नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में इंस्टीट्यूट के पदाधिकारी के रूप में अनिल लाल की वापसी की आहट ने काउंसिल के स्टॉफ सदस्यों को एक बार फिर आंदोलित कर दिया है । उल्लेखनीय
है कि स्टॉफ सदस्यों की लगातार की जा रही शिकायतों के चलते ही अनिल लाल को
पिछली 13 जनवरी को नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल से पदमुक्त किया गया था ।
काउंसिल के पॉवर ग्रुप के प्रमुख सदस्य उन्हीं अनिल लाल की वापसी की जिस
तरह से कोशिशें कर रहे हैं, उसे जानने/सुनने के बाद काउंसिल के स्टॉफ
सदस्यों का गुस्सा भड़का हुआ है । स्टॉफ सदस्यों का आरोप है कि काउंसिल
चेयरमैन राकेश मक्कड़ और काउंसिल में उनके खास साथी नितिन कँवर, राजेंद्र
अरोड़ा और सुमित गर्ग आदि जिस तरह से अनिल लाल को वापस लाने का प्रयास कर
रहे हैं - उससे न सिर्फ एक बार फिर काउंसिल का माहौल बिगड़ेगा, बल्कि
काउंसिल का कामकाज भी बुरी तरह प्रभावित होगा । स्टॉफ सदस्यों का कहना
है कि उन्होंने अनिल लाल को हटाने के लिए खासी लड़ाई लड़ी है, और लड़ाई को
निरंतरता के साथ लड़ते हुए बड़ी मुश्किल से उन्हें हटाने/हटवाने में उन्होंने सफलता
पाई है - जिसे वह किसी भी हालत में व्यर्थ नहीं जाने देंगे ।
स्टॉफ सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद राकेश मक्कड़ और उनके संगी-साथी अनिल लाल की वापसी कराने को लेकर लेकिन जिस तरह से अड़े दिख रहे हैं, उसने इंस्टीट्यूट की प्रशासन व्यवस्था से जुड़े लोगों को हैरान किया हुआ है । किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल बना हुआ है कि काउंसिल के मुख्य पदाधिकारी(यों) के रूप में जिन लोगों को प्रोफेशन तथा उससे जुड़े लोगों के हितों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए - वह एक अधिकारी के ट्रांसफर-पोस्टिंग में आखिर क्यों इतनी दिलचस्पी ले रहे हैं ? वह भी तब जब, स्टॉफ सदस्यों की लगातार रहने वाली शिकायतों के कारण उसको हटाया गया था । उल्लेखनीय है कि अनिल लाल के अभद्र व्यवहार को लेकर स्टॉफ सदस्यों के गंभीर आरोप रहे हैं । स्टॉफ सदस्यों के आरोप रहे हैं कि अनिल लाल उनके साथ बहुत ही बदतमीजी के साथ पेश आते हैं और बात-बेबात उन्हें अपमानित करते रहते हैं । पिछली 17 दिसंबर को स्टॉफ-सदस्यों ने तत्कालीन कार्यकारी चेयरपरसन पूजा बंसल से मिलकर उन्हें हस्ताक्षरित ज्ञापन दिया जिसमें अनिल लाल के अभद्र व अशालीन व्यवहार का जिक्र करते हुए साफ कहा गया कि उनके लिए अनिल लाल के साथ काम करना संभव नहीं है । इसके बाद ही अनिल लाल की विदाई की तैयारी शुरू हो गई और अंततः 13 जनवरी को उनका ट्रांसफर आर्डर आ गया था ।
