Sunday, March 5, 2017

लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में लायन लीडर के रूप में मुकेश गोयल की सक्रियता व उपलब्धियों को देखते हुए फ्रांस की प्रतिष्ठित सोर्बोन यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित करते हुए खुद को गौरवान्वित महसूस किया

नई दिल्ली । नई दिल्ली के पार्क होटल में आयोजित एक कार्यक्रम में कुछेक राजदूतों और देश भर से आए विभिन्न पेशों से जुड़े प्रबुद्ध लोगों की उपस्थिति में फ्रांस की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी - सोर्बोन यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डॉक्टर जॉन थॉमस ने जब लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश गोयल को डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया, तो लायंस इंटरनेशनल के गौरवशाली सौ वर्षों के इतिहास में एक नया अध्याय और जुड़ा । मुकेश गोयल पहले और अकेले पूर्व गवर्नर हैं, जिन्हें फ्रांस ही नहीं बल्कि विश्व की उक्त प्रमुख यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की उपाधि के लिए चुना । यह यूनिवर्सिटी प्रत्येक वर्ष दुनिया के विभिन्न देशों में जनहित के कामों में लीडरशिप क्वालिटी के साथ निर्णायक व महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली विभूतियों की पहचान करती है, और उन्हें सम्मानित करती है । नई दिल्ली के पार्क होटल में आयोजित कार्यक्रम में भारत के विभिन्न शहरों से चुने गए 43 लोगों को सम्मानित किया गया । इस कार्यक्रम में तथा इससे पहले के कार्यक्रमों में सम्मानित होने वाले लोगों में लायंस इंटरनेशनल के पदाधिकारियों में अकेले मुकेश गोयल का नाम है । यह तथ्य मुकेश गोयल के लिए तो खास और गर्व करने योग्य होगा ही, डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के लिए और लायंस इंटरनेशनल के लिए भी खास व गर्व करने योग्य है ।
सोर्बोन यूनिवर्सिटी फ्रांस की ही नहीं, बल्कि दुनिया की एक ऐसी बड़ी और बर्ल्ड-क्लास यूनिवर्सिटी है, जिसमें शिक्षा और ज्ञान की प्रत्येक धारा में उच्चस्तरीय पढ़ाई होने के साथ साथ शोध कार्यों को प्रोत्साहित किया जाता है । विज्ञान, मेडिसिन, इंजीनियरिंग, मानविकी, सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, कानून, मास मीडिया आदि विषयों में प्रतिभाओं को सामने लाने का तथा अपने अपने क्षेत्रों में उन्हें और योग्यता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करने का विलक्षण काम इस यूनिवर्सिटी ने किया है । यूनिवर्सिटी में 20 डिपार्टमेंट हैं, और इसके पेरिस में ही 12 कैम्पस हैं । उच्च शिक्षा में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यहाँ हर तरह की एकेडमिक व व्यवस्था संबंधी सुविधा है, और यही कारण है कि इस यूनिवर्सिटी ने दुनिया के तमाम देशों की युवा प्रतिभाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है । सोर्बोन यूनिवर्सिटी का एक अनोखा कार्यक्रम विभिन्न देशों में अलग अलग क्षेत्रों में ऐसे कामयाब लोगों की पहचान करना तथा उन्हें सम्मानित करना है, जिन्होंने अपने अपने क्षेत्रों में सफलता तो पाई ही है - साथ ही साथ अपने अपने काम को निरंतरता के साथ लीडरशिप का आयाम भी दिया है, और दूसरे लोगों को भी प्रेरित व प्रोत्साहित किया है ।
