फरीदाबाद
। डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी विनय भाटिया ने पप्पूजीत सिंह सरना के साथ
मिलकर फरीदाबाद के वरिष्ठ रोटेरियन केसी लखानी तथा नवदीप चावला का नाम लेकर
इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में फरीदाबाद का
ठेकेदार बनने की जो कोशिश की है, उसे लेकर केसी लखानी और नवदीप चावला ने तो
अपनी नाराजगी व्यक्त की ही है - फरीदाबाद के क्लब्स के अध्यक्षों ने भी
अपना असंतोष जताया है । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि पिछले
रोटरी वर्ष में विनय भाटिया को चुनाव जितवाने के लिए पप्पूजीत सिंह सरना ने
जिस तरह की छिछोरपंती की थी, उसकी चर्चा रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की मीटिंग
तक में हुई थी, और बोर्ड के फैसले में नाम लेकर पप्पूजीत सिंह सरना की
भूमिका की भर्त्सना की गई थी और डिस्ट्रिक्ट पदाधिकारियों को स्पष्ट हिदायत
दी गई थी कि आगे के चुनावों की प्रक्रिया में पप्पूजीत सिंह सरना को
आधिकारिक रूप से शामिल नहीं किया जाना चाहिए । विनय भाटिया और पप्पूजीत
सिंह सरना की हरकतों के कारण रोटरी की दुनिया में डिस्ट्रिक्ट 3011 की न
सिर्फ भारी बदनामी हुई, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के सामने अपने अस्तित्व को
बचाए/बनाए रखने का खतरा तक पैदा हुआ । पिछले रोटरी वर्ष की उनकी हरकतों को
तथा उनकी हरकतों के कारण रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के आए फैसले को देखते हुए
ही पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता ने इस वर्ष के चुनाव में रोटरी
'पदाधिकारियों' के दूर रहने की उम्मीद घोषित की थी । रोटरी इंटरनेशनल
बोर्ड में पप्पूजीत सिंह सरना की हरकतों का संज्ञान लिए जाने तथा उनकी
भूमिका की भर्त्सना होने - और सुशील गुप्ता की उम्मीद घोषित होने - के चलते
विश्वास किया गया था कि कम से कम विनय भाटिया तो अपने पद की जिम्मेदारी
समझेंगे और चुनावी छिछोरपंती से इस बार दूर रहेंगे । लेकिन डिस्ट्रिक्ट की
चुनावी राजनीति में फरीदाबाद के वोटों का ठेकेदार बनने की कोशिश में विनय
भाटिया ने न डिस्ट्रिक्ट की बदनामी की परवाह की, न रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड
के पिछले वर्ष के फैसले को याद रखा और न डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ पूर्व
गवर्नर सुशील गुप्ता की हिदायत की चिंता की है ।
फरीदाबाद के वोटों का ठेकेदार बनने की कोशिश में विनय भाटिया ने हद तो यह की कि फरीदाबाद के केसी लखानी तथा नवदीप चावला जैसे जिन वरिष्ठ रोटेरियंस के सहयोग और समर्थन के बूते वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की लाइन में लग पाए हैं, उन्होंने उनको भी अपने 'अंडर' में दिखाने/जताने का काम किया है । हुआ दरअसल यह कि इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में भूमिका को लेकर फरीदाबाद के प्रमुख रोटेरियंस की एक मीटिंग हुई । मीटिंग में विनय भाटिया ने सुझाव दिया कि फरीदाबाद के क्लब्स को किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में वोट करना चाहिए और इस तरह फरीदाबाद की एकता को जाहिर करना चाहिए । उनके इस सुझाव का सभी ने समर्थन किया - किंतु आगे बात इस मुद्दे पर बिगड़ गई कि फरीदाबाद के क्लब्स किस 'एक उम्मीदवार' का समर्थन करें ? किसी ने संजीव राय मेहरा का नाम लिया, तो अधिकतर क्लब्स के अध्यक्षों का कहना रहा कि उन्हें और रोटरी में उनकी सक्रियता व संलग्नता के बारे में तो हम जानते ही नहीं हैं; किसी ने रवि दयाल का नाम लिया, तो अधिकतर लोगों का कहना रहा कि पिछले वर्ष उन्हें अस्वीकार करने के बाद इस वर्ष यदि हम उन्हें चुनते हैं तो डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच समझा यह जायेगा कि हम उन्हें गवर्नर के रूप में योग्य तो मानते हैं, किंतु पिछले वर्ष हमने क्षेत्रवाद के चक्कर में उन जैसे योग्य को न चुनकर एक घटिया व्यक्ति को चुन लिया था - और इससे हमारी ही बदनामी होगी; मीटिंग में सुरेश भसीन का नाम भी लिया गया, किंतु उनके नाम पर आपत्तियाँ आईं कि उन्होंने रोटरी में चुनाव लड़ने के अलावा और क्या किया है; मीटिंग में कई लोगों ने अनूप मित्तल के पक्ष में बातें कीं और कहा कि अनूप मित्तल ने पिछले कुछेक वर्षों में डिस्ट्रिक्ट में उल्लेखनीय काम भी किया है, रोटरी में व्यापक स्तर पर उनकी संलग्नता और स्वीकार्यता भी है और एक उम्मीदवार के रूप में भी उन्होंने पूरी एनर्जी के साथ अपना अभियान चलाया हुआ है - और यह सब देखते हुए उनकी उम्मीदवारी को समर्थन दिया जाना चाहिए । मीटिंग में अनूप मित्तल के नाम पर सहमति बनती देख, दूसरे उम्मीदवारों के समर्थकों ने यह कहते हुए जल्दी जल्दी मचाते हुए मीटिंग को खत्म करने पर जोर दिया कि फरीदाबाद में किसी के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है, इसलिए फरीदाबाद के क्लब्स अपनी अपनी समझ और अपने अपने विवेक के आधार पर फैसला करें और जिसे ठीक समझें उसे वोट दें । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अनूप मित्तल के नाम पर सहमति बनाने की कोशिश करने वाले लोगों ने भी इस बात को मान लिया - और मीटिंग समाप्त हो गई ।
विनय भाटिया और पप्पूजीत सिंह सरना ने अगले दिन लेकिन लोगों को फोन कर कर के यह बताना शुरू किया कि 'हमने तय किया है कि' फरीदाबाद के क्लब्स संजीव राय मेहरा के पक्ष में वोट करेंगे । विनय भाटिया ने अपनी बात में वजन पैदा करने के लिए लोगों से यह भी कहा कि 'मैंने' केसी लखानी और नवदीप चावला को भी बता दिया है कि ऐसा करने में ही फरीदाबाद की भलाई है, और उन्हें भी 'मेरी' बात समझ में आ गई है । यह बात तुरंत ही केसी लखानी और नवदीप चावला तक पहुँची, तो वह विनय भाटिया पर बहुत बिगड़े । उनका कहना रहा कि विनय भाटिया अपनी राजनीति में उनका नाम न घसीटें और लोगों को यह बताने/दिखाने की कोशिश न करें कि वह उन्हें 'समझायेंगे' । फरीदाबाद की राजनीति का ठेकेदार बनने की कोशिश में विनय भाटिया ने केसी लखानी व नवदीप चावला जैसे वरिष्ठ रोटेरियंस की प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करने की जो कोशिश की है, उसे फरीदाबाद के दूसरे लोगों ने भी पसंद नहीं किया है । फरीदाबाद में लोगों का कहना है कि विनय भाटिया को अपनी हरकतों के कारण होती अपनी बदनामी की फिक्र भले ही न हो, लेकिन उन्हें फरीदाबाद की और केसी लखानी व नवदीप चावला जैसे रोटेरियंस की पहचान और प्रतिष्ठा के साथ तो खिलवाड़ नहीं ही करना चाहिए । विनय भाटिया के नजदीकियों के अनुसार, उन्होंने विनय भाटिया को कहा भी कि अपने रवैये से उन्हें केसी लखानी व नवदीप चावला जैसे लोगों को नाराज नहीं करना चाहिए, अन्यथा उन्हें मुश्किल होगी - जिस पर विनय भाटिया से उन्हें सुनना पड़ा कि इनकी चिंता करने की जरूरत नहीं है, 'मैं' जानता हूँ कि इन्हें कैसे खुश किया जा सकता है; आप देखियेगा कि यह वही करेंगे, जो 'मैं' कह रहा हूँ ।
फरीदाबाद में क्लब्स के अध्यक्ष भी तथा अन्य लोग भी इस बात पर लेकिन हैरान हैं कि विनय भाटिया आखिर संजीव राय मेहरा के प्रति इतने लगाव में क्यों हैं कि वह केसी लखानी व नवदीप चावला जैसे वरिष्ठ रोटेरियंस की प्रतिष्ठा से भी खिलवाड़ करने को तैयार हो गए हैं । विनय भाटिया के नजदीकियों का ही कहना/बताना है कि संजीव राय मेहरा पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और उनसे विनय भाटिया को प्रोफेशनल काम मिलने की उम्मीद है, जिसे और ठोस रूप देने के लिए विनय भाटिया ने उन्हें गवर्नर चुनवाने का जिम्मा ले लिया है । उनके नजदीकियों का भी कहना है कि प्रोफेशनल स्वार्थ में वह जो करना चाहें, वह करें - लेकिन होशियारी से करें; और इस बात का ख्याल रखें कि ऐसा करते हुए वह फरीदाबाद के रोटेरियंस को इस्तेमाल न करें और उन्हें बेइज्जत न करें । देखना दिलचस्प होगा कि केसी लखानी, नवदीप चावला तथा फरीदाबाद के दूसरे लोगों की नाराजगी से विनय भाटिया कोई सबक लेते हैं - या अपने प्रोफेशनल स्वार्थ तथा फरीदाबाद के वोटों के ठेकेदार बनने की कोशिश में वह उन्हें बेइज्जत करना जारी रखेंगे ?
फरीदाबाद के वोटों का ठेकेदार बनने की कोशिश में विनय भाटिया ने हद तो यह की कि फरीदाबाद के केसी लखानी तथा नवदीप चावला जैसे जिन वरिष्ठ रोटेरियंस के सहयोग और समर्थन के बूते वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने की लाइन में लग पाए हैं, उन्होंने उनको भी अपने 'अंडर' में दिखाने/जताने का काम किया है । हुआ दरअसल यह कि इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में भूमिका को लेकर फरीदाबाद के प्रमुख रोटेरियंस की एक मीटिंग हुई । मीटिंग में विनय भाटिया ने सुझाव दिया कि फरीदाबाद के क्लब्स को किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में वोट करना चाहिए और इस तरह फरीदाबाद की एकता को जाहिर करना चाहिए । उनके इस सुझाव का सभी ने समर्थन किया - किंतु आगे बात इस मुद्दे पर बिगड़ गई कि फरीदाबाद के क्लब्स किस 'एक उम्मीदवार' का समर्थन करें ? किसी ने संजीव राय मेहरा का नाम लिया, तो अधिकतर क्लब्स के अध्यक्षों का कहना रहा कि उन्हें और रोटरी में उनकी सक्रियता व संलग्नता के बारे में तो हम जानते ही नहीं हैं; किसी ने रवि दयाल का नाम लिया, तो अधिकतर लोगों का कहना रहा कि पिछले वर्ष उन्हें अस्वीकार करने के बाद इस वर्ष यदि हम उन्हें चुनते हैं तो डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच समझा यह जायेगा कि हम उन्हें गवर्नर के रूप में योग्य तो मानते हैं, किंतु पिछले वर्ष हमने क्षेत्रवाद के चक्कर में उन जैसे योग्य को न चुनकर एक घटिया व्यक्ति को चुन लिया था - और इससे हमारी ही बदनामी होगी; मीटिंग में सुरेश भसीन का नाम भी लिया गया, किंतु उनके नाम पर आपत्तियाँ आईं कि उन्होंने रोटरी में चुनाव लड़ने के अलावा और क्या किया है; मीटिंग में कई लोगों ने अनूप मित्तल के पक्ष में बातें कीं और कहा कि अनूप मित्तल ने पिछले कुछेक वर्षों में डिस्ट्रिक्ट में उल्लेखनीय काम भी किया है, रोटरी में व्यापक स्तर पर उनकी संलग्नता और स्वीकार्यता भी है और एक उम्मीदवार के रूप में भी उन्होंने पूरी एनर्जी के साथ अपना अभियान चलाया हुआ है - और यह सब देखते हुए उनकी उम्मीदवारी को समर्थन दिया जाना चाहिए । मीटिंग में अनूप मित्तल के नाम पर सहमति बनती देख, दूसरे उम्मीदवारों के समर्थकों ने यह कहते हुए जल्दी जल्दी मचाते हुए मीटिंग को खत्म करने पर जोर दिया कि फरीदाबाद में किसी के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है, इसलिए फरीदाबाद के क्लब्स अपनी अपनी समझ और अपने अपने विवेक के आधार पर फैसला करें और जिसे ठीक समझें उसे वोट दें । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अनूप मित्तल के नाम पर सहमति बनाने की कोशिश करने वाले लोगों ने भी इस बात को मान लिया - और मीटिंग समाप्त हो गई ।
विनय भाटिया और पप्पूजीत सिंह सरना ने अगले दिन लेकिन लोगों को फोन कर कर के यह बताना शुरू किया कि 'हमने तय किया है कि' फरीदाबाद के क्लब्स संजीव राय मेहरा के पक्ष में वोट करेंगे । विनय भाटिया ने अपनी बात में वजन पैदा करने के लिए लोगों से यह भी कहा कि 'मैंने' केसी लखानी और नवदीप चावला को भी बता दिया है कि ऐसा करने में ही फरीदाबाद की भलाई है, और उन्हें भी 'मेरी' बात समझ में आ गई है । यह बात तुरंत ही केसी लखानी और नवदीप चावला तक पहुँची, तो वह विनय भाटिया पर बहुत बिगड़े । उनका कहना रहा कि विनय भाटिया अपनी राजनीति में उनका नाम न घसीटें और लोगों को यह बताने/दिखाने की कोशिश न करें कि वह उन्हें 'समझायेंगे' । फरीदाबाद की राजनीति का ठेकेदार बनने की कोशिश में विनय भाटिया ने केसी लखानी व नवदीप चावला जैसे वरिष्ठ रोटेरियंस की प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ करने की जो कोशिश की है, उसे फरीदाबाद के दूसरे लोगों ने भी पसंद नहीं किया है । फरीदाबाद में लोगों का कहना है कि विनय भाटिया को अपनी हरकतों के कारण होती अपनी बदनामी की फिक्र भले ही न हो, लेकिन उन्हें फरीदाबाद की और केसी लखानी व नवदीप चावला जैसे रोटेरियंस की पहचान और प्रतिष्ठा के साथ तो खिलवाड़ नहीं ही करना चाहिए । विनय भाटिया के नजदीकियों के अनुसार, उन्होंने विनय भाटिया को कहा भी कि अपने रवैये से उन्हें केसी लखानी व नवदीप चावला जैसे लोगों को नाराज नहीं करना चाहिए, अन्यथा उन्हें मुश्किल होगी - जिस पर विनय भाटिया से उन्हें सुनना पड़ा कि इनकी चिंता करने की जरूरत नहीं है, 'मैं' जानता हूँ कि इन्हें कैसे खुश किया जा सकता है; आप देखियेगा कि यह वही करेंगे, जो 'मैं' कह रहा हूँ ।
फरीदाबाद में क्लब्स के अध्यक्ष भी तथा अन्य लोग भी इस बात पर लेकिन हैरान हैं कि विनय भाटिया आखिर संजीव राय मेहरा के प्रति इतने लगाव में क्यों हैं कि वह केसी लखानी व नवदीप चावला जैसे वरिष्ठ रोटेरियंस की प्रतिष्ठा से भी खिलवाड़ करने को तैयार हो गए हैं । विनय भाटिया के नजदीकियों का ही कहना/बताना है कि संजीव राय मेहरा पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और उनसे विनय भाटिया को प्रोफेशनल काम मिलने की उम्मीद है, जिसे और ठोस रूप देने के लिए विनय भाटिया ने उन्हें गवर्नर चुनवाने का जिम्मा ले लिया है । उनके नजदीकियों का भी कहना है कि प्रोफेशनल स्वार्थ में वह जो करना चाहें, वह करें - लेकिन होशियारी से करें; और इस बात का ख्याल रखें कि ऐसा करते हुए वह फरीदाबाद के रोटेरियंस को इस्तेमाल न करें और उन्हें बेइज्जत न करें । देखना दिलचस्प होगा कि केसी लखानी, नवदीप चावला तथा फरीदाबाद के दूसरे लोगों की नाराजगी से विनय भाटिया कोई सबक लेते हैं - या अपने प्रोफेशनल स्वार्थ तथा फरीदाबाद के वोटों के ठेकेदार बनने की कोशिश में वह उन्हें बेइज्जत करना जारी रखेंगे ?