एक बड़े नेता का इन पँक्तियों के लेखक से साफ कहना है कि अजय बुद्धराज को उम्मीद है कि वह सत्ता खेमे के दिल्ली के नेताओं और हरियाणा के नेताओं - खास तौर से विजय शिरोहा के बीच फूट डलवा/करवा देंगे । उक्त बड़े नेता के अनुसार, अजय बुद्धराज ने महसूस किया है कि आरके शाह की उम्मीदवारी के तय होने तथा आरके शाह की उम्मीदवारी को बढ़त मिलने का श्रेय जिस तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को मिल रहा है और डिस्ट्रिक्ट में विजय शिरोहा की जिस तरह की राजनीतिक धाक बनी है - वह सब सत्ता खेमे के दिल्ली के नेताओं को हजम नहीं हो रहा है । अजय बुद्धराज अपने नजदीकियों को बता रहे हैं कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार चुनने को लेकर पर्दे के पीछे जो राजनीति हुई उसमें सत्ता खेमे के दिल्ली के नेता अपने आप को उपेक्षित और पृष्ठभूमि में पा रहे हैं और महसूस कर रहे हैं कि उनका इस्तेमाल हुआ है । जो हुआ उसका सारा फायदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को मिला और डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने विजय शिरोहा के राजनीतिक कौशल को उसका श्रेय दिया । पक्ष-विपक्ष के दूसरे नेताओं को यह अच्छा न लगे - यह बहुत स्वाभाविक है ।
अजय बुद्धराज ने इसी स्वाभाविक-सी बात को इस्तेमाल करके चाल चली है - उन्हें पता है कि उनके अभियान को विजय शिरोहा स्वीकार नहीं करेंगे । विजय शिरोहा ने खुलेआम राकेश त्रेहन और हर्ष बंसल को लेकर अपने रिजर्वेशन घोषित किये हुए हैं । अजय बुद्धराज के नजदीकी बड़े नेता के अनुसार अजय बुद्धराज को इस बात का भी आभास है कि सत्ता खेमे के दिल्ली के नेता उनके अभियान के प्रति दो कारणों से तुरंत सहमति व्यक्त कर देंगे - एक कारण तो यह कि अजय बुद्धराज का अभियान दिल्ली में उनकी स्थिति को सुढृढ़ करेगा तथा हरियाणा के नेताओं पर उनकी निर्भरता को कम करेगा; दूसरा कारण यह कि अजय बुद्धराज का अभियान डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में बनी विजय शिरोहा की एकछत्र स्थिति को कमजोर करेगा । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के प्रमुख खिलाड़ियों के आपसी संबंधों तथा उनके 'लक्ष्यों' को समझने वाले लोगों का मानना और कहना है कि अजय बुद्धराज का सत्ता खेमे के दिल्ली के नेताओं के बारे में आकलन और महसूसना चाहें जितना भी सच हो, इस बात की उम्मीद कम ही है कि सत्ता खेमे के दिल्ली के नेता अजय बुद्धराज के झाँसे में जल्दी से आयेंगे । सत्ता खेमे के दिल्ली के नेताओं में अत्यंत सक्रिय दीपक टुटेजा संभवतः इस बात को भूले नहीं होंगे कि पिछले लायन वर्ष में भारी उठा-पटक के बीच जो रीग्रुपिंग हुई थी, उसके पीछे असल उद्देश्य अजय बुद्धराज का दीपक टुटेजा को ठिकाने लगाने का था । यह सच है कि लायन राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी ज्यादा दिन नहीं चलती है - लेकिन फिर भी अभी जो हालात हैं उनमें यह संभावना कम है कि अजय बुद्धराज की चाल से एक बार अलग-थलग पड़ने की कगार पर पहुँचे लोग दोबारा जल्दी से अजय बुद्धराज की चाल में फँसेंगे । इस तरह, अजय बुद्धराज की चाल के सफल होने की संभावना भले ही न के बराबर हो - लेकिन उनकी चाल ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों के बीच गर्मी तो पैदा कर ही दी है ।