नई दिल्ली । विक्रम शर्मा और उन्हें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार बनाने की मुहिम में जुटने वाले नेताओं के बीच झगड़ा पैदा हो गया है, जिसके चलते नेताओं ने एक दूसरे उम्मीदवार पीएस राठी को उम्मीदवार बनाने की तैयारी शुरू कर दी है ।
लायंस क्लब दिल्ली कृष्णा के पीएस राठी बेचारे भले व्यक्ति हैं - विक्रम
शर्मा की उम्मीदवारी से चार दिनों में ही निराश हो चुके नेता जिनमें
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की लालसा जगा देने में तो कामयाब हो गए हैं,
लेकिन जिन्हें कम समय में जिता देने का भरोसा दे पाने में वह सफल नहीं हो
पाये हैं । विक्रम शर्मा को छोड़ कर पीएस राठी की उम्मीदवारी का झंडा
थामने की तैयारी करने वाले नेता इसीलिए इस जुगाड़ में लग गए हैं कि कैसे भी
करके डिस्ट्रिक्ट कॉन्फरेंस का मौजूदा शिड्यूल स्थगित हो जाये और
डिस्ट्रिक्ट कॉन्फरेंस आगे बढ़ जाये, ताकि उन्हें पीएस राठी की उम्मीदवारी
की तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाये ।
विक्रम शर्मा को उम्मीदवार बनाने वाले और चार दिन बाद ही अब उनके समर्थन से पीछे हटते दिख रहे नेता लायंस
इंटरनेशनल को चिट्ठी लिख कर डिस्ट्रिक्ट कॉन्फरेंस में अडंगा डालने का जो
प्रयास कर रहे हैं, उसके पीछे यही कारण देखा/पहचाना जा रहा है कि विक्रम
शर्मा की पराजय को उन्होंने स्वीकार कर लिया है और अब वह एक नए उम्मीदवार के साथ आना चाहते हैं और उसके लिए समय चाहते हैं ।
विक्रम शर्मा और उनकी उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं के बीच
आरोपों-प्रत्यारोपों का जो नजारा देखा/सुना जा रहा है, उसने पूरे मामले को
खासा दिलचस्प बना दिया है । विक्रम शर्मा का आरोप हैं कि डिस्ट्रिक्ट
की चुनावी राजनीति के एक खेमे के नेताओं ने उन्हें उम्मीदवार तो बना दिया
है, लेकिन उनकी मदद कोई भी नहीं कर रहा है और सभी नेता अपने अपने तरीके से
उनसे पैसा ऐंठने के प्रयासों में लगे हैं । नेताओं का आरोप यह है कि
विक्रम शर्मा की उम्मीदवारी को हरी झंडी देने से पहले उन्हें सारा हिसाब
बता दिया गया था और विक्रम शर्मा द्धारा सभी खर्चे करने की स्वीकृति देने
के बाद ही उनकी उम्मीदवारी को हरी झंडी दी गई थी, लेकिन अब विक्रम शर्मा
पैसा खर्च करने में आनाकानी कर रहे हैं, जिसके चलते उनके समर्थन में किये
जाने वाले काम प्रभावित हो रहे हैं ।
विक्रम शर्मा के पास इसका बड़ा तर्क संगत जबाव है - उनका कहना है
कि उनकी उम्मीदवारी को हरी झंडी देने से पहले उनके और नेताओं के बीच जो
बातचीत हुई थी, उन्होंने तो उसके अनुसार काम किया, लेकिन नेताओं ने अपने
हिस्से की जिम्मेदारी नहीं निभाई है । विक्रम शर्मा के अनुसार, उनकी उम्मीदवारी को हरी झंडी मिलते ही उन्होंने एक मोटी रकम नेताओं को सौंप दी थी, जिस रकम को अजय बुद्धराज और हर्ष बंसल ने हथिया लिया और उस रकम को अपने अपने क्लब्स के ड्यूज जमा कराने में खर्च कर दिया ।
दूसरे नेताओं को जब इस बात का पता चला तो वह भड़क गए कि उनके क्लब्स के
ड्यूज क्यों नहीं जमा करवाये गए । भड़के हुए नेताओं का मुँह बंद करने के लिए
अजय बुद्धराज और हर्ष बंसल ने उनसे और पैसे मांगने शुरू कर दिए । विक्रम
शर्मा का कहना है कि उन्होंने जब सारा हिसाब समझ कर अपनी उम्मीदवारी
प्रस्तुत करने की तैयारी की है, तो जाहिर है कि वह पैसे खर्च करने के लिए
तैयार हैं और पैसे खर्च करेंगे; किंतु नेताओं को भी तो अपनी सक्रियता से यह
दिखाना/बताना चाहिए कि वह पैसे 'लेने' के अलावा भी कुछ और करेंगे ।
विक्रम शर्मा की उम्मीदवारी के समर्थन में भिवानी में हुई मीटिंग में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता के न पहुँचने से विक्रम शर्मा को समझ में आ गया कि उन्हें उम्मीदवार बनाने वाले नेताओं की दिलचस्पी सिर्फ उनसे पैसा बसूलने में है; इसके साथ ही विक्रम शर्मा ने पैसा देने से हाथ खींच लिया । नेता लोग इस बात से भड़क गए और उन्होंने विक्रम शर्मा की बजाये पीएस राठी को उम्मीदवार बनाने की तैयारी शुरू कर दी ।
नेताओं ने सब्जबाग दिखाया तो पीएस राठी के मन में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने
का ख्वाब तो जाग गया, किंतु वह अभी इस बारे में आश्वस्त नहीं हो पाये हैं
कि जो नेता उन्हें सब्जबाग दिखा रहे हैं, वह उन्हें जिता ही देंगे; इसलिए
पीएस राठी अपनी उम्मीदवारी को लेकर ज्यादा आगे नहीं बढ़े हैं । उन्हें
सब्जबाग दिखा रहे नेताओं को लेकिन यह जरूर लग रहा है कि यदि उन्हें थोड़ा
समय मिल जाये तो फिर वह पीएस राठी को जीतने का भरोसा भी दिला देंगे ।
पीएस राठी की उम्मीदवारी को कुछ लोग हालाँकि विक्रम शर्मा पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में भी देख रहे हैं । विक्रम
शर्मा से पैसे ऐंठने में परेशानी अनुभव कर रहे नेताओं को लग रहा है कि
पीएस राठी की उम्मीदवारी का भय दिखा कर वह विक्रम शर्मा की जेब ढीली करवाने
में सफलता प्राप्त कर लेंगे । नेता लोग भी जान रहे हैं कि विक्रम
शर्मा की उम्मीदवारी का कुछ होना/जाना नहीं है और आरके शाह को सेकेंड वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जाने से अब कोई चमत्कार ही रोक सकता है; इसलिए
विक्रम शर्मा से बाकी बचे पैसे ऐंठने के लिए उन्हें कुछ न कुछ हरकत करते
रहना जरूरी लग रहा है - जिससे विक्रम शर्मा के मन में डर और/या उम्मीद बनी
रहे और वह बाकी बचे पैसे भी 'अपने' नेताओं को दे दें ।