अनिल लाल की विदाई हालाँकि आसानी से नहीं हुई थी; उस समय अपने आप को नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का स्वयंभू मुखिया समझने और जताने वाले राकेश मक्कड़ तथा उनके साथियों ने अनिल लाल को बचाने की बहुत कोशिश की थी, किंतु अपने आप को तुर्रमखाँ समझने के बावजूद तब वह असफल रहे थे । राकेश मक्कड़ और उनके साथी अब जब सचमुच सत्ता में आ गए हैं, तो उन्हें लगता है कि अब वह अनिल लाल को वापस बुला सकते हैं । अनिल लाल की वापसी में इनके इतनी दिलचस्पी लेने से इंस्टीट्यूट प्रशासन के लोगों के कान खड़े हुए हैं । यह बात तो लोगों को समझ में आती है कि अनिल लाल के जरिए यह स्टॉफ-सदस्यों पर दबाव बनाए रखने का काम करते हैं और अनिल लाल इनकी हाँ में हाँ मिलाते हुए इनके खाने-पीने की व्यवस्था करवाते रहते हैं; लेकिन सिर्फ इस कारण से यह अनिल लाल की वापसी कराने की बदनामी मोल लेंगे - यह बात किसी को हजम नहीं हो रही है । लोगों को लगता है कि अनिल लाल के साथ राकेश मक्कड़ एंड टीम का यह 'रिश्ता' कुछ ज्यादा गहरा है ।
इस गहरे रिश्ते की पड़ताल की कोशिश इस तथ्य से सामना करवाती है कि अनिल लाल पिछले कुछेक वर्षों से नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सेमिनार्स के आयोजन का जिम्मा सँभाले हुए थे, जिसमें भारी झोल-झाल होने के आरोप लगते रहे हैं । आशंका है कि अनिल लाल ने राकेश मक्कड़ और उनकी टीम के लोगों को उस झोल-झाल में से हिस्सा देना शुरू कर दिया था, जिसके चलते वह राकेश मक्कड़ एंड टीम के चहेते बन गए । स्टॉफ-सदस्यों की शिकायत के चलते अनिल लाल से सेमिनार्स करवाने की जिम्मेदारी भी छिन गई थी, जिसके कारण राकेश मक्कड़ एंड टीम के सदस्यों के ऊपरी खर्चों की व्यवस्था पर भी रोक लग गई । समझा जाता है कि अनिल लाल की वापसी करवा कर वह उस 'व्यवस्था' को फिर से चालू करवाना चाहते हैं - और इसीलिए स्टॉफ-सदस्यों के विरोध के बावजूद अनिल लाल को नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में वापस लाने के लिए राकेश मक्कड़ एंड टीम के सदस्यों ने अपने प्रयासों में तेजी ला दी है । अनिल लाल की वापसी का विरोध करने के लिए काउंसिल के स्टॉफ-सदस्यों ने भी चूँकि कमर कस ली है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि रीजनल काउंसिल में टकरावपूर्ण दिलचस्प नजारे देखने को मिल सकेंगे ।
अनिल लाल के खिलाफ स्टॉफ-सदस्यों का शिकायती पत्र :
स्टॉफ सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद राकेश मक्कड़ और उनके संगी-साथी अनिल लाल की वापसी कराने को लेकर लेकिन जिस तरह से अड़े दिख रहे हैं, उसने इंस्टीट्यूट की प्रशासन व्यवस्था से जुड़े लोगों को हैरान किया हुआ है । किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल बना हुआ है कि काउंसिल के मुख्य पदाधिकारी(यों) के रूप में जिन लोगों को प्रोफेशन तथा उससे जुड़े लोगों के हितों से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए - वह एक अधिकारी के ट्रांसफर-पोस्टिंग में आखिर क्यों इतनी दिलचस्पी ले रहे हैं ? वह भी तब जब, स्टॉफ सदस्यों की लगातार रहने वाली शिकायतों के कारण उसको हटाया गया था । उल्लेखनीय है कि अनिल लाल के अभद्र व्यवहार को लेकर स्टॉफ सदस्यों के गंभीर आरोप रहे हैं । स्टॉफ सदस्यों के आरोप रहे हैं कि अनिल लाल उनके साथ बहुत ही बदतमीजी के साथ पेश आते हैं और बात-बेबात उन्हें अपमानित करते रहते हैं । पिछली 17 दिसंबर को स्टॉफ-सदस्यों ने तत्कालीन कार्यकारी चेयरपरसन पूजा बंसल से मिलकर उन्हें हस्ताक्षरित ज्ञापन दिया जिसमें अनिल लाल के अभद्र व अशालीन व्यवहार का जिक्र करते हुए साफ कहा गया कि उनके लिए अनिल लाल के साथ काम करना संभव नहीं है । इसके बाद ही अनिल लाल की विदाई की तैयारी शुरू हो गई और अंततः 13 जनवरी को उनका ट्रांसफर आर्डर आ गया था ।
अनिल लाल की विदाई हालाँकि आसानी से नहीं हुई थी; उस समय अपने आप को नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का स्वयंभू मुखिया समझने और जताने वाले राकेश मक्कड़ तथा उनके साथियों ने अनिल लाल को बचाने की बहुत कोशिश की थी, किंतु अपने आप को तुर्रमखाँ समझने के बावजूद तब वह असफल रहे थे । राकेश मक्कड़ और उनके साथी अब जब सचमुच सत्ता में आ गए हैं, तो उन्हें लगता है कि अब वह अनिल लाल को वापस बुला सकते हैं । अनिल लाल की वापसी में इनके इतनी दिलचस्पी लेने से इंस्टीट्यूट प्रशासन के लोगों के कान खड़े हुए हैं । यह बात तो लोगों को समझ में आती है कि अनिल लाल के जरिए यह स्टॉफ-सदस्यों पर दबाव बनाए रखने का काम करते हैं और अनिल लाल इनकी हाँ में हाँ मिलाते हुए इनके खाने-पीने की व्यवस्था करवाते रहते हैं; लेकिन सिर्फ इस कारण से यह अनिल लाल की वापसी कराने की बदनामी मोल लेंगे - यह बात किसी को हजम नहीं हो रही है । लोगों को लगता है कि अनिल लाल के साथ राकेश मक्कड़ एंड टीम का यह 'रिश्ता' कुछ ज्यादा गहरा है ।
इस गहरे रिश्ते की पड़ताल की कोशिश इस तथ्य से सामना करवाती है कि अनिल लाल पिछले कुछेक वर्षों से नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सेमिनार्स के आयोजन का जिम्मा सँभाले हुए थे, जिसमें भारी झोल-झाल होने के आरोप लगते रहे हैं । आशंका है कि अनिल लाल ने राकेश मक्कड़ और उनकी टीम के लोगों को उस झोल-झाल में से हिस्सा देना शुरू कर दिया था, जिसके चलते वह राकेश मक्कड़ एंड टीम के चहेते बन गए । स्टॉफ-सदस्यों की शिकायत के चलते अनिल लाल से सेमिनार्स करवाने की जिम्मेदारी भी छिन गई थी, जिसके कारण राकेश मक्कड़ एंड टीम के सदस्यों के ऊपरी खर्चों की व्यवस्था पर भी रोक लग गई । समझा जाता है कि अनिल लाल की वापसी करवा कर वह उस 'व्यवस्था' को फिर से चालू करवाना चाहते हैं - और इसीलिए स्टॉफ-सदस्यों के विरोध के बावजूद अनिल लाल को नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में वापस लाने के लिए राकेश मक्कड़ एंड टीम के सदस्यों ने अपने प्रयासों में तेजी ला दी है । अनिल लाल की वापसी का विरोध करने के लिए काउंसिल के स्टॉफ-सदस्यों ने भी चूँकि कमर कस ली है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि रीजनल काउंसिल में टकरावपूर्ण दिलचस्प नजारे देखने को मिल सकेंगे ।
अनिल लाल के खिलाफ स्टॉफ-सदस्यों का शिकायती पत्र :