Thursday, March 2, 2017

लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू की चुनावी लड़ाई में यशपाल अरोड़ा व चमनलाल गुप्ता की जोड़ी से पिछड़ने के लिए जेपी सिंह और गुरचरण सिंह भोला ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराना शुरू किया

नई दिल्ली । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी लड़ाई में गुरचरण सिंह भोला को बुरी तरह से पिछड़ता हुआ देख कर उनके नजदीकियों ने जेपी सिंह को कोसना शुरू कर दिया है । जेपी सिंह के नजदीकियों का कहना लेकिन यह है कि जेपी सिंह ने अपनी तरफ से गुरचरण सिंह भोला की उम्मीदवारी के गुब्बारे में हवा भरने की बहुत कोशिश की है, लेकिन डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच यशपाल अरोड़ा के मुकाबले वह यदि टिक नहीं पा रहे हैं - तो जेपी सिंह क्या करें ? जेपी सिंह के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि गुरचरण सिंह भोला की उम्मीदवारी के चक्कर में इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी की उनकी अपनी उम्मीदवारी के लिए संकट खड़ा होता जा रहा है, लिहाजा उन्होंने अपनी उम्मीदवारी पर ध्यान देना शुरू किया है । गुरचरण सिंह भोला और उनके नजदीकियों की नाराजगी इसीलिए जेपी सिंह पर फूट रही है कि जेपी सिंह उनसे पैसे तो अनाप-शनाप खर्च करवा रहे हैं, लेकिन उनकी उतनी मदद नहीं कर रहे हैं, जितनी और जैसी मदद की उन्हें जरूरत है । इन दोनों के समर्थकों को भी लग रहा है कि यशपाल अरोड़ा ने इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडोर्सी पद के दूसरे उम्मीदवार चमन लाल गुप्ता के साथ जिस तरह का गठजोड़ बनाया हुआ है, वैसा गठजोड़ गुरचरण सिंह भोला और जेपी सिंह का नहीं नजर आ रहा है - और इस कारण से यशपाल अरोड़ा के सामने गुरचरण सिंह भोला की तथा चमनलाल गुप्ता के सामने जेपी सिंह की चुनावी हालत पतली होती हुई दिख रही है ।
जेपी सिंह को डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच दरअसल गुरचरण सिंह भोला की उम्मीदवारी 'लाने' के लिए लताड़ा जा रहा है । डिस्ट्रिक्ट में लोगों का कहना और पूछना है कि गुरचरण सिंह भोला की लायनिज्म में जब कोई ज्यादा दिलचस्पी व संलग्नता ही नहीं रही, तो फिर जेपी सिंह उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जैसे महत्त्वपूर्ण व जिम्मेदारी के पद के लिए चुनवाने/बनवाने के लिए क्यों लगे हुए हैं ? उल्लेखनीय है कि लायनिज्म में सक्रियता और संलग्नता के मामले में गुरचरण सिंह भोला चूँकि यशपाल अरोड़ा के सामने बिलकुल भी नहीं ठहरते, इसलिए डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लग रहा है कि गुरचरण सिंह भोला को जेपी सिंह और विनोद खन्ना सिर्फ अपने स्वार्थ में डिस्ट्रिक्ट पर थोपना चाहते हैं । लायनिज्म में यशपाल अरोड़ा और गुरचरण सिंह भोला की सक्रियता व संलग्नता की तुलना करें तो देखते हैं कि हालाँकि दोनों ने एक ही साथ, वर्ष 2002 में अलग अलग क्लब्स की सदस्यता लेकर लायनिज्म ज्वाइन किया था; जिसके बाद यशपाल अरोड़ा तो चार वर्ष बाद, वर्ष 2006-07 में ही क्लब के अध्यक्ष बन गए थे, लेकिन गुरचरण सिंह भोला को अपने क्लब का अध्यक्ष बनने में ही 11 वर्ष लग गए और वह वर्ष 2013-14 में अध्यक्ष बन सके । क्लब के ही लोगों का कहना रहा कि इससे पहले कई बार उनसे अध्यक्ष बनने के कहा गया, लेकिन गुरचरण सिंह भोला कभी किसी बहाने तो कभी किसी बहाने से अध्यक्ष बनने से बचते रहे । वह यह भी कहते रहे कि वह तो लायनिज्म में मौज-मजे के लिए आए हैं, यहाँ किसी पद पर काम करने या कोई जिम्मेदारी निभाने या यहाँ कुछ करने नहीं आए हैं ।