सोर्बोन यूनिवर्सिटी की टीम ने मुकेश गोयल को सामाजिक क्षेत्र में अपनी लीडरशिप की निरंतरता को बनाए रखने का ऐतिहासिक काम करने के लिए पहचाना और दिल्ली में आयोजित कन्वोकेशन में उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा । जैसा कि इसी रिपोर्ट में पहले बताया जा चुका है कि मुकेश गोयल लायंस इंटरनेशनल के पहले और अकेले पदाधिकारी हैं, जिन्हें इस उपाधि के लिए चुना गया है । इस तथ्य को यहाँ फिर से दोहराने का उद्देश्य इस तथ्य को वास्तविक व संपूर्ण फलक पर देखना है, जो यह है कि हजारों पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स - जिनमें कई इंटरनेशनल डायरेक्टर्स व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट्स भी बने - के बीच सोर्बोन यूनिवर्सिटी ने मुकेश गोयल को डॉक्टरेट उपाधि के लिए चुना । सोर्बोन यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट जॉन थॉमस ने खुद से मुकेश गोयल को उपाधि से नवाजते हुए कहा कि मुकेश गोयल के जीवन संघर्ष तथा एक लायन लीडर के रूप में उनकी सक्रियता व जीवटता तथा उनकी उपलब्धियों ने उन्हें आकर्षित और प्रेरित किया है । उन्होंने कहा कि विलक्षण व्यक्तित्व के मुकेश गोयल को डॉक्टरेट की उपाधि के लिए चुनते हुए सोर्बोन यूनिवर्सिटी खुद को गौरवान्वित महसूस करती है ।
लायन लीडर के रूप में मुकेश गोयल की उपलब्धियों ने फ्रांस की ही नहीं, बल्कि दुनिया की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के पदाधिकारियों का ध्यान खींचा है, तो यह लायन लीडर के रूप में मुकेश गोयल की उपलब्धियों की एक बड़ी स्वीकार्यता की सच्चाई को सामने लाता है । लायन लीडर के रूप में मुकेश गोयल की संगठनात्मक सफलता का मुकाबला शायद ही कोई दूसरा लायन लीडर कर पाए । डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में जिसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनना होता है, उसके लिए मुकेश गोयल का आशीर्वाद और समर्थन लेना जरूरी होता है । जिन कुछेक लोगों ने मुकेश गोयल की छाया में आए बिना गवर्नर बनने की कोशिश की भी, उन्हें भी ठोकर खाने के बाद अंततः मुकेश गोयल की शरण में आने के लिए मजबूर होना ही पड़ा । मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी आज भले ही मुकेश गोयल के साथ बदतमीजी से पेश आ रहे हों, लेकिन गवर्नर बनने के लिए उन्हें भी मुकेश गोयल की खुशामद करना पड़ी थी । शिव कुमार चौधरी ने पहली बार सुनील निगम के खिलाफ चुनाव लड़ा था, और बुरी तरह हारे थे । सुनील निगम खुद भी तीसरी/चौथी (या पाँचवी ?) बार में गवर्नर बने थे; शिव कुमार चौधरी जब उनसे भी चुनाव हार गए - और बुरी तरह हार गए, तब उन्होंने समझ लिया कि मुकेश गोयल की शरण में गए बिना तो वह जीवन में गवर्नर नहीं बन पायेंगे । और तब शिव कुमार चौधरी ने अपना रंग बदला और मुकेश गोयल का विरोध छोड़ कर उनका समर्थन पाने के लिए उनकी खुशामद शुरू की - और मुकेश गोयल के समर्थन के बाद ही वह गवर्नर बन सके ।
मुकेश गोयल को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दो/एक बार हालाँकि हार का सामना भी करना पड़ा है - लेकिन उन इक्का/दुक्का पराजयों ने उन्हें और और मजबूत बनाने का काम ही किया है । एक मशहूर हिंदी फिल्म का डायलॉग है - हार कर जीतने वाले को ही बाजीगर कहते हैं । मुकेश गोयल ने लायन राजनीति में इस डायलॉग को चरितार्थ किया है । लायन राजनीति में सचमुच उन्हें बाजीगर के रूप में ही देखा/पहचाना जाता है । उनकी सफलता की कहानी इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि उनकी सफलता से ईर्ष्या करने वाले उनके विरोधियों की संख्या भी कम नहीं है, जो हर समय और हर तिकड़म से उन्हें फेल करने के प्रयासों में लगे रहते हैं । इसलिए फ्रांस की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी सोर्बोन यूनिवर्सिटी से उन्हें मिली डॉक्टरेट की उपाधि उनके विरोधियों के लिए एक करारा तमाचा भी है ।