Sunday, March 19, 2017

लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी की डिस्ट्रिक्ट से लेकर मल्टीपल तक होती/बढ़ती फजीहत को देखते हुए अनुपम भटनागर तथा रेखा गुप्ता ने भी उनकी ठगी की राजनीति से पीछा छुड़ाया

देहरादून । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी की कारस्तानियों से तंग आकर उनके भरोसे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवार बनीं रेखा गुप्ता न सिर्फ अपनी उम्मीदवारी से पीछे हट गईं हैं, बल्कि उन्होंने मुकेश गोयल की छत्रछाया में लायनिज्म की अपनी आगे की यात्रा को पूरा करने का संकल्प भी घोषित कर दिया है । रेखा गुप्ता के अचानक आए इस फैसले से भन्नाए शिव कुमार चौधरी 27 मार्च को बुलाई गई कैबिनेट मीटिंग को स्थगित करने के लिए मजबूर हुए हैं । डिस्ट्रिक्ट में शिव कुमार चौधरी की कार्यप्रणाली से परिचित लोगों को लगता है कि उक्त कैबिनेट मीटिंग का खर्चा वह रेखा गुप्ता से ऐंठने वाले थे, लेकिन उम्मीदवारी से पीछे हठकर रेखा गुप्ता ने चूँकि उस संभावना को खत्म कर दिया - इसलिए 'विशेष परिस्थितियों' और 'विशेष कारणों' का नाम लेकर शिव कुमार चौधरी के सामने उक्त कैबिनेट मीटिंग को स्थगित करने के अलावा और कोई चारा ही नहीं रहा । पिछले दिनों ही, शिव कुमार चौधरी के ही भरोसे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे अनुपम भटनागर ने शिव कुमार चौधरी पर बहुत ही गंभीर आरोप लगाते हुए उनसे पीछा छुड़ाया था, और मुकेश गोयल की राजनीति के साथ जुड़ने की घोषणा की थी । देहरादून के लायन सदस्यों के बीच चर्चा सुनी गई कि अनुपम भटनागर की उम्मीदवारी का हव्वा खड़ा करके शिव कुमार चौधरी रेखा गुप्ता को ब्लैकमेल कर रहे थे, और रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी के भरोसे वह फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अजय सिंघल को ब्लैकमेल करने का जाल बिछा रहे थे ।
फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अजय सिंघल को ब्लैकमेल करने की योजना के कारण ही शिव कुमार चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस लेट करने - मल्टीपल काउंसिल की कॉन्फ्रेंस से पहले न करने की चाल चली । इससे होना सिर्फ यह है कि अजय सिंघल मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं पा सकेंगे । इसमें अजय सिंघल का भला क्या जायेगा ? शिव कुमार चौधरी की यह कारस्तानी ठीक वैसी ही है, जैसे कोई धोबी ऐन मौके पर दूल्हे की ड्रेस प्रेस करके न दे और इस बात पर अपनी पीठ थपथपाए कि उसने दूल्हे को वह ड्रेस नहीं पहनने दी, जिसे उसने पसंद से तैयार करवाया था । यह ठीक है कि दूल्हे और उसके परिवार के अन्य सदस्यों के मन में धोबी की इस हरकत से थोड़ी देर के लिए खिन्नता पैदा होगी, लेकिन पूरे संदर्भ में देखें तो इस बात से भला क्या फर्क पड़ेगा ? छोटी/ओछी और घटिया सोच के चलते शिव कुमार चौधरी ने अपनी हरकत से डिस्ट्रिक्ट में ही नहीं, बल्कि मल्टीपल में भी अपनी फजीहत और करवा ली है, जिस कारण मल्टीपल में वह पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए हैं । उल्लेखनीय है कि इस समय हर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अगले लायन वर्ष की मल्टीपल काउंसिल में कोई न कोई पद पाने की कोशिश कर रहा है, हर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का यह सपना होता है कि वह जहाँ तक पहुँचा है - वहाँ से आगे बढ़े; मल्टीपल के नौ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स में लेकिन एक अकेले शिव कुमार चौधरी ऐसे हैं, जिन्हें अपनी हरकतों के चलते मल्टीपल के लोगों से मुँह छिपाते रहना पड़ रहा है । उनकी हरकत से इंटरनेशनल प्रेसीडेंट होने जा रहे नरेश अग्रवाल तक को नीचा और देखना पड़ रहा है, जिस कारण मल्टीपल में हर कोई शिव कुमार चौधरी को आलोचना और मजाक का शिकार बना रहा है । अपनी दशा का उन्हें पता भी है, इसीलिए उन्हें मल्टीपल के लोगों से मुँह छिपाना पड़ रहा है और इसी चक्कर में वह मल्टीपल की तीसरी मीटिंग में भी नहीं गए और मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में भी वह - अपनी ही हरकतों के चलते नहीं जा पायेंगे । अजय सिंघल के लिए जरा सी परेशानी पैदा करने के ऐवज में उन्होंने अपनी भारी दुर्गति और बदनामी करवा ली । मूर्खतापूर्ण और घटिया सोच की हद यह है कि इसे वह अपनी 'उपलब्धि' मान/बता रहे हैं ।
शिव कुमार चौधरी की हर जगह होती/बढ़ती फजीहत को देख कर पहले अनुपम भटनागर और फिर रेखा गुप्ता ने भी उनका साथ छोड़ने में अपनी भलाई देखी/पहचानी - और उनका साथ छोड़ कर मुकेश गोयल की छत्रछाया में पहुँचने का कदम उठाया । उल्लेखनीय है कि रेखा गुप्ता ने पिछले लायन वर्ष में शिव कुमार चौधरी के समर्थन के भरोसे मुकेश गोयल के उम्मीदवार विनय मित्तल के खिलाफ चुनाव लड़ा था, और चुनाव में उन्हें बहुत ही बुरी हार का सामना करना पड़ा था । इस वर्ष भी वह शिव कुमार चौधरी के समर्थन के बल पर अपनी उम्मीदवारी बनाए हुए थीं । उनके नजदीकी हालाँकि बताते रहे हैं कि इस वर्ष के हालात को और भी चुनौतीपूर्ण मानते/समझते हुए वह अपनी उम्मीदवारी बनाए रखने के पक्ष में नहीं थीं, लेकिन शिव कुमार चौधरी ने उन्हें समझाया हुआ था कि वह यदि उम्मीदवार नहीं बनीं तो कोई और उम्मीदवार हो जायेगा और फिर उनके लिए गवर्नर का पद और पीछे खिसक जाएगा; शिव कुमार चौधरी ने उन्हें समझाया हुआ था कि वह थोड़े-बहुत पैसे खर्च करते हुए उम्मीदवार बनीं रहें, ताकि हारने के बावजूद अगले वर्ष के लिए उनका मौका बना रहे - अगले वर्ष चाहें तो वह मुकेश गोयल के खेमे में चलीं जाएँ । शिव कुमार चौधरी ने उन्हें यह भी बता दिया कि वह यदि उम्मीदवार नहीं रहती हैं, तो अनुपम भटनागर उम्मीदवार बनने के लिए तैयार हैं ।
रेखा गुप्ता को धीरे-धीरे यह बात लेकिन समझ में आ गई कि उम्मीदवार बने रहने की सलाह शिव कुमार चौधरी उनसे पैसे ऐंठने के लिए दे रहे हैं । उनसे भी पहले अनुपम भटनागर ने इस बात को समझ लिया कि शिव कुमार चौधरी, अजय सिंघल को ब्लैकमेल करने के लिए रेखा गुप्ता को, और रेखा गुप्ता से पैसे ऐंठने के लिए उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं - और साथ ही साथ उनसे भी पैसे ऐंठने के चक्कर में हैं । लिहाजा अनुपम भटनागर ने पहले ही उनसे पीछा छुड़ा लिया; और जल्दी ही रेखा गुप्ता ने भी समझ लिया कि शिव कुमार चौधरी के साथ रहकर उन्होंने अपना काफी नुकसान कर लिया है, और अब यदि उन्होंने शिव कुमार चौधरी से पीछा छुड़ाने में और देर की तो वह अपने नुकसान को और बढ़ाने का काम ही करेंगी । फलस्वरूप उन्होंने भी शिव कुमार चौधरी की ठगी की गंदी राजनीति को नमस्कार करने की घोषणा कर दी । रेखा गुप्ता की इस घोषणा ने शिव कुमार चौधरी के लिए इतिहास को दिलचस्प तरीके से दोहराया है । चार वर्ष पहले शिव कुमार चौधरी अपने पहले चुनाव में जब सुनील निगम से बहुत ही बुरी तरह हार गए थे, तब उन्हें समझ में आ गया था कि मुकेश गोयल की शरण में जाए बिना वह गवर्नर नहीं बन पायेंगे । मुकेश गोयल के समर्थन की कृपा से गवर्नर बने शिव कुमार चौधरी भले ही मुकेश गोयल के अहसान को भुला बैठे हैं, लेकिन रेखा गुप्ता ने अंततः यह समझ लिया कि गवर्नर बनने के लिए जो 'तरीका' शिव कुमार चौधरी ने अपनाया था, मुकेश गोयल की छत्रछाया में जाने के उसी तरीके को उन्हें भी अपना लेना चाहिए ।