Tuesday, January 7, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में राकेश त्रेहन के साथ हुई विक्रम शर्मा की मेल-मुलाकात पर सत्ता खेमे के नेताओं के बिफरने के चलते सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार चुनने का काम और विकट हो गया है

नई दिल्ली । विक्रम शर्मा की विरोधी खेमे के नेताओं - खासकर राकेश त्रेहन के साथ हुई मेल-मुलाकातों की खबरें मिलने के बाद सत्ता खेमे के नेताओं के बीच सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उनकी उम्मीदवारी के पक्ष में बनते दिख रहे समर्थन को लेकर विवाद पैदा हो गया है । मजे की बात यह हुई है कि सत्ता खेमे के नेताओं के बीच पैदा हुए इस विवाद को भड़काने में विरोधी खेमे के नेताओं का - खासतौर से राकेश त्रेहन का हाथ माना/पहचाना जा रहा है । उल्लेखनीय है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार तय करने को लेकर जो परिस्थितियाँ बनीं, उसमें विक्रम शर्मा के नंबर पिछले दिनों अचानक से बढ़े हुए नजर आये थे । विक्रम शर्मा को हालाँकि विरोधी खेमे के नेताओं के नजदीक पहचाना जाता रहा था, लेकिन पिछले कुछ दिनों में विक्रम शर्मा ने विरोधी खेमे के नेताओं के साथ संबंध ख़त्म करके सत्ता खेमे के नेताओं के साथ संबंध बना लिए थे । सत्ता खेमे में उन्हें हालाँकि अभी तक भी पूरी तरह स्वीकार नहीं किया जा सका है - सत्ता खेमे के दिल्ली के नेताओं के बीच उनकी प्रतिबद्धता को लेकर शक/संदेह अभी भी बना हुआ है; लेकिन फिर भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा के यहाँ पैठ बना कर उन्होंने सत्ता खेमे में अपनी स्थिति अपेक्षाकृत रूप से अच्छी बना ली थी । दरअसल जो स्थितियाँ बनीं, विक्रम शर्मा को उसका फायदा मिलता हुआ दिख रहा था ।
लेकिन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश त्रेहन के साथ हाल ही में हुईं मेल-मुलाकातों की ख़बरें मिलने के बाद विक्रम शर्मा की स्थिति सत्ता खेमे में फिर संदेहपूर्ण हो उठी हैं । सत्ता खेमे में एक विजय शिरोहा ही विक्रम शर्मा की उम्मीदवारी के पैरोकार हो सकते थे, लेकिन राकेश त्रेहन के साथ हुईं उनकी मेल-मुलाकातों की ख़बरों ने विजय शिरोहा के मन में भी शक/संदेह के बीज डाल दिए हैं । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि विक्रम शर्मा को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित करने का काम राकेश त्रेहन ने ही किया था । किंतु जल्दी ही विक्रम शर्मा ने समझ लिया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा की मदद मिले बिना डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने का उनका सपना पूरा नहीं होगा - लिहाजा विक्रम शर्मा ने विजय शिरोहा के साथ नजदीकी बनाने का काम शुरू किया । इस काम में उन्हें निरंतर सफलता भी मिलती गई । विजय शिरोहा के साथ बनी नजदीकी का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए विक्रम शर्मा ने इस बात को भी समझ लिया कि उन्हें विरोधी खेमे के नेताओं से - विशेषकर राकेश त्रेहन के साथ दूरी बनानी - सिर्फ बनानी ही नहीं, बल्कि 'दिखानी' भी पड़ेगी । विक्रम शर्मा ने इस 'काम' को करने में काफी देर तो कर दी, लेकिन फिर भी उन्होंने इसे कर लिया । विक्रम शर्मा चूँकि विरोधी खेमे के नेताओं का साथ छोड़ कर पूरी तरह से सत्ता खेमे के नेताओं की शरण में आ गए थे, इसलिए सत्ता खेमे की तरफ से उनकी उम्मीदवारी को हरी झंडी मिलने की संभावना भी बनती दिखने लगी थी ।
यह संभावना लेकिन राकेश त्रेहन से जिस मेल-मुलाकात के कारण खतरे में पड़ी दिखाई दे रही है - उसे लेकर यह विवाद भी शुरू हो गया है कि उक्त मेल मुलाकात विक्रम शर्मा की पहल पर हुई या उसे विक्रम शर्मा का खेल बिगाड़ने के उद्देश्य से राकेश त्रेहन ने अंजाम दिया ? कुछेक लोगों को लगता है कि विक्रम शर्मा राजनीति की 'नजाकत' को नहीं समझ रहे हैं और 'राजनीतिक नासमझी' में राकेश त्रेहन से मिल बैठे और अपनी उम्मीदवारी के लिए खतरा पैदा कर लिया । अन्य कुछेक लोग इसमें लेकिन राकेश त्रेहन की चाल देख रहे हैं । राकेश त्रेहन जानते/समझते हैं कि उनकी और विक्रम शर्मा की मेल-मुलाकात की ख़बरें मिलेंगी तो विजय शिरोहा भड़केंगे और तब विक्रम शर्मा का खेल बिगड़ेगा । कुछेक लोगों को लगता है कि राकेश त्रेहन अभी भी ओंकार सिंह के लिए 'रास्ता' बनाने की ताक में हैं, और इसके लिए उन्हें विक्रम शर्मा को 'गिराना' जरूरी लगता है । 'चित भी मेरी और पट भी मेरी' वाले स्टाइल में राकेश त्रेहन की चाल में यह भी मौका रहा कि विक्रम शर्मा यदि नहीं 'गिरते' हैं तो राकेश त्रेहन भी उनके 'बनने' का श्रेय ले लेंगे ।
विरोधी खेमे के नेताओं को एक और भी चिंता सता रही है - वह चिंता यह कि यदि चुनाव की स्थितियाँ नहीं बनीं तो उनके जो फर्जी किस्म के क्लब्स और वोट हैं उनके ड्यूज का पैसा नहीं मिल पायेगा और उन्हें उन क्लब्स और वोटों से हाथ धोना पड़ जायेगा । ऐसा होने पर उनकी तो राजनीति ही चौपट हो जायेगी । राकेश त्रेहन और विक्रम शर्मा के बीच हुई मेल-मुलाकात को इस नजरिये से भी देखा जा रहा है । इसलिए भी राकेश त्रेहन के साथ हुई विक्रम शर्मा की मेल-मुलाकात पर सत्ता खेमे के लोग बिफरे हुए हैं । विक्रम शर्मा की उम्मीदवारी के प्रति सत्ता खेमे के नेताओं के बिफरने के चलते सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार चुनने का काम और विकट हो गया है ।