यशपाल अरोड़ा के साथ ही लायनिज्म में शामिल होने वाले गुरचरण सिंह भोला जब क्लब के अध्यक्ष बने थे, तब तक यशपाल अरोड़ा जोन चेयरमैन, रीजन चेयरमैन और डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट ट्रेजरार जैसे महत्त्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके थे । बात सिर्फ पदों पर रहने की नहीं है - यशपाल अरोड़ा 10 बार डिस्ट्रिक्ट लायंस लीडरशिप इंस्टीट्यूट में तथा एक बार रीजनल लायंस लीडरशिप इंस्टीट्यूट में शामिल हो चुके हैं, जबकि गुरचरण सिंह भोला ने इनमें एक बार भी शामिल होने की जरूरत नहीं समझी । इसलिए ही डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच सवाल है कि जिन गुरचरण सिंह भोला ने कभी किसी लीडरशिप इंस्टीट्यूट में शामिल होने की जरूरत नहीं समझी, वह अचानक से लीडर क्यों बनना चाहते हैं ? वह बिना 'पढ़ाई' किए ही 'डिग्री' क्यों लेना चाहते हैं ? और क्यों जेपी सिंह व विनोद खन्ना उन्हें गवर्नर चुनवाना/बनवाना चाहते हैं ? डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लगता है कि जेपी सिंह और विनोद खन्ना को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में एक 'पढ़ालिखा' और ट्रेंड व्यक्ति नहीं चाहिए, उन्हें गवर्नर के रूप में एक ऐसी कठपुतली चाहिए जिसे कुछ पता न हो और जो उनके इशारों पर नाचे ।
यशपाल अरोड़ा और गुरचरण सिंह भोला में तुलना यहीं खत्म नहीं हो जातीं हैं - यशपाल अरोड़ा 10 बार मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में और तीन बार इंटरनेशनल कन्वेंशन में तथा एक बार इसामे फोरम की मीटिंग में शामिल हुए हैं; गुरचरण सिंह भोला ने इनमें से किसी एक में भी एक बार भी शामिल होने की जरूरत नहीं समझी है । गुरचरण सिंह भोला ने डिस्ट्रिक्ट के दो महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स - लायंस आई हॉस्पिटल तथा लायंस ब्लड बैंक के ट्रस्टी बनने में भी  दिलचस्पी नहीं ली; यशपाल अरोड़ा इन दोनों जगहों में ट्रस्टी हैं । लायनिज्म में अपनी सेवाओं के लिए यशपाल अरोड़ा समय समय पर सम्मानित होते रहे हैं, जिसका नतीजा है कि उनके पास 10 इंटरनेशनल सर्टीफिकेट्स तथा 13 इंटरनेशनल पिन्स जैसे महत्त्वपूर्ण ईनाम हैं, गुरचरण सिंह भोला की जेब इस मामले में पूरी तरह खाली है । इस तुलना के चलते ही डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लग रहा है कि जिन गुरचरण सिंह भोला को अपने लायन-जीवन के पंद्रह वर्षों में लायनिज्म के कामों में कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही, जिन्होंने कभी किसी प्रोजेक्ट में हिस्सा नहीं लिया, लायनिज्म में जिनकी कोई उपलब्धि नहीं है - उन गुरचरण सिंह भोला को तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के बारे में अभी सोचना भी नहीं चाहिए । डिस्ट्रिक्ट में लोगों की इसी सोच के चलते सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में गुरचरण सिंह भोला की हालत पतली बनी हुई है ।
जेपी सिंह और विनोद खन्ना ने अपनी अपनी तरह से हालाँकि गुरचरण सिंह भोला की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का भरसक प्रयास किया । उन्हें लगा कि गुरचरण सिंह भोला ने भले ही लायनिज्म के लिए कभी कुछ न किया हो, लायनिज्म के किसी भी काम में कोई दिलचस्पी न ली हो और अपना कोई सहयोग न दिया हो तथा लायनिज्म में उनकी कोई उपलब्धि न रही हो - लेकिन फिर भी वह डिस्ट्रिक्ट के लोगों को गुरचरण भोला की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए मना लेंगे । किंतु जल्दी ही यह स्पष्ट हो गया कि इन दोनों की तमाम मदद के बावजूद गुरचरण सिंह भोला के लिए समर्थन जुट नहीं रहा है । जेपी सिंह को गुरचरण सिंह भोला के चक्कर में जब अपना चुनाव भी खतरे में पड़ता नजर आया, तो उन्होंने भी गुरचरण सिंह भोला की उम्मीदवारी के लिए ज्यादा सक्रियता दिखाने से बचना शुरू कर दिया । गुरचरण सिंह भोला के नजदीकी जेपी सिंह के इस रवैये से भड़के हुए हैं । उनका आरोप है कि जेपी सिंह और विनोद खन्ना तरह तरह की बहानेबाजियों से उनसे पैसे तो खर्च करवा रहे हैं, लेकिन उनकी उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने के काम में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं । गुरचरण सिंह भोला के नजदीकियों की इस नाराजगी ने जेपी सिंह की उम्मीदवारी के लिए भी समस्या पैदा कर दी है